प्रश्न 1. महाभारत की कथावस्तु का संबंध किससे है ?
उत्तर - महाभारत की प्रमुख कथा दो परिवारों के मध्य युद्ध का चित्रण है। ये परिवार थे कौरव तथा पांडव जो आपस में बांधव( चचेरे भाई) थे।
प्रश्न 2. धर्म सूत्र और धर्म शास्त्र क्या थे ?
उत्तर - समाज के लिए विस्तृत आचार संहिता का संकलन।
प्रश्न 3. मनुस्मृति क्या थी ? मनुस्मृति का संकलन कब हुआ ?
उत्तर -मनु द्वारा संकलित धर्म शास्त्रों और धर्म सूत्रों में सबसे बड़ा ग्रंथ। मनुस्मृति का संकलन 200 ईसा पूर्व से 200 ई. के बीच हुआ था।
प्रश्न 4. पित्रवंशिकता और मात्रवंशिकता शब्दों का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - पित्रवंशिता का अर्थ है वह वंश परंपरा जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, और पृपौत्र आदि से चलती है।मातृवंशिकता शब्द का प्रयोग तब करते हैं जहां वंश परंपरा मां से जुड़ी होती है।
दूसरे शब्दों में, पित्रवंशिकता का अर्थ परिवार में पिता की प्रधानता और मातृवंशिकता का अर्थ परिवार में माता की प्रधानता से है।
प्रश्न 5. विवाह संबंधी अंतर्विवाह और बर्हिविवाह पद्धति का क्या अर्थ है ?
ऊपर - अन्तर्विवाह में वैवाहिक संबंध समूह के बीच ही होते हैं। यह एक समूह, एक गोत्र,कुल या एक जाति अथवा फिर एक ही स्थान पर बसने वालों का हो सकता है। बहिर्विवाह गोत्र से बाहर विवाह करने को कहा जाता है।
प्रश्न 6. ब्राह्मणीय पद्धति के अनुसार गोत्र संबंधी नियम क्या थे ?
उत्तर - तकरीबन 1000 ई. पु. वर्गीकरण हेतु गोत्र पद्धति प्रचलन में आई। इसके प्रचलन का मुख्य उद्देश्य गोत्र के आधार पर ब्राह्मणों का वर्गीकरण करना था। प्रत्येक गोत्र एक वैदिक ऋषि के नाम पर होता था। उस गोत्र के सदस्यों को ऋषि का वंशज माना जाता था। गोत्रों के दो नियम अहम थे। विवाह के बाद स्त्रियों को पिता की जगह पति के गोत्र का माना जाता था और एक ही गोत्र के सदस्य परस्पर विवाह नहीं कर सकते थे।
प्रश्न 7. धर्म शास्त्रों के अनुसार स्त्री धन किसे कहा गया है ?
उत्तर - विवाह के अवसर पर माता-पिता व स्वजनों द्वारा दिए गए उपहार स्वरूप धन-संपत्ति पर स्त्रियों का स्वामित्व होता था, इसे स्त्री धन कहा जाता था। इस संपति को उनकी संतान विरासत के रूप में हासिल कर सकती थी। इस संपत्ति पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था।
प्रश्न 8. महाभारत कथा के मूल लेखक कौन थे ?
