Monday, March 30, 2020

अध्याय 3 बंधुत्व जाति तथा वर्ग आरंभिक समाज लगभग (600 ई. पूर्व से 600 ईसवी तक)

प्रश्न 1. महाभारत की कथावस्तु का संबंध किससे है ?

उत्तर - महाभारत की प्रमुख कथा दो परिवारों के मध्य युद्ध का चित्रण है। ये परिवार थे कौरव तथा पांडव जो आपस में बांधव( चचेरे भाई) थे।

प्रश्न 2. धर्म सूत्र और धर्म शास्त्र क्या थे ?

उत्तर - समाज के लिए विस्तृत आचार संहिता का संकलन।

प्रश्न 3. मनुस्मृति क्या थी ? मनुस्मृति का संकलन कब हुआ ?

उत्तर -मनु द्वारा संकलित धर्म शास्त्रों और धर्म सूत्रों में सबसे बड़ा ग्रंथ। मनुस्मृति का संकलन 200 ईसा पूर्व से 200 ई. के बीच हुआ था।

प्रश्न 4. पित्रवंशिकता और मात्रवंशिकता शब्दों का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - पित्रवंशिता का अर्थ है वह वंश परंपरा जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, और पृपौत्र आदि से चलती है।मातृवंशिकता शब्द का प्रयोग तब करते हैं जहां वंश परंपरा मां से जुड़ी होती है। 

दूसरे शब्दों में, पित्रवंशिकता का अर्थ परिवार में पिता की प्रधानता और मातृवंशिकता का अर्थ परिवार में माता की प्रधानता से है।

प्रश्न 5. विवाह संबंधी अंतर्विवाह और बर्हिविवाह पद्धति का क्या अर्थ है ?

ऊपर - अन्तर्विवाह में वैवाहिक संबंध समूह के बीच ही होते हैं। यह एक समूह, एक गोत्र,कुल या एक जाति अथवा फिर एक ही स्थान पर बसने वालों का हो सकता है। बहिर्विवाह गोत्र से बाहर विवाह करने को कहा जाता है।

प्रश्न 6. ब्राह्मणीय पद्धति के अनुसार गोत्र संबंधी नियम क्या थे ?
उत्तर - तकरीबन 1000 ई. पु. वर्गीकरण हेतु गोत्र पद्धति प्रचलन में आई। इसके प्रचलन का मुख्य उद्देश्य गोत्र के आधार पर ब्राह्मणों का वर्गीकरण करना था। प्रत्येक गोत्र एक वैदिक ऋषि के नाम पर होता था। उस गोत्र के सदस्यों को ऋषि का वंशज माना जाता था। गोत्रों के दो नियम अहम थे। विवाह के बाद स्त्रियों को पिता की जगह पति के गोत्र का माना जाता था और एक ही गोत्र के सदस्य परस्पर विवाह नहीं कर सकते थे।


प्रश्न 7. धर्म शास्त्रों के अनुसार स्त्री धन किसे कहा गया है ?

उत्तर - विवाह के अवसर पर माता-पिता व स्वजनों द्वारा दिए गए उपहार स्वरूप धन-संपत्ति पर स्त्रियों का स्वामित्व होता था, इसे स्त्री धन कहा जाता था। इस संपति को उनकी संतान विरासत के रूप में हासिल कर सकती थी। इस संपत्ति पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था।

प्रश्न 8. महाभारत कथा के मूल लेखक कौन थे ?

उत्तर - महाभारत की मूल कथा के रचयिता संभवतः भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था । साहित्यिक परंपरा के अनुसार इस बृहत रचना के रचयिता ऋषि व्यास थे जिन्होंने श्री गणेश से यह ग्रंथ लिखवाया।

प्रश्न 9. मातृ नाम के उदाहरण....बृहदारण्यक ..... उपनिषद में मिलते हैं।

प्रश्न 10. बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ ..... त्रिपिटक.......हैं-(सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक।)

प्रश्न 11. "धर्मसूत्रों और धर्म शास्त्रों में चार वर्गों के लिए आदर्श जीविका से जुड़े नियम भी मिलते हैं।" इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर - धर्मशास्त्रों व धर्मसूत्रों में चार वर्णों के लिए आदर्श जीविका से संबंधित कुछ नियम मिलते हैं-

1. ब्राह्मण- अध्ययन, वेदों की शिक्षा, यज्ञ करना व करवाना, दान देना और लेना।

2. क्षत्रिय - युद्ध करना, लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, न्याय करना, वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना।

3. वैश्य - वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना, कृषि करना, गौपालन, व्यापार।

4. शूद्र - तीनों उच्च वर्णों की सेवा करना।

इन नियमों का पालन करवाने हेतु ब्राह्मणों ने दो - तीन नीतियां अपनाई ।
(1) वर्ण व्यवस्था ईश्वर्य देन है।
(2) शासकों द्वारा इस वयवस्था को लागू करवाना।
(3) लोगों को यह विश्वास दिलाना कि उनकी यह प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है।

प्रश्न 12 वणिक शब्द का प्रयोग ....व्यापारियों..... के लिए प्रयुक्त किया जाता था।
प्रश्न 13. युग्म सुमेलित कीजिए -
उत्तर -

रामायण - वाल्मीकि
महाभारत - वेदव्यास
अष्टाध्याई - पाणिनि
त्रिपिटक - बौद्ध ग्रंथ
मनुस्मृति - धर्मशास्त्र


प्रश्न 14. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण कैसे एवं किसके द्वारा तैयार किया गया ?

उत्तर - 1919 में संस्कृत भाषा के एक महान विद्वान (जिनका नाम वी.एस. सुक्थांकर था) ,के नेतृत्व में एक बहुत महत्वकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई |
इस परियोजना का उद्देश्य था महाभारत नामक महान महाकव्य की विभिन्न जगहों से प्राप्त विभिन्न पांडुलिपियों को इकठ्ठा करके एक किताब का रूप देना । बहुत सारे बड़े बड़े विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण (Edition) तैयार करने की जिम्मेदारी उठाई | विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए गए श्लोकों की तुलना करने का एक तरीका ढूँढ निकाला। विद्वानों ने उन श्लोको को चुना जो लगभग सभी पांडुलिपियों में लिखे हुए थे। इन सब का प्रकाशन लगभग 13000 पन्नो में फैले अनेक ग्रन्थ खण्डों में हुआ |इस परियोजना को पूरा करने में 47 साल लगे |


प्रश्न 15. बहुपत्नी और बहुपति प्रथा क्या थी ?

उत्तर - बहुपत्नी प्रथा में एक से ज्यादा स्त्रियों से शादी की जाती है।(ऐसा सातवाहन राजाओ में होता था )
बहुपति प्रथा में एक से अधिक पुरुषों से शादी की जाती है | {उदाहरण के लिए : द्रोपदी }

प्रश्न 16. क्या माताओं को महत्वपूर्ण समझा जाता था ? (600 ई.पू से 600 ई.)