उत्तर - महाभारत की मूल कथा के रचयिता संभवतः भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था । साहित्यिक परंपरा के अनुसार इस बृहत रचना के रचयिता ऋषि व्यास थे जिन्होंने श्री गणेश से यह ग्रंथ लिखवाया।
प्रश्न 9. मातृ नाम के उदाहरण....बृहदारण्यक ..... उपनिषद में मिलते हैं।
प्रश्न 10. बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ ..... त्रिपिटक.......हैं-(सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक।)
प्रश्न 11. "धर्मसूत्रों और धर्म शास्त्रों में चार वर्गों के लिए आदर्श जीविका से जुड़े नियम भी मिलते हैं।" इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर - धर्मशास्त्रों व धर्मसूत्रों में चार वर्णों के लिए आदर्श जीविका से संबंधित कुछ नियम मिलते हैं-
1. ब्राह्मण- अध्ययन, वेदों की शिक्षा, यज्ञ करना व करवाना, दान देना और लेना।
2. क्षत्रिय - युद्ध करना, लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, न्याय करना, वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना।
3. वैश्य - वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना, कृषि करना, गौपालन, व्यापार।
4. शूद्र - तीनों उच्च वर्णों की सेवा करना।
इन नियमों का पालन करवाने हेतु ब्राह्मणों ने दो - तीन नीतियां अपनाई ।
(1) वर्ण व्यवस्था ईश्वर्य देन है।
(2) शासकों द्वारा इस वयवस्था को लागू करवाना।
(3) लोगों को यह विश्वास दिलाना कि उनकी यह प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है।
प्रश्न 12 वणिक शब्द का प्रयोग ....व्यापारियों..... के लिए प्रयुक्त किया जाता था।
प्रश्न 13. युग्म सुमेलित कीजिए -
उत्तर -
रामायण - वाल्मीकि
महाभारत - वेदव्यास
अष्टाध्याई - पाणिनि
त्रिपिटक - बौद्ध ग्रंथ
मनुस्मृति - धर्मशास्त्र
प्रश्न 14. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण कैसे एवं किसके द्वारा तैयार किया गया ?
उत्तर - 1919 में संस्कृत भाषा के एक महान विद्वान (जिनका नाम वी.एस. सुक्थांकर था) ,के नेतृत्व में एक बहुत महत्वकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई |
इस परियोजना का उद्देश्य था महाभारत नामक महान महाकव्य की विभिन्न जगहों से प्राप्त विभिन्न पांडुलिपियों को इकठ्ठा करके एक किताब का रूप देना । बहुत सारे बड़े बड़े विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण (Edition) तैयार करने की जिम्मेदारी उठाई | विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए गए श्लोकों की तुलना करने का एक तरीका ढूँढ निकाला। विद्वानों ने उन श्लोको को चुना जो लगभग सभी पांडुलिपियों में लिखे हुए थे। इन सब का प्रकाशन लगभग 13000 पन्नो में फैले अनेक ग्रन्थ खण्डों में हुआ |इस परियोजना को पूरा करने में 47 साल लगे |
प्रश्न 15. बहुपत्नी और बहुपति प्रथा क्या थी ?
उत्तर - बहुपत्नी प्रथा में एक से ज्यादा स्त्रियों से शादी की जाती है।(ऐसा सातवाहन राजाओ में होता था )
बहुपति प्रथा में एक से अधिक पुरुषों से शादी की जाती है | {उदाहरण के लिए : द्रोपदी }
प्रश्न 16. क्या माताओं को महत्वपूर्ण समझा जाता था ? (600 ई.पू से 600 ई.)
उत्तर - इतिहास में बहुत से ऐसे किस्से हैं जिनसे पता चलता है कि 600 ई.पू से 600 ई. के शुरूआती समाज में माताओं को भी महत्वपूर्ण समझा जाता था |
ऐसा ही एक किस्सा है सातवाहन राजाओं का, सातवाहन राजा अपने नाम से पहले अपनी माता का नाम लगाते थे, जिससे यह पता चलता है कि माताओं को भी महत्वपूर्ण माना जाता था |
उदाहरण के लिए : राजा गोतमी पुत्त सीरी सातकनि {यह राजा का नाम है}
प्रश्न 17. मनुस्मृति के अनुसार चांडालों के कर्तव्य क्या थे ?
उत्तर - शवों की अंत्येष्टि एवं मृत जानवरों को छूने वालों को चांडाल कहते थे। उन्हें वर्ण व्यवस्था वाले समाज में सबसे निम्न श्रेणी में रखा जाता था।
मनुस्मृति में चांडालों के "कर्तव्यों" की एक तालिका मिलती है।
(1) उन्हें गांव से बाहर रहना पड़ता था।
(2) वे फैंके हुए बर्तनों का प्रयोग करते थे, मरे हुए लोगों के कपड़े एवं लोहे के आभूषण पहनते थे।
(3) रात में वे गांव एवं नगरों में चल फिर नहीं सकते थे।
(4) संबंधियों से विहीन मरे हुए लोगों की उन्हें अंत्येष्टि करनी पड़ती थी। उन्हें जल्लाद के रूप में भी कार्य करना पड़ता था।
चीन से आए बौद्ध भिक्षु फा-शिएन (तकरीबन पांचवी सदी ई.) का कहना है कि अस्पृश्यों को सड़क पर चलते हुए करताल बजाकर अपने होने की जानकारी देनी पड़ती थी जिससे दूसरे लोग उन्हें देखने के दोष से बच जाएं।
एक अन्य चीनी यात्री ह्वेनसांग (तकरीबन सातवीं सदी ईसवी) कहता है कि वधिक एवं सफाई करने वालों को नगर से बाहर रहना पड़ता था।
प्रश्न 18. "महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है।" समझाइए।
उत्तर - महाभारत एक गतिशील ग्रंथ रहा है। महाभारत का विकास केवल संस्कृत भाषा तक ही सीमित नहीं था। शताब्दियों से इस महाकाव्य के कई पाठांतर अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए। यह सब उस संवाद को दिखाते थे जो इनके लेखकों, दूसरे लोगों एवं समुदाय के मध्य कायम हुए। कई कहानियां जिनका उद्भव एक खास क्षेत्र में हुआ एवं जिनका खास लोगों के मध्य प्रसार हुआ, वे सब इस महाकाव्य में समाहित कर ली गई। इसके अलावा इस महाकाव्य की मुख्य कथा की कई पुर्नव्याख्याएं की गई । इसके प्रसंगों को मूर्तिकला एवं चित्रों में भी दिखाया गया। इस महाकाव्य ने नाटकों एवं नृत्य कलाओं के लिए भी विषय वस्तु प्रदान की।
प्रश्न 19. इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को कौन-कौन से दो मुख्य शीर्षको में बांटते हैं ?
उत्तर - इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को मुख्य रूप से आख्यान तथा उपदेशात्मक शीर्षकों में बांटते हैं। आख्यान कहानियों का संग्रह है जबकि उपदेशात्मक भाग में सामाजिक आचार विचार के मानदंडों का चित्रण है।
प्रश्न 20. स्पष्ट कीजिए कि विशिष्ट परिवारों में पितृवंशिकता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी ?
उत्तर - पित्रवंशिकता से अभिप्राय ऐसी वंश परंपरा से है जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती है। विशिष्ट परिवारों में यह परंपरा निम्न दो कारणों से अनिवार्य रही होगी -
(1) वंश परंपरा को चलाने के लिए - धर्म सूत्रों के अनुसार वंश को पुत्र ही आगे बढ़ाते हैं पुत्रियां नहीं। इसलिए सभी परिवारों में उत्तम पुत्रों की प्राप्ति की कामना की जाती थी। यह बात ऋग्वेद के एक मंत्र से स्पष्ट हो जाती है। इसमें पुत्री के विवाह के समय पिता कामना करता है कि इंद्र के अनुग्रह से उसकी पुत्री को उत्तम पुत्र की प्राप्ति हो।
(2) उत्तराधिकार संबंधी झगड़ों से बचने के लिए -माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार में संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए कोई झगड़ा हो। राज परिवारों के संदर्भ में उत्तराधिकार में राजगद्दी भी शामिल थी। राजा की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र राजगद्दी का उत्तराधिकारी बन जाता था। इस प्रकार माता पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को उनके पुत्रों में बांट दिया जाता था। अधिकतर राजवंश लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही पितृवंशिकता प्रणाली का अनुसरण करते आ रहे थे।
प्रश्न 21. ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के अनुसार वर्ण -व्यवस्था के चार वर्णों का उदय किस प्रकार हुआ था ?
उत्तर - 'पुरुषसूक्त' के अनुसार वर्ण-व्यवस्था के चार वर्णों का उदय आदि मानव 'पुरुष' बली से हुआ था। उसका मुंह ब्राह्मण बना तथा उसकी भुजा से क्षत्रिय बना। वैश्य उसकी जंघा है और उसके पैरों से शूद्र की उत्पत्ति हुई।
प्रश्न 22. मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की झलक किस प्रकार देता है ?