उत्तर - इतिहास में बहुत से ऐसे किस्से हैं जिनसे पता चलता है कि 600 ई.पू से 600 ई. के शुरूआती समाज में माताओं को भी महत्वपूर्ण समझा जाता था |
ऐसा ही एक किस्सा है सातवाहन राजाओं का, सातवाहन राजा अपने नाम से पहले अपनी माता का नाम लगाते थे, जिससे यह पता चलता है कि माताओं को भी महत्वपूर्ण माना जाता था |
उदाहरण के लिए : राजा गोतमी पुत्त सीरी सातकनि {यह राजा का नाम है}

प्रश्न 17. मनुस्मृति के अनुसार चांडालों के कर्तव्य क्या थे ?
उत्तर - शवों की अंत्येष्टि एवं मृत जानवरों को छूने वालों को चांडाल कहते थे। उन्हें वर्ण व्यवस्था वाले समाज में सबसे निम्न श्रेणी में रखा जाता था।

मनुस्मृति में चांडालों के "कर्तव्यों" की एक तालिका मिलती है।
(1) उन्हें गांव से बाहर रहना पड़ता था।
(2) वे फैंके हुए बर्तनों का प्रयोग करते थे, मरे हुए लोगों के कपड़े एवं लोहे के आभूषण पहनते थे।
(3) रात में वे गांव एवं नगरों में चल फिर नहीं सकते थे।
(4) संबंधियों से विहीन मरे हुए लोगों की उन्हें अंत्येष्टि करनी पड़ती थी। उन्हें जल्लाद के रूप में भी कार्य करना पड़ता था।

चीन से आए बौद्ध भिक्षु फा-शिएन (तकरीबन पांचवी सदी ई.) का कहना है कि अस्पृश्यों को सड़क पर चलते हुए करताल बजाकर अपने होने की जानकारी देनी पड़ती थी जिससे दूसरे लोग उन्हें देखने के दोष से बच जाएं।
एक अन्य चीनी यात्री ह्वेनसांग (तकरीबन सातवीं सदी ईसवी) कहता है कि वधिक एवं सफाई करने वालों को नगर से बाहर रहना पड़ता था।

प्रश्न 18. "महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है।" समझाइए।

उत्तर - महाभारत एक गतिशील ग्रंथ रहा है। महाभारत का विकास केवल संस्कृत भाषा तक ही सीमित नहीं था। शताब्दियों से इस महाकाव्य के कई पाठांतर अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए। यह सब उस संवाद को दिखाते थे जो इनके लेखकों, दूसरे लोगों एवं समुदाय के मध्य कायम हुए। कई कहानियां जिनका उद्भव एक खास क्षेत्र में हुआ एवं जिनका खास लोगों के मध्य प्रसार हुआ, वे सब इस महाकाव्य में समाहित कर ली गई। इसके अलावा इस महाकाव्य की मुख्य कथा की कई पुर्नव्याख्याएं की गई । इसके प्रसंगों को मूर्तिकला एवं चित्रों में भी दिखाया गया। इस महाकाव्य ने नाटकों एवं नृत्य कलाओं के लिए भी विषय वस्तु प्रदान की।

प्रश्न 19. इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को कौन-कौन से दो मुख्य शीर्षको में बांटते हैं ?


उत्तर - इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को मुख्य रूप से आख्यान तथा उपदेशात्मक शीर्षकों में बांटते हैं। आख्यान कहानियों का संग्रह है जबकि उपदेशात्मक भाग में सामाजिक आचार विचार के मानदंडों का चित्रण है।


प्रश्न 20. स्पष्ट कीजिए कि विशिष्ट परिवारों में पितृवंशिकता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी ?

उत्तर - पित्रवंशिकता से अभिप्राय ऐसी वंश परंपरा से है जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती है। विशिष्ट परिवारों में यह परंपरा निम्न दो कारणों से अनिवार्य रही होगी -

(1) वंश परंपरा को चलाने के लिए - धर्म सूत्रों के अनुसार वंश को पुत्र ही आगे बढ़ाते हैं पुत्रियां नहीं। इसलिए सभी परिवारों में उत्तम पुत्रों की प्राप्ति की कामना की जाती थी। यह बात ऋग्वेद के एक मंत्र से स्पष्ट हो जाती है। इसमें पुत्री के विवाह के समय पिता कामना करता है कि इंद्र के अनुग्रह से उसकी पुत्री को उत्तम पुत्र की प्राप्ति हो।

(2) उत्तराधिकार संबंधी झगड़ों से बचने के लिए -माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार में संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए कोई झगड़ा हो। राज परिवारों के संदर्भ में उत्तराधिकार में राजगद्दी भी शामिल थी। राजा की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र राजगद्दी का उत्तराधिकारी बन जाता था। इस प्रकार माता पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को उनके पुत्रों में बांट दिया जाता था। अधिकतर राजवंश लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही पितृवंशिकता प्रणाली का अनुसरण करते आ रहे थे।


प्रश्न 21. ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के अनुसार वर्ण -व्यवस्था के चार वर्णों का उदय किस प्रकार हुआ था ?

उत्तर - 'पुरुषसूक्त' के अनुसार वर्ण-व्यवस्था के चार वर्णों का उदय आदि मानव 'पुरुष' बली से हुआ था। उसका मुंह ब्राह्मण बना तथा उसकी भुजा से क्षत्रिय बना। वैश्य उसकी जंघा है और उसके पैरों से शूद्र की उत्पत्ति हुई।


प्रश्न 22. मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की झलक किस प्रकार देता है ?
उत्तर - मंदसौर (मध्य प्रदेश) से मिला अभिलेख तकरीबन पांचवी सदी ईसवी का है। इसमें रेशम के बुनकरों की एक श्रेणी को वर्णित किया गया है जो मूल रूप से लाट (गुजरात) प्रदेश के निवासी थे एवं वहां से मंदसौर चले गए थे, जिसे उस समय दसपुर के नाम से जानते थे। यह मुश्किल यात्रा उन्होंने अपने बच्चों एवं बांधवों के साथ संपन्न की। उन्होंने वहां के राजा की महानता के विषय में सुना था इसलिए वे उसके राज्य में बसना चाहते थे।

मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की पुष्टि करता है एवं श्रेणियों के स्वरूप के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यद्यपि श्रेणी की सदस्यता शिल्प में विशेषज्ञता पर आश्रित थी। कुछ सदस्य दूसरी जीविका भी अपना लेते थे। इस अभिलेख से यह भी पता चलता है कि सदस्य एक व्यवसाय के अलावा और वस्तुओं में भी सहभागी होते थे। सामूहिक रूप से उन्होंने
शिल्पकर्म से प्राप्त धन को सूर्य देवता के सम्मान में मंदिर के निर्माण कार्य पर खर्च किया।


प्रश्न 23 महाभारत के बारे में प्रख्यात इतिहासकार मौरिस विंटरनिट्ज की राय क्या थी ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - इसमें कोई संदेह नहीं कि महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है और तत्कालीन भारतीय समाज तथा जन जीवन के सभी पक्षों की एक सुंदर झांकी प्रस्तुत करता है। इसमें भारतीयों की आत्मा की गहराइयों तक बसी प्रत्येक बात तथा सोच का वर्णन मिलता है। यह महाकाव्य भारतीयों के जीवन पर निम्नलिखित प्रकाश डालता है :-