उत्तर - मंदसौर (मध्य प्रदेश) से मिला अभिलेख तकरीबन पांचवी सदी ईसवी का है। इसमें रेशम के बुनकरों की एक श्रेणी को वर्णित किया गया है जो मूल रूप से लाट (गुजरात) प्रदेश के निवासी थे एवं वहां से मंदसौर चले गए थे, जिसे उस समय दसपुर के नाम से जानते थे। यह मुश्किल यात्रा उन्होंने अपने बच्चों एवं बांधवों के साथ संपन्न की। उन्होंने वहां के राजा की महानता के विषय में सुना था इसलिए वे उसके राज्य में बसना चाहते थे।
मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की पुष्टि करता है एवं श्रेणियों के स्वरूप के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यद्यपि श्रेणी की सदस्यता शिल्प में विशेषज्ञता पर आश्रित थी। कुछ सदस्य दूसरी जीविका भी अपना लेते थे। इस अभिलेख से यह भी पता चलता है कि सदस्य एक व्यवसाय के अलावा और वस्तुओं में भी सहभागी होते थे। सामूहिक रूप से उन्होंने
शिल्पकर्म से प्राप्त धन को सूर्य देवता के सम्मान में मंदिर के निर्माण कार्य पर खर्च किया।
प्रश्न 23 महाभारत के बारे में प्रख्यात इतिहासकार मौरिस विंटरनिट्ज की राय क्या थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इसमें कोई संदेह नहीं कि महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है और तत्कालीन भारतीय समाज तथा जन जीवन के सभी पक्षों की एक सुंदर झांकी प्रस्तुत करता है। इसमें भारतीयों की आत्मा की गहराइयों तक बसी प्रत्येक बात तथा सोच का वर्णन मिलता है। यह महाकाव्य भारतीयों के जीवन पर निम्नलिखित प्रकाश डालता है :-
1. सामाजिक जीवन
1.चार वर्ण :- समाज चार वर्णों में बंटा हुआ था। वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर नहीं थी। लोगों के लिए अपना पैतृक व्यवसाय अपनाना आवश्यक नहीं था।
2. स्त्रियों की दशा :- स्त्रियों की दशा अच्छी थी। समाज में उनका बड़ा आदर था। स्वयंवर की प्रथा के अनुसार उन्हें अपना वर स्वयं चुनने का अधिकार था।
3.वीरता का युग :- महाभारत का काल वीरता का युग था। युद्ध में वीरगति प्राप्त करना बड़ा गर्व का विषय था। निर्बल की रक्षा करना भी बड़ी वीरता का कार्य समझा जाता था।
4. सामाजिक बुराइयां:- इस काल में समाज में कुछ बुराइयां भी व्याप्त थी। इनमें से जुआ खेलना,बहु-विवाह, शत्रुओं से धोखा करना आदि बातें प्रमुख थी।
2. राजनीतिक जीवन
1. विशाल साम्राज्य :- इस काल में अनेक विशाल साम्राज्य स्थापित हो चुके थे जिनमें पांडू, कौशल, पांचाल आदि राज्य प्रमुख थे।
2. राजा की शक्तियां :- उस समय राज्य का मुखिया राजा होता था। राज्य की सभी शक्तियां उसी के हाथ में थी। इन शक्तियों पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं थी। भले ही शासन कार्य में राजा को सलाह देने के लिए अनेक मंत्री थे, फिर भी उनकी सलाह मानना राजा के लिए आवश्यक नहीं था।
3. राजा का जीवन :- वीर काल में राजा बड़े ठाट बाट से रहते थे । उनके महल बड़े शानदार होते थे । वेट अनेक उपाधियां धारण करते थे । चक्रवर्ती सम्राट बनना उनकी बहुत बड़ी इच्छा होती थी। इस उद्देश्य से वे अश्वमेघ यज्ञ करते थे ।शराब पीना ,जुआ खेलना आदि बुराइयां भी उनके चरित्र में थी।
3.आर्थिक जीवन
1. कृषि :- इस काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना था। यहां तक कि स्वयं राजा लोग भी हल चलाया करते थे। उस समय भूमि बड़ी उपजाऊ थी।
2. पशुपालन :- पशुपालन लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय था। उस समय के पालतू पशुओं में गाय, बैल, घोड़े तथा हाथी मुख्य थे।
3. व्यापार :- व्यापारियों ने अपने संघ बनाए हुए थे। उन्हें राज्य की ओर से अनेक सुविधाएं प्राप्त थी।
4.अन्य व्यवसाय :- उपरोक्त व्यवसायों के अतिरिक्त कुछ लोग बढ़ाई, लोहार, सुनार तथा रंगसाजीआदि का कार्य भी करते थे।
4.धार्मिक जीवन
1.नए देवी देवताओं की पूजा :- महाभारत काल में वैदिक आर्यों के देवी-देवताओं के साथ-साथ कुछ नए देवी -देवताओं की पूजा भी की जाने लगी। इनमें से पार्वती, दुर्गा , विष्णु, ब्रह्मा आदि प्रमुख थे।
2. अवतारवाद में विश्वास :- इस काल में लोग अवतारवाद में विश्वास रखने लगे थे। राम ,कृष्ण आदि को विष्णु का अवतार मानकर उसकी पूजा की जाने लगी।
3. कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म :- इस काल में लोग कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म में बड़ा विश्वास रखते थे । उनका विश्वास था कि प्रत्येक मनुष्य को अपने अच्छे या बुरे कर्मों का फल अगले जन्म में अवश्य भोगना पड़ता है।
4. यज्ञों पर बल :- महाकाव्य काल में लोग यज्ञों पर बल देते थे । यज्ञों की अनेक विधियां आरंभ हो गई थी। राजा लोग युद्धों के अवसर पर दिल खोलकर दान देते थे।
प्रश्न 24. "महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है।"उक्त कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर - यह कथन उचित है कि महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है। महाभारत दो परिवारों के बीच युद्ध का चित्रण है। इसके मुख्य पात्र सामाजिक मानदंडों का अनुसरण करते हैं और कभी-कभी उनकी अवहेलना की जाती है जो कि निम्नलिखित वर्णन से स्पष्ट होता है:-
1. बंधुता के रिश्तो में परिवर्तन: एक स्तर पर महाभारत इसी की कहानी है। यह बांधवों के दो दलों कौरव और पांडव के बीच भूमि और सत्ता को लेकर संघर्ष का चित्रण करती है। दोनों ही दल कुरु वंश से संबंधित थे। यह संघर्ष एक युद्ध में परिणित हुआ जिसमें पांडव विजयी हुए। यह संबंधियों में आपसी संघर्ष का उदाहरण है।
2. पितृवंशिक उत्तराधिकार का सुदृढ़ होना :- यद्यपि मित्र वंशिक उत्तराधिकार पहले से लागू था परंतु पांडवों की विजय के पश्चात यह आदर्श अधिक सुधार हो गया।
3. विवाह के नियम :- ऊंची प्रतिष्ठा वाले परिवारों की कम उम्र की कन्याओं और स्त्रियों का जीवन बहुत सावधानी से नियमित किया जाता था जिसमें 'उचित' समय और 'उचित' व्यक्ति से उनका विवाह किया जा सके।
4. कन्यादान अर्थात विवाह में कन्या की भेंट को पिता का महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना गया।
5. उस समय अंतर्विवाह, बहिर्विवाह, बहुपत्नी प्रथा और बहुपति प्रथा प्रचलित थी।
6. स्त्री का स्थान :- स्त्री का स्थान महत्वपूर्ण था। द्रोपदी का अपमान महाभारत युद्ध का कारण बना। कुंती का चरित्र और सम्मानजनक स्थिति स्त्रियों की अच्छी स्थिति का उदाहरण है। गांधारी ने दुर्योधन को युद्ध न करने का परामर्श दिया जिसे दुर्योधन ने नहीं माना और युद्ध में हारा।
7. द्यूत क्रीड़ा :- राजाओं में धुत क्रीडा का प्रचलन यह प्रदर्शित करता है कि उनमें बुराइयां आ गई थी। कौरवों द्वारा छल कपट का प्रयोग नैतिक पतन को प्रदर्शित करता है।
8. ब्राह्मणों ने समाज के लिए विस्तृत आचार संहिताएं तैयार की थी।
प्रश्न 25. साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर - साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
(i) ग्रंथ की भाषा क्या है ? यह आम लोगों की भाषा थी; जैसे- पाली, प्राकृत, तमिल आदि अथवा पुरोहितों या किसी विशेष वर्ग की भाषा थी, जैसे संस्कृत।
(ii) ग्रंथ किस प्रकार का है- मंत्रों के रूप में अथवा कथा के रूप में ?