1. सामाजिक जीवन
1.चार वर्ण :- समाज चार वर्णों में बंटा हुआ था। वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर नहीं थी। लोगों के लिए अपना पैतृक व्यवसाय अपनाना आवश्यक नहीं था।

2. स्त्रियों की दशा :- स्त्रियों की दशा अच्छी थी। समाज में उनका बड़ा आदर था। स्वयंवर की प्रथा के अनुसार उन्हें अपना वर स्वयं चुनने का अधिकार था।

3.वीरता का युग :- महाभारत का काल वीरता का युग था। युद्ध में वीरगति प्राप्त करना बड़ा गर्व का विषय था। निर्बल की रक्षा करना भी बड़ी वीरता का कार्य समझा जाता था।

4. सामाजिक बुराइयां:- इस काल में समाज में कुछ बुराइयां भी व्याप्त थी। इनमें से जुआ खेलना,बहु-विवाह, शत्रुओं से धोखा करना आदि बातें प्रमुख थी।

2. राजनीतिक जीवन

1. विशाल साम्राज्य :- इस काल में अनेक विशाल साम्राज्य स्थापित हो चुके थे जिनमें पांडू, कौशल, पांचाल आदि राज्य प्रमुख थे।

2. राजा की शक्तियां :- उस समय राज्य का मुखिया राजा होता था। राज्य की सभी शक्तियां उसी के हाथ में थी। इन शक्तियों पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं थी। भले ही शासन कार्य में राजा को सलाह देने के लिए अनेक मंत्री थे, फिर भी उनकी सलाह मानना राजा के लिए आवश्यक नहीं था।

3. राजा का जीवन :- वीर काल में राजा बड़े ठाट बाट से रहते थे । उनके महल बड़े शानदार होते थे । वेट अनेक उपाधियां धारण करते थे । चक्रवर्ती सम्राट बनना उनकी बहुत बड़ी इच्छा होती थी। इस उद्देश्य से वे अश्वमेघ यज्ञ करते थे ।शराब पीना ,जुआ खेलना आदि बुराइयां भी उनके चरित्र में थी।

3.आर्थिक जीवन 


1. कृषि :- इस काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना था। यहां तक कि स्वयं राजा लोग भी हल चलाया करते थे। उस समय भूमि बड़ी उपजाऊ थी।

2. पशुपालन :- पशुपालन लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय था। उस समय के पालतू पशुओं में गाय, बैल, घोड़े तथा हाथी मुख्य थे।

3. व्यापार :- व्यापारियों ने अपने संघ बनाए हुए थे। उन्हें राज्य की ओर से अनेक सुविधाएं प्राप्त थी।

4.अन्य व्यवसाय :- उपरोक्त व्यवसायों के अतिरिक्त कुछ लोग बढ़ाई, लोहार, सुनार तथा रंगसाजीआदि का कार्य भी करते थे।

4.धार्मिक जीवन

1.नए देवी देवताओं की पूजा :- महाभारत काल में वैदिक आर्यों के देवी-देवताओं के साथ-साथ कुछ नए देवी -देवताओं की पूजा भी की जाने लगी। इनमें से पार्वती, दुर्गा , विष्णु, ब्रह्मा आदि प्रमुख थे।

2. अवतारवाद में विश्वास :- इस काल में लोग अवतारवाद में विश्वास रखने लगे थे। राम ,कृष्ण आदि को विष्णु का अवतार मानकर उसकी पूजा की जाने लगी।

3. कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म :- इस काल में लोग कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म में बड़ा विश्वास रखते थे । उनका विश्वास था कि प्रत्येक मनुष्य को अपने अच्छे या बुरे कर्मों का फल अगले जन्म में अवश्य भोगना पड़ता है।

4. यज्ञों पर बल :- महाकाव्य काल में लोग यज्ञों पर बल देते थे । यज्ञों की अनेक विधियां आरंभ हो गई थी। राजा लोग युद्धों के अवसर पर दिल खोलकर दान देते थे।

प्रश्न 24. "महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है।"उक्त कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर - यह कथन उचित है कि महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है। महाभारत दो परिवारों के बीच युद्ध का चित्रण है। इसके मुख्य पात्र सामाजिक मानदंडों का अनुसरण करते हैं और कभी-कभी उनकी अवहेलना की जाती है जो कि निम्नलिखित वर्णन से स्पष्ट होता है:-

1. बंधुता के रिश्तो में परिवर्तन: एक स्तर पर महाभारत इसी की कहानी है। यह बांधवों के दो दलों कौरव और पांडव के बीच भूमि और सत्ता को लेकर संघर्ष का चित्रण करती है। दोनों ही दल कुरु वंश से संबंधित थे। यह संघर्ष एक युद्ध में परिणित हुआ जिसमें पांडव विजयी हुए। यह संबंधियों में आपसी संघर्ष का उदाहरण है।

2. पितृवंशिक उत्तराधिकार का सुदृढ़ होना :- यद्यपि मित्र वंशिक उत्तराधिकार पहले से लागू था परंतु पांडवों की विजय के पश्चात यह आदर्श अधिक सुधार हो गया।

3. विवाह के नियम :- ऊंची प्रतिष्ठा वाले परिवारों की कम उम्र की कन्याओं और स्त्रियों का जीवन बहुत सावधानी से नियमित किया जाता था जिसमें 'उचित' समय और 'उचित' व्यक्ति से उनका विवाह किया जा सके।
4. कन्यादान अर्थात विवाह में कन्या की भेंट को पिता का महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना गया।
5. उस समय अंतर्विवाह, बहिर्विवाह, बहुपत्नी प्रथा और बहुपति प्रथा प्रचलित थी।
6. स्त्री का स्थान :- स्त्री का स्थान महत्वपूर्ण था। द्रोपदी का अपमान महाभारत युद्ध का कारण बना। कुंती का चरित्र और सम्मानजनक स्थिति स्त्रियों की अच्छी स्थिति का उदाहरण है। गांधारी ने दुर्योधन को युद्ध न करने का परामर्श दिया जिसे दुर्योधन ने नहीं माना और युद्ध में हारा।
7. द्यूत क्रीड़ा :- राजाओं में धुत क्रीडा का प्रचलन यह प्रदर्शित करता है कि उनमें बुराइयां आ गई थी। कौरवों द्वारा छल कपट का प्रयोग नैतिक पतन को प्रदर्शित करता है।
8. ब्राह्मणों ने समाज के लिए विस्तृत आचार संहिताएं तैयार की थी।


प्रश्न 25. साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?

उत्तर - साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
(i) ग्रंथ की भाषा क्या है ? यह आम लोगों की भाषा थी; जैसे- पाली, प्राकृत, तमिल आदि अथवा पुरोहितों या किसी विशेष वर्ग की भाषा थी, जैसे संस्कृत।

(ii) ग्रंथ किस प्रकार का है- मंत्रों के रूप में अथवा कथा के रूप में ?