(iii) ग्रंथ के लेखक की जानकारी प्राप्त करना जिसके दृष्टिकोण तथा विचारों से वह ग्रंथ लिखा गया था।
(iv) ग्रंथ किनके लिए रचा गया था, क्योंकि लेखक ने उनकी अभिरुचि का ध्यान रखा होगा।
(v) ग्रंथ के संभावित संकलन/रचनाकाल की जानकारी प्राप्त करना और उसकी रचना भूमि का विश्लेषण करना ।
(vi) ग्रंथ की रचना का स्थान।
उत्तर - महाभारत की प्रमुख कथा दो परिवारों के मध्य युद्ध का चित्रण है। ये परिवार थे कौरव तथा पांडव जो आपस में बांधव( चचेरे भाई) थे।
प्रश्न 2. धर्म सूत्र और धर्म शास्त्र क्या थे ?
उत्तर - समाज के लिए विस्तृत आचार संहिता का संकलन।
प्रश्न 3. मनुस्मृति क्या थी ? मनुस्मृति का संकलन कब हुआ ?
उत्तर -मनु द्वारा संकलित धर्म शास्त्रों और धर्म सूत्रों में सबसे बड़ा ग्रंथ। मनुस्मृति का संकलन 200 ईसा पूर्व से 200 ई. के बीच हुआ था।
प्रश्न 4. पित्रवंशिकता और मात्रवंशिकता शब्दों का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - पित्रवंशिता का अर्थ है वह वंश परंपरा जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, और पृपौत्र आदि से चलती है।मातृवंशिकता शब्द का प्रयोग तब करते हैं जहां वंश परंपरा मां से जुड़ी होती है।
दूसरे शब्दों में, पित्रवंशिकता का अर्थ परिवार में पिता की प्रधानता और मातृवंशिकता का अर्थ परिवार में माता की प्रधानता से है।
प्रश्न 5. विवाह संबंधी अंतर्विवाह और बर्हिविवाह पद्धति का क्या अर्थ है ?
ऊपर - अन्तर्विवाह में वैवाहिक संबंध समूह के बीच ही होते हैं। यह एक समूह, एक गोत्र,कुल या एक जाति अथवा फिर एक ही स्थान पर बसने वालों का हो सकता है। बहिर्विवाह गोत्र से बाहर विवाह करने को कहा जाता है।
प्रश्न 6. ब्राह्मणीय पद्धति के अनुसार गोत्र संबंधी नियम क्या थे ?
उत्तर - तकरीबन 1000 ई. पु. वर्गीकरण हेतु गोत्र पद्धति प्रचलन में आई। इसके प्रचलन का मुख्य उद्देश्य गोत्र के आधार पर ब्राह्मणों का वर्गीकरण करना था। प्रत्येक गोत्र एक वैदिक ऋषि के नाम पर होता था। उस गोत्र के सदस्यों को ऋषि का वंशज माना जाता था। गोत्रों के दो नियम अहम थे। विवाह के बाद स्त्रियों को पिता की जगह पति के गोत्र का माना जाता था और एक ही गोत्र के सदस्य परस्पर विवाह नहीं कर सकते थे।
प्रश्न 7. धर्म शास्त्रों के अनुसार स्त्री धन किसे कहा गया है ?
उत्तर - विवाह के अवसर पर माता-पिता व स्वजनों द्वारा दिए गए उपहार स्वरूप धन-संपत्ति पर स्त्रियों का स्वामित्व होता था, इसे स्त्री धन कहा जाता था। इस संपति को उनकी संतान विरासत के रूप में हासिल कर सकती थी। इस संपत्ति पर उनके पति का कोई अधिकार नहीं होता था।
प्रश्न 8. महाभारत कथा के मूल लेखक कौन थे ?
उत्तर - महाभारत की मूल कथा के रचयिता संभवतः भाट सारथी थे जिन्हें सूत कहा जाता था । साहित्यिक परंपरा के अनुसार इस बृहत रचना के रचयिता ऋषि व्यास थे जिन्होंने श्री गणेश से यह ग्रंथ लिखवाया।
प्रश्न 9. मातृ नाम के उदाहरण....बृहदारण्यक ..... उपनिषद में मिलते हैं।
प्रश्न 10. बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ ..... त्रिपिटक.......हैं-(सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक।)
प्रश्न 11. "धर्मसूत्रों और धर्म शास्त्रों में चार वर्गों के लिए आदर्श जीविका से जुड़े नियम भी मिलते हैं।" इस कथन की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
उत्तर - धर्मशास्त्रों व धर्मसूत्रों में चार वर्णों के लिए आदर्श जीविका से संबंधित कुछ नियम मिलते हैं-
1. ब्राह्मण- अध्ययन, वेदों की शिक्षा, यज्ञ करना व करवाना, दान देना और लेना।
2. क्षत्रिय - युद्ध करना, लोगों को सुरक्षा प्रदान करना, न्याय करना, वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना।
3. वैश्य - वेद पढ़ना, यज्ञ करवाना, दान देना, कृषि करना, गौपालन, व्यापार।
4. शूद्र - तीनों उच्च वर्णों की सेवा करना।
इन नियमों का पालन करवाने हेतु ब्राह्मणों ने दो - तीन नीतियां अपनाई ।
(1) वर्ण व्यवस्था ईश्वर्य देन है।
(2) शासकों द्वारा इस वयवस्था को लागू करवाना।
(3) लोगों को यह विश्वास दिलाना कि उनकी यह प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है।
प्रश्न 12 वणिक शब्द का प्रयोग ....व्यापारियों..... के लिए प्रयुक्त किया जाता था।
प्रश्न 13. युग्म सुमेलित कीजिए -
उत्तर -
रामायण - वाल्मीकि
महाभारत - वेदव्यास
अष्टाध्याई - पाणिनि
त्रिपिटक - बौद्ध ग्रंथ
मनुस्मृति - धर्मशास्त्र
प्रश्न 14. महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण कैसे एवं किसके द्वारा तैयार किया गया ?
उत्तर - 1919 में संस्कृत भाषा के एक महान विद्वान (जिनका नाम वी.एस. सुक्थांकर था) ,के नेतृत्व में एक बहुत महत्वकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई |
इस परियोजना का उद्देश्य था महाभारत नामक महान महाकव्य की विभिन्न जगहों से प्राप्त विभिन्न पांडुलिपियों को इकठ्ठा करके एक किताब का रूप देना । बहुत सारे बड़े बड़े विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण (Edition) तैयार करने की जिम्मेदारी उठाई | विद्वानों ने सभी पांडुलिपियों में पाए गए श्लोकों की तुलना करने का एक तरीका ढूँढ निकाला। विद्वानों ने उन श्लोको को चुना जो लगभग सभी पांडुलिपियों में लिखे हुए थे। इन सब का प्रकाशन लगभग 13000 पन्नो में फैले अनेक ग्रन्थ खण्डों में हुआ |इस परियोजना को पूरा करने में 47 साल लगे |
प्रश्न 15. बहुपत्नी और बहुपति प्रथा क्या थी ?
उत्तर - बहुपत्नी प्रथा में एक से ज्यादा स्त्रियों से शादी की जाती है।(ऐसा सातवाहन राजाओ में होता था )
बहुपति प्रथा में एक से अधिक पुरुषों से शादी की जाती है | {उदाहरण के लिए : द्रोपदी }
प्रश्न 16. क्या माताओं को महत्वपूर्ण समझा जाता था ? (600 ई.पू से 600 ई.)