(iii) ग्रंथ के लेखक की जानकारी प्राप्त करना जिसके दृष्टिकोण तथा विचारों से वह ग्रंथ लिखा गया था।

(iv) ग्रंथ किनके लिए रचा गया था, क्योंकि लेखक ने उनकी अभिरुचि का ध्यान रखा होगा।

(v) ग्रंथ के संभावित संकलन/रचनाकाल की जानकारी प्राप्त करना और उसकी रचना भूमि का विश्लेषण करना ।

(vi) ग्रंथ की रचना का स्थान।

Wednesday, March 25, 2020

अध्याय 2 राजा किसान और नगर (600 ईसा पूर्व से 600 ईसवी तक)

प्रश्न 1. अभिलेख किसे कहते हैं ?

उत्तर - जो लेख पत्थर, धातु , अथवा मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे होते हैं उन्हें अभिलेख कहा जाता है।


>अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियां, क्रियाकलाप अथवा विचार लिखे जाते हैं जो उन्हें बनवाते हैं।

> अभिलेख स्थाई साक्ष्य होते हैं।

>इनमें धार्मिक संस्थाओं को दिए गए दान का विवरण होता है।
> प्राचीनतम अभिलेख प्राकृत भाषाओं मैं लिखते थे। प्राकृत उन भाषाओं को कहते थे जो जन सामान्य की भाषाएं होती थी।
> अनेक अभिलेखों में इनके निर्माण की तिथि भी खुदी होती है।
> जिन अभिलेखों पर तिथि नहीं मिलती है उनका काल निर्धारण प्राय: पुरालिपि या लेखन शैली के आधार पर किया जाता है।
> अभिलेखों के अध्ययन को अभिलेखशास्त्र कहा जाता है।





प्रश्न 2. जेम्स प्रिंसेप कौन था ?

उत्तर -
[ ] जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इंडिया कंपनी का एक अधिकारी था।
[ ] जेम्स प्रिंसेप ने 1830 के दशक में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि का अर्थ निकाला।
[ ] इन लिपियों का उपयोग सबसे आरंभिक अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है।

प्रश्न 3. संगम ग्रंथ से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - संगम ग्रंथ तमिल भाषा के ग्रंथ हैं। यह एक प्रकार 
की कविताएं हैं जिनसे हमें पता चलता है कि तमिल क्षेत्र में सरदारों ने अपने स्रोतों का संकलन और वितरण किस प्रकार किया।

प्रश्न 4. अशोक के अभिलेख मुख्यत: किन लिपियों में मिलते हैं ?


उत्तर - अशोक के अभिलेख मुख्यतः ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में मिलते हैं ।

प्रश्न 5. आहत सिक्कों से आप क्या समझते हैं ?


उत्तर - चांदी एवं तांबे के आहत सिक्के सर्वप्रथम ढाले गयेे।
 इन सिक्कों पर प्रतीक चिन्हों को आहत करके उन्हें बनाया जाता था।

प्रश्न 6. अशोक के अभिलेखों की भाषा क्या है ?

उत्तर - अशोक के अभिलेख पाली और प्राकृत भाषा में लिखे गए।

प्रश्न 7. श्रेणी क्या थी ? इसका कार्य क्या था ?


उत्तर - श्रेणी उत्पादकों एवं व्यापारियों का एक संघ था।
ये श्रेणियां पहले कच्चे माल को खरीदती थी , फिर उनसे सामान निर्मित कर बाजार में बेच देती थी।

प्रश्न 8. अशोक के सिंह शीर्ष को आज क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है ?
उत्तर - भारत सरकार का अशोक के सिंह शीर्ष को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में अपनाया जाना महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 9. अग्रहार का क्या अर्थ है ?

उत्तर - अग्रहार उस भू-भाग को कहा जाता था जो ब्राह्मणों को दान में दिया जाता था।

प्रश्न 10 . जनपद का क्या अर्थ है ?

उत्तर - जनपद का अर्थ एक ऐसा भूखंड है जहां कोई जन ( लोग, कुल या जनजाति ) अपना पांव रखता है अथवा बस जाता है ।

 इस शब्द का प्रयोग प्राकृत और संस्कृत दोनों में मिलता है।

प्रश्न 11. महाजनपद से क्या अभिप्राय है ?



अथवा
प्रश्न 11. महाजनपदों की विशेषताएं बताइए।

उत्तर -
[
] बौद्ध एवं जैन धर्म के प्रारंभिक ग्रंथों में महाजनपद नाम से 16 राज्यों का जिक्र मिलता है जिनमें मगध ,कौशल, कुरु, पांचाल, गांधार, अवंती आदि प्रमुख थे।


[ ] अधिकतर महाजनपदों पर राजा का शासन होता था किंतु गण एवं संघ के नाम से मशहूर राज्यों में अनेक लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह के हर एक व्यक्ति को राजा कहते थे।

[ ] भगवान महावीर एवं भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबंधित थे।

[ ] हर एक महाजनपद की राजधानी होती थी जिसे अक्सर किले से घेरा जाता था । किलेबंद राजधानियों के रखरखाव एवं प्रारंभी सेनाओं और नौकरशाही के लिए बहुत भारी आर्थिक स्रोत की जरूरत होती थी।

[ ] शासकों का कार्य कृषकों, व्यापारियों एवं शिल्पकारों से लगान और भेंट वसूलना माना जाता था।

[ ] संपत्ति जुटाने का वैध तरीका पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके धन एकत्रित करना भी माना जाता था।


प्रश्न 12. कुछ स्मरणीय तथ्य-


[ ] मौर्य वंश का संस्थापक - चंद्रगुप्त मौर्य

[ ] बौद्ध ग्रंथों के अनुसार सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक -असोक

[ ] 16 महाजनपदों में शक्तिशाली महाजनपद - मगध

[ ] मगध की आरंभिक राजधानी - राजगाह(वर्तमान बिहार के राजगीर का प्राकृत नाम)

[ ] चौथी सदी ईसा पूर्व में मगध की राजधानी को राजगीर से पाटलिपुत्र बनाया गया जिसे अब पटना कहा जाता है।

[ ] धम्म के सिद्धांत की शुरुआत की - अशोक ने

[ ] मौर्य साम्राज्य की सैनिक गतिविधि संचालित की जाती थी - एक समिति व छ उप समिति द्वारा

[ ] जातक कथाएं किस महापुरुष से संबंधित है - महात्मा बुद्ध से

[ ] हर्ष चरित्र की रचना की थी - बाणभट्ट ने

[ ] सेठी आमतौर पर होते थे - धनी व्यापारी

[ ] भारत में सबसे पहले सोने के सिक्के जारी किए थे - कुषाणों ने

[ ] कुषाण वंश का सबसे शक्तिशाली शासक -कनिष्क

[ ] जेम्स प्रिसेप मुख्य उपलब्धि थी - ब्रह्मी व खरोष्ठी लिपि का अर्थ निकालना

[ ] इंडिका किताब के लेखक थे - मेगास्थनीज

[ ] प्रसिद्ध पुस्तक अष्टाध्याई की रचना की थी - पाणिनि ने

[ ] तमिल संगम साहित्य के अनुसार गांव में रहने वाले भिन्न-भिन्न वर्गों के लोग - वेल्लालर अथवा बड़े जमीदार, हलवाहा अथवा उल्लवर ,दास अथवा अणिमई।

[ ] दानात्मक अभिलेखों में धार्मिक संस्थाओं को दिए दान का ब्यौरा होता है।

[ ] पेरिप्लस यूनानी भाषा का शब्द है जिसका मतलब समुद्री यात्रा है एवं एरीथरि्यन यूनानी भाषा में लाल सागर को कहा जाता है।

[ ] ओलिगार्की अथवा समुहशासन उसे कहा जाता है जहां सत्ता पुरुषों के एक समूह के हाथ में होती है। रोमन गणराज्य एक समूहशासन का उदाहरण है।
प्रश्न 13. मगध के सबसे शक्तिशाली महाजनपद बनने के क्या कारण थे ?
उत्तर - 16 महाजनपदों में मगध प्रथम स्थान पर था। छठी से चौथी सदी ई. पू. में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद बन गया। इसके अनेक कारण थे :-
[ ] मगध क्षेत्र की भूमि उपजाऊ थी।
[ ] लोहे की खदानें सरलता से उपलब्ध थी जिससे हथियार एवं उपकरण बनाना आसान था।
[ ] जंगली क्षेत्रों में हाथी मुहैया थे जो सेना का एक अहम अंग था।
[ ] गंगा एवं इसकी उप नदियों से आवागमन एवं यातायात सस्ता एवं सुलभ था।
[ ] शासक अत्यधिक महत्वाकांक्षी थे।
[ ] राजधानियां सुरक्षित थी।

प्रश्न14. मौर्य साम्राज्य की जानकारी के प्रमुख स्रोत क्या है ?

उत्तर -
[ ] मेगस्थनीज की इंडिका

[ ] कौटिल्य का अर्थशास्त्र

[ ] जैन साहित्य

[ ] बौद्ध साहित्य

[ ] पौराणिक ग्रंथ

[ ] अशोक के अभिलेख

[ ] संस्कृत वांग्मय

प्रश्न 15. गुप्त साम्राज्य की जानकारी के प्रमुख स्रोत कौन से हैं ?

उत्तर
[ ] अभिलेख

[ ] सिक्के

[ ] साहित्य

[ ] प्रशस्तियां (प्रयाग प्रशस्ति समुद्रगुप्त हेतु)

प्रश्न 16 कौटिल्य के अर्थशास्त्र पर टिप्पणी लिखो।


उत्तर - कोटिल्य अथवा चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में मंत्री था । उसने अपनी पुस्तक "अर्थशास्त्र" में मौर्यकालीन समाज की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों का वर्णन किया है।

प्रश्न 17. मौर्य साम्राज्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।


उत्तर - मौर्य साम्राज्य को पांच प्रमुख राजनीति केंद्र में विभाजित किया गया था
 इसकी राजधानी पाटलिपुत्र और चार प्रांतीय केंद्र - तक्षशिला, उज्जयिनी,तोसली एवं सुवर्णगिरी ।
 इन सब का जिक्र अशोक के अभिलेखों में किया गया है। 
सेना प्रजा की सुरक्षा के लिए होती थी।

मेगास्थनीज ने सैनिक गतिविधियों के संचालन हेतु एक समिति एवं छ: उपसमितियों का वर्णन किया है ।

[ ] एक का कार्य नौ सेना का संचालन करना था ,

[ ] दूसरी यातायात एवं खानपान का संचालन करती थी ।

[ ] तीसरी का कार्य पैदल सैनिकों का संचालन

[ ] चौथी का अश्वारोहियों का संचालन करना

[ ] पांचवी का रथारोहियों संचालन करना

[ ] छठी का कार्य हाथियों का संचालन करना था।

दूसरी उप समिति का दायित्व विभिन्न प्रकार का था :-

1. उपकरणों को ढोने के लिए बैल गाड़ियों की व्यवस्था

2. सैनिकों के लिए भोजन और जानवरों के लिए चारे की व्यवस्था करना।

3. सैनिकों की देखभाल के लिए सेवकों और शिल्पकारो की नियुक्ति करना।

प्रश्न 18. मनुस्मृति क्या है ? इसमें राजा को क्या सलाह दी गई है?

उत्तर - मनुस्मृति प्रारंभिक भारत का सबसे प्रसिद्ध विधि ग्रंथ है। यह संस्कृत भाषा में है जिसकी रचना 200 ई.पू. से 200 ईसवी के बीच हुई थी । इसमें राजा को सलाह दी गई कि भूमि विवादों से बचने के लिए सीमाओं की गुप्त पहचान बनाकर रखनी चाहिए । इसके लिए सीमाओं पर ऐसी वस्तु दबाकर रखनी चाहिए जो समय के साथ नष्ट ना हो।

प्रश्न 19. "अभिलेख साक्ष्यों की भी सीमाएं होती हैं।" स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -
[ ] कई बार शिलालेखों के अक्षरों को हल्के ढंग से उत्कीर्ण किया जाता है जिन्हें पढ़ पाना कठिन होता है।

[ ] अभिलेख नष्ट भी हो सकते हैं जिससे अक्षर लुप्त हो जाते हैं।

[ ] अभिलेखों के शब्दों के वास्तविक अर्थ के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञान हो पाना हमेशा सरल नहीं होता क्योंकि 

     कुछ अर्थ किसी विशेष स्थान या समय से संबंधित होते हैं।

[ ] अभिलेख कालांतर में सुरक्षित नहीं बचे हैं।

[ ] जो अभिलेख अभी उपलब्ध हैं वह संभवत कुल अभिलेखों के अंश मात्र हैं।

[ ] अभिलेख हमेशा उन्हीं व्यक्तियों के विचार व्यक्त करते हैं जो उन्हें बनवाते थे।

प्रश्न 20. चंद्रगुप्त मौर्य कौन था ? इसका राज्य कहां तक फैला हुआ था ?

उत्तर - चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य वंश का संस्थापक था । उसने 321 ई. पू. में मौर्य वंश की स्थापना की थी। उसका राज्य पश्चिमोत्तर में अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक फैला हुआ था।

प्रश्न 21 बाणभट्ट तथा हर्षचरित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर - बाणभट्ट (लगभग सातवीं शताब्दी ई.)कन्नौज के शासक हर्षवर्धन का राज कवि था।
हर्षचरित बाणभट्ट द्वारा लिखी गई हर्षवर्धन की जीवनी है।

प्रश्न 22. अशोक द्वारा धारण की गई उपाधियों के नाम तथा उनके अर्थ बताओ।

उत्तर - अशोक ने देवानांप्रिय तथा पियदस्सी की उपाधि धारण की । देवानांप्रिय का अर्थ है देवताओं का प्रिय तथा पियदस्सी का अर्थ है देखने में सुंदर।

प्रश्न 23. प्रभावती गुप्त कौन थी ? उसके संबंध में कौन सा एक विरला उदाहरण मिलता है ?


उत्तर - प्रभावती गुप्त आरंभिक भारत के एक प्रसिद्ध शासक चंद्रगुप्त द्वितीय (375 से 415 ईसवी) की पुत्री थी ! उसका विवाह दक्कन पठार के वाकाटक परिवार में हुआ था । उसने भूमि दान दिया था जो किसी महिला द्वारा दान का विरला उदाहरण है।

प्रश्न 24. मुद्रा शास्त्र से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर - मुद्राशास्त्र सिक्कों का अध्ययन है। इसके साथ ही उन पर पाए जाने वाले चित्र, लिपि तथा उनकी धातुओं का विश्लेषण भी इसके अंतर्गत आता है।

प्रश्न 25. "गहपति" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।


उत्तर - गहपति घर का मुखिया होता था और घर में रहने वाली महिलाओं, बच्चों, नौकरों पर नियंत्रण करता था । पाली भाषा में इस शब्द का प्रयोग छोटे किसानों के लिए किया गया है।

प्रश्न 26. सोने के आरंभिक सिक्कों के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- सोने के सिक्के सर्वप्रथम प्रथम सदी ईस्वी में कुषाण राजाओं ने जारी किए थे। इन सिक्कों का आकार एवं वजन तत्कालीन रोमन सम्राटों एवं ईरान के पार्थियन शासकों द्वारा जारी सिक्कों के पूर्णतया समान था। बाद में गुप्त शासकों ने भी सोने के सिक्के चलाए। इनमें प्रयुक्त सोना अति उत्तम था।
















Tuesday, March 24, 2020

अध्याय 1 सिंधु घाटी की सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता)




प्रश्न 1. हड़प्पा संस्कृति को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से क्यों जाना जाता है ?                                               


उत्तर - हड़प्पा संस्कृति को सिंधु नदी की घाटी में फैले होने के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहते हैं। इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक स्थान जहां पर यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी के नाम पर किया गया है।

प्रश्न 2. हड़प्पा सभ्यता के दो प्रसिद्ध केंद्र कौनसे हैं ?

उत्तर - हड़प्पा संस्कृति के दो प्रसिद्ध केंद्र हड़प्पा और मोहनजोदड़ो हैं।
[ ] मोहनजोदड़ो सबसे लोकप्रिय पुरास्थल है ।
[ ] हड़प्पा सबसे पहले खोजा गया स्थल है।


प्रश्न 3. हड़प्पा सभ्यता की खोज कब और किसने की ?

उत्तर हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921-22 में दयाराम साहनी, रखाल दास बनर्जी और सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 4.  सर जॉन मार्शल कौन थे ?

उत्तर - सर जॉन मार्शल 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) थे। 1924 में उन्होंने पूरे संसार के सामने सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।

प्रश्न 5. हड़प्पा सभ्यता का काल बताइए।

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता का काल 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।


प्रश्न 6. हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्रोत कौन-से हैं ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता की जानकारी के प्रमुख स्त्रोत खुदाई में मिली इमारतें, मृदभांड, औजार, आभूषण, मूर्तियां, मोहरें, मनके,बाट इत्यादि हैं।

प्रश्न 7. हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल कौन से हैं ?

उत्तर हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल - नागेश्वर, धोलावीरा, लोथल, राखीगढ़ी, बनावली, कालीबंगन, बालाकोट, चन्हूदड़ो, कोटदीजी, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा हैं।






प्रश्न 8. हड़प्पा लिपि की विशेषताएं बताइए।


उत्तर:-
[ ] हड़प्पा लिपि वर्णमालीय नहीं थी, बल्कि चित्रमय थी।
[ ] हड़प्पा में पाई जाने वाली लिपि को पढ़ने में विद्वान अभी तक असमर्थ हैं।
[ ] हड़प्पा की लिपि दाएं से बाएं और लिखी जाती थी ।
[ ] इसमें चिन्हों की संख्या 375 से 400 के बीच थी।
[ ] अधिकतर अभिलेख संक्षिप्त हैं। सबसे लंबे अभिलेख में करीब 26 चिन्ह हैं।

प्रश्न 9. फयांस क्या होता है ?


उत्तर - घिसी हुई रेत या बालू एवं रंग तथा चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर बनाया गया बर्तन फयांस कहलाता है। फयांस से बने छोटे पात्र कीमती माने जाते थे क्योंकि इन्हें बनाना मुश्किल था।

प्रश्न 10. हड़प्पावासियों द्वारा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले प्रमुख साधनों का उल्लेख कीजिए 


उत्तर - तालाब, कुआं, नहर ।

प्रश्न 11. हड़प्पा सभ्यता के किन देशों के साथ व्यापारिक संबंध थे ?
उत्तर - सुमेर, ईरान, इराक, मिश्र।

प्रश्न 12. कनिंघम कौन थे ? कनिंघम का भ्रम क्या था ?

उत्तर -
[ ] कनिंघम भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल थे।
[ ] इनको भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण का जनक भी कहा जाता है।
[ ] कनिंघम से हड़प्पाई मुहर को समझने में भूल हुई थी।
[ ] वह हड़प्पा की मुहर का कालखंड सही से निर्धारित नहीं कर पाया था।
[ ] उनको भ्रम था कि भारतीय इतिहास का प्रारंभ गंगा की घाटी में पनपे पहले शहरों के साथ ही हुआ था।


प्रश्न 13. आर ए एम व्हीलर कौन था ? उनका भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण में क्या योगदान था ?

उत्तर - आर ई एम व्हीलर 1944 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल बने।
व्हीलर ने पहचाना कि एक समान क्षैतिज इकाइयों के आधार पर खुदाई की अपेक्षा टीले के स्तर विन्यास का अनुसरण करना ज्यादा जरूरी था।
"माई आर्कियोलॉजिकल मिशन टू इंडिया एंड पाकिस्तान 1976" के लेखक आर ई एम वील्हर हैं।

प्रश्न 14. हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता के पतन के संभावित कारण निम्नलिखित थे -
[ ] जलवायु परिवर्तन
[ ] वनों की कटाई
[ ] बाढ़
[ ] भूकंप
[ ] नदियों का मार्ग बदलना
[ ] नदियों का सूख जाना
[ ] बाहरी आक्रमण


प्रश्न 15. हड़प्पा सभ्यता के निवासी किन देवी देवताओं की पूजा करते थे ?

उत्तर - हड़प्पा सभ्यता के निवासी आद्य शिव, मातृ देवी, पशु, पक्षी और वृक्षों की पूजा करते थे।


प्रश्न 16. मोहनजोदड़ो में अनुमानित कुओं की संख्या थी-
उत्तरण - लगभग 700

प्रश्न 17 शंख से बनी वस्तुओं का प्रमुख केंद्र था-
उत्तर - नागेश्वर

प्रश्न 18 शिल्प उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र था -
उत्तर - चन्हूदड़ो। शिल्प कार्यों में मनके बनाना, शंख की कटाई, धातु कर्म, मोहर निर्माण, तथा चर्ट बाट बनाना सम्मिलित है।


प्रश्न 19. हड़प्पा सभ्यता में जीवन निर्वाह के तरीके क्या थे ?
उत्तर:-
[ ] हड़प्पा सभ्यता के निवासी अनेक प्रकार के पेड़ पौधों से प्राप्त उत्पाद एवं जानवरों जिनमें मछली सम्मिलित है से प्राप्त भोजन करते थे।
[ ] हड़प्पा स्थानों से मिले अनाज के दानों में गेहूं, जौ, दाल, सफेद चना और तिल सम्मिलित हैं। बाजरे के दाने गुजरात के स्थलों से हासिल हुए हैं।
[ ] हड़प्पा स्थलों से प्राप्त जानवरों की हड्डियों में मवेशियों, भेड़, बकरी, भैंस और सुअर की हड्डियां सम्मिलित हैं।

प्रश्न 20. हड़प्पा सभ्यता की लिपि कैसी थी ?

उत्तर - चित्रात्मक
प्रश्न 21. हड़प्पा निवासियों की कब्रों में मिली किन्हीं पांच वस्तुओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -
 1. मृदभांड                   2. खोपड़ियां तथा अस्थियां

3. शंखों के छल्ले           4. जैस्पर के मनके

5. आभूषण आदि

प्रश्न 22. हड़प्पावासियों की सामाजिक विभिन्नताओं को पहचानने की दो विधियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :-
1. शवाधान - स्थलों से मिले शवाधनों में आमतौर पर मृतकों को गर्तो में दफनाया गया था। इनके साथ मृदभांड आदि के अवशेष मिले हैं। शवाधानों के अध्ययन से सामाजिक आर्थिक विभिन्नता का पता चलता है।

2. विलासिता की वस्तुएं : सामाजिक भिन्नता को पहचानने की एक अन्य विधि है पूरावस्तुओं का अध्ययन। पुरातत्वविद् इन्हें मोटे तौर पर उपयोगी तथा विलास की वस्तुओं में वर्गीकृत करते हैं।


प्रश्न 23 हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं।


अथवा

आप कैसे कह सकते हैं कि हड़प्पा संस्कृति एक नगरीय सभ्यता थी ?

उत्तर -
(1) हां, यह एक नगरीय सभ्यता थी। इसकी सबसे प्रमुख विशेषता इसकी नगर निर्माण योजना है।

(2) हड़प्पा सभ्यता की बस्तियां दो भागों में विभाजित थी, दुर्ग तथा निचला शहर ।

(3) निचला शहर आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है तथा दुर्ग पर बनी संस्थाओं का प्रयोग संभवत विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए किया जाता था।

(4) हड़प्पा सभ्यता में सड़कों तथा गलियों को एकग्रीड पद्धति द्वारा बनाया गया था और ये एक दूसरे को

समकोण पर काटती थी।

(5) जल निकास प्रणाली अद्भुत थी । घरों की नालियोंको गलियों से जोड़ा जाता था। नालियां पक्की ईंटों से

बनाई गई थी।

(6) प्रत्येक घर में कुआं व स्नानागार थे।

(7) लोथल में डॉकयार्ड मिले हैं जिससे पता चलता हैकि ये मुख्य व्यापारिक केंद्र थे।

प्रश्न 24. हड़प्पा अथवा सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु कौन-सी है ? इसका निर्माण किस पदार्थ से हुआ और इन पर क्या उत्कीर्णीत है ?

उत्तर :-

(क) हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु हड़प्पाई मुहर है ।

(ख) मुहर सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई गई है।

(ग) इन पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र और एक ऐसी लिपि के चिन्ह उत्कीर्णित हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

प्रश्न 25. हड़प्पा सभ्यता में प्रयोग होने वाले बाटों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर

(i) बाट सूक्ष्म या परिशुद्ध प्रणाली द्वारा नियंत्रित थे ।

(ii) यह बाट चर्ट नामक पत्थर से बनाए जाते थे और घनाकार होते थे।

(iii) इन बाटों के निचले मानदंड द्विआधारी (1, 2, 4, 8, 16, 32, ...... 12800) थे जबकि ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली के अनुसार थे ।

(iv) छोटे बाटों का प्रयोग संभवतः आभूषणों और मनकों को तोलने के लिए किया जाता था।

(v) धातु से बने तराजू के पलड़े भी मिले हैं।

प्रश्न 26 हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए। इन पदार्थों को कैसे प्राप्त किया जाता था ?

उत्तर :- मनकों के निर्माण में प्रयुक्त पदार्थों की विविधता उल्लेखनीय है : कार्नेलियन (सुंदर लाल रंग का),जैस्पर, स्फटिक, क्वार्टज़, एवं सेलखड़ी जैसे पत्थर; तांबा, कांसा, और सोने जैसी धातुएं; एवं शंख, फयान्स, तथा पक्की मिट्टी, सभी का इस्तेमाल मनके बनाने में होता था।

शिल्प उत्पादन के लिए माल प्राप्त करने के अनेक तरीके थे। नागेश्वर एवं बालाकोट में जहां शंख सरलता से उपलब्ध था बस्तियां स्थापित की। ऐसे ही कुछ दूसरे पुरास्थल थे - सुदूर अफगानिस्तान में शोर्तूघई, जो अत्यधिक कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवर्द मणि के सबसे बढ़िया स्रोत के नजदीक स्थित था एवं लोथल जो कार्नेलियन (गुजरात में भड़ौंच), सेलखड़ी (दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात से), एवं धातु (राजस्थान से) स्रोतों के नजदीक स्थित था।

कच्चा माल प्राप्त करने की दूसरी नीति थी - राजस्थान के खेतड़ी अंचल (तांबे के लिए) एवं दक्षिण भारत (सोने के लिए) जैसे क्षेत्रों में अभियान भेजना।

प्रश्न 27. अन्य सभ्यताओं की अपेक्षा सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में हमारी जानकारी कम क्यों है ?

उत्तर :- हड़प्पा सभ्यता के बारे में हमारी जानकारी कम होने के निम्न कारण हैं :-


(1) इस सभ्यता की लिपि को आज तक पढ़ा नहीं जा सका है।


(2) केवल पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन करते हुए अनुमान के आधार पर ही सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में (सभ्यता का काल व विकास) जानकारी प्राप्त कर पाए हैं जबकि अन्य सभ्यताओं के बारे में जानकारी का मुख्य आधार उनकी लिपि को पढ़ा जाना है।


प्रश्न 28 मुहरें और मुद्रांकन पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर :- लंबी दूरी के संपर्कों को आरामदायक बनाने के लिए मुहरों और मुद्रांकनों का प्रयोग किया जाता था। मान लीजिए कि सामान से भरा एक थैला एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा गया। उसका मुख रस्सी से बांधा गया एवं गांठ पर थोड़ी गीली मिट्टी जमा कर एक अथवा ज्यादा मुहरों से दबाया गया, जिससे मिट्टी पर मुहरों की छाप पड़ गई। अगर थैले के अपने गंतव्य जगह पर पहुंचने तक मुद्रांकन अक्षुण्ण रहा तो उसका मतलब था थैले के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई थी। मुद्रांकन से प्रेषक की पहचान भी मालूम होती थी।


प्रश्न 28 मेसोपोटामिया के लेखों में निम्न शब्द किसके लिए प्रयुक्त होते थे-
उत्तर :-
मगान - ओमान
दिलमुन - बहरीन द्वीप
मेलूहा - हड़प्पा
हाजा पक्षी - मोर
शमन - शमन वे महिलाएं एवं पुरुष होते हैं जो जादुई एवं इलाज करने की ताकत होने एवं साथ ही दूसरी दुनिया से संपर्क साधने के सामर्थ्य का दावा करते हैं।

प्रश्न 29 हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक प्रथाओं की व्याख्या में पुरातत्त्वविदों को क्या समस्याएं आई ?

उत्तर :- शायद सबसे ज्यादा धार्मिक प्रथाओं के पुनर्निर्माण के प्रयत्नों में पुरातात्विक व्याख्या की समस्याएं सामने आती है। प्रारंभिक पुरातत्वविदों को लगता था कि कुछ वस्तुएं जो असामान्य एवं अपरिचित लगती थी शायद धार्मिक महत्व की होती थी।

>इनमें आभूषणों से लदी हुई नारी मृण्मूर्तियां जिनमें से कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे, सम्मिलित हैं इन्हें मातृदेवी की संज्ञा दी गई थी।

> मानकीकृत मुद्रा में हाथ घुटने पर बैठा हुआ पुरुष को पुरोहित राजा मानना।

>विशाल स्नानागार और कालीबंगन तथा लोथल से मिली वेदियों को अनुष्ठानिक महत्व की मानना।

> मुहरों पर कुछ अनुष्ठान के दृश्य बने हैं, के निरीक्षण से धार्मिक आस्थाओं व प्रथाओं को पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया है।

> पेड़ पौधों वाली मुहरे प्रकृति की पूजा का संकेत है।

> कुछ मुहरों पर पालथी मारकर योगी की मुद्रा में आकृति है जिसको आद्यशिव की संज्ञा दी गई है।

> पत्थर की शंक्वाकार वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।


प्रश्न 30 इतिहासकार किस प्रकार से इतिहास का पुनर्निर्माण करते हैं ?

उत्तर :-
(1) हड़प्पाई लिपि से इस सभ्यता के विषय में कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है। केवल भौतिक साक्ष्य हैं जो पुरातत्त्वविदों को हड़प्पाई इतिहास को पुनर्निर्मित करने में सहायक हैं। यह वस्तुएं मृदभांड, औजार, आभूषण और घरेलू सामान हो सकते हैं।

(2) उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जैविक पदार्थ नष्ट हो जाते हैं परन्तु पत्थर, पक्की मिट्टी और धातु की वस्तुएं बच जाती हैं।

(3) सिर्फ टूटी हुई या अनुपयोगी वस्तुएं ही फेंके जाती थी। दूसरी वस्तुएं दोबारा चक्रित की जाती थी। जो बहुमूल्य वस्तुएं अक्षत स्थिति में मिलती हैं या तो वे अतीत में खो गई थी या फिर संचयन के बाद कभी पुनः प्राप्त नहीं की गई थी।

(4) खोजो का वर्गीकरण - पुरातत्वविद अपनी खोजों को विभाजित करते हैं। विभाजन का एक सामान्य सिद्धांत प्रयुक्त पदार्थों तथा उनकी उपयोगिता के आधार पर होता है। पुरातत्वविदों को यह निश्चित करना पड़ता है कि कोई पुरावस्तु एक औजार है,ल एक आभूषण है या फिर दोनों या अनुष्ठानिक प्रयोग की कोई वस्तु।

(5) इसमें पुरावस्तु की उपयोगिता की तुलना वर्तमान समय से की जाती है जैसे मनके, चक्कियां। उपयोगिता में वह जांच करते हैं कि वस्तु घर में, नाले में या कब्र में कहां मिली थी।

(6) अप्रत्यक्ष साक्ष्यों का प्रयोग - कभी-कभी पुरातत्वविदों को अप्रत्यक्ष प्रमाणों का सहारा लेना पड़ता है। जैसे कुछ हड़प्पा स्थलों में कपास के टुकड़े मिले हैं लेकिन पहनावे के बारे में जानने के लिए मूर्तियों में चित्रण पर आश्रित रहना पड़ता है।

(7) असामान्य और अपरिचित वस्तुओं की व्याख्या धार्मिक प्रथाओं आदि के रूप में की जाती है, जैसे -

>आभूषणों से लदी हुई नारी मृण्मूर्तियां जिनमें से कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे, सम्मिलित हैं इन्हें मातृदेवी की संज्ञा दी गई थी।

> मानकीकृत मुद्रा में हाथ घुटने पर बैठा हुआ पुरुष को पुरोहित राजा मानना।

>विशाल स्नानागार और कालीबंगन तथा लोथल से मिली वेदियों को अनुष्ठानिक महत्व की मानना।

> मुहरों पर कुछ अनुष्ठान के दृश्य बने हैं, के निरीक्षण से धार्मिक आस्थाओं व प्रथाओं को पुनर्निर्मित करने का प्रयत्न किया गया है।

> पेड़ पौधों वाली मुहरे प्रकृति की पूजा का संकेत है।

> कुछ मुहरों पर पालथी मारकर योगी की मुद्रा में आकृति है जिसको आद्यशिव की संज्ञा दी गई है।

> पत्थर की शंक्वाकार वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।


प्रश्न 31 हड़प्पावासी सुदूर क्षेत्रों से किस प्रकार संपर्क बनाए रखते थे ? स्पष्ट कीजिए,।

अथवा
प्रश्न 31 हड़प्पाई लोगों ने व्यापार के लिए पश्चिमी एशिया के साथ संपर्क स्थापित किया। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :-
सुदूर क्षेत्रों से संपर्क के द्वारा भी कच्चा माल प्राप्त किया जाता था।
(1) तांबा संभवतः अरब प्रायद्वीप के दक्षिण पश्चिमी छोर पर स्थित ओमान से लाया जाता था

(2) रासायनिक विश्लेषण दिखाते हैं किओमानी तांबे तथा हड़प्पाई पूरावस्तुओं दोनों में निकल के अंश मिले हैं जो दोनों के साझा उद्भव की तरफ इशारा करते हैं।

(3) एक बड़ा हड़प्पाई मर्तबान काली मिट्टी की मोटी परत वाला ओमानी स्थलों से मिला है। संभव है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग इसमें रखे सामान का ओमानी तांबे से विनिमय करते थे।

(4) तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में दिनांकित मेसोपोटामिया के लेखों में मगान जो शायद ओमान के लिए प्रयुक्त नाम था, नामक इलाके से तांबे के आगमन के संदर्भ मिलते हैं। मेसोपोटामिया के स्थलों से मिले तांबे से भी निकल के अंश प्राप्त हैं।

(5) मेसोपोटामिया के लेख मेलूहा(हड़प्पा) से हासिल निम्र उत्पादों का उल्लेख करते हैं- लाजवर्द मणि, तांबा, सोना, कार्निलियन, विविध प्रकार की लकड़ियां।

(6) यह अनुमान है कि ओमान, बहरीन या मेसोपोटामिया से संपर्क सामुद्रिक मार्ग से रहा होगा क्योंकि मेसोपोटामिया के लेख मेलुहा ( हड़प्पाई क्षेत्र) को नाविकों का देश कहते हैं

(7) इसके अलावा मोहरों पर जहाजों एवं नावों के चित्र प्राप्त है।





























CBSE PAPER & ANSWER KEY 19-20