उत्तर - इतिहास में बहुत से ऐसे किस्से हैं जिनसे पता चलता है कि 600 ई.पू से 600 ई. के शुरूआती समाज में माताओं को भी महत्वपूर्ण समझा जाता था |
ऐसा ही एक किस्सा है सातवाहन राजाओं का, सातवाहन राजा अपने नाम से पहले अपनी माता का नाम लगाते थे, जिससे यह पता चलता है कि माताओं को भी महत्वपूर्ण माना जाता था |
उदाहरण के लिए : राजा गोतमी पुत्त सीरी सातकनि {यह राजा का नाम है}
प्रश्न 17. मनुस्मृति के अनुसार चांडालों के कर्तव्य क्या थे ?
उत्तर - शवों की अंत्येष्टि एवं मृत जानवरों को छूने वालों को चांडाल कहते थे। उन्हें वर्ण व्यवस्था वाले समाज में सबसे निम्न श्रेणी में रखा जाता था।
मनुस्मृति में चांडालों के "कर्तव्यों" की एक तालिका मिलती है।
(1) उन्हें गांव से बाहर रहना पड़ता था।
(2) वे फैंके हुए बर्तनों का प्रयोग करते थे, मरे हुए लोगों के कपड़े एवं लोहे के आभूषण पहनते थे।
(3) रात में वे गांव एवं नगरों में चल फिर नहीं सकते थे।
(4) संबंधियों से विहीन मरे हुए लोगों की उन्हें अंत्येष्टि करनी पड़ती थी। उन्हें जल्लाद के रूप में भी कार्य करना पड़ता था।
चीन से आए बौद्ध भिक्षु फा-शिएन (तकरीबन पांचवी सदी ई.) का कहना है कि अस्पृश्यों को सड़क पर चलते हुए करताल बजाकर अपने होने की जानकारी देनी पड़ती थी जिससे दूसरे लोग उन्हें देखने के दोष से बच जाएं।
एक अन्य चीनी यात्री ह्वेनसांग (तकरीबन सातवीं सदी ईसवी) कहता है कि वधिक एवं सफाई करने वालों को नगर से बाहर रहना पड़ता था।
प्रश्न 18. "महाभारत एक गतिशील ग्रंथ है।" समझाइए।
उत्तर - महाभारत एक गतिशील ग्रंथ रहा है। महाभारत का विकास केवल संस्कृत भाषा तक ही सीमित नहीं था। शताब्दियों से इस महाकाव्य के कई पाठांतर अलग-अलग भाषाओं में लिखे गए। यह सब उस संवाद को दिखाते थे जो इनके लेखकों, दूसरे लोगों एवं समुदाय के मध्य कायम हुए। कई कहानियां जिनका उद्भव एक खास क्षेत्र में हुआ एवं जिनका खास लोगों के मध्य प्रसार हुआ, वे सब इस महाकाव्य में समाहित कर ली गई। इसके अलावा इस महाकाव्य की मुख्य कथा की कई पुर्नव्याख्याएं की गई । इसके प्रसंगों को मूर्तिकला एवं चित्रों में भी दिखाया गया। इस महाकाव्य ने नाटकों एवं नृत्य कलाओं के लिए भी विषय वस्तु प्रदान की।
प्रश्न 19. इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को कौन-कौन से दो मुख्य शीर्षको में बांटते हैं ?
उत्तर - इतिहासकार महाभारत की विषय वस्तु को मुख्य रूप से आख्यान तथा उपदेशात्मक शीर्षकों में बांटते हैं। आख्यान कहानियों का संग्रह है जबकि उपदेशात्मक भाग में सामाजिक आचार विचार के मानदंडों का चित्रण है।
प्रश्न 20. स्पष्ट कीजिए कि विशिष्ट परिवारों में पितृवंशिकता क्यों महत्वपूर्ण रही होगी ?
उत्तर - पित्रवंशिकता से अभिप्राय ऐसी वंश परंपरा से है जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती है। विशिष्ट परिवारों में यह परंपरा निम्न दो कारणों से अनिवार्य रही होगी -
(1) वंश परंपरा को चलाने के लिए - धर्म सूत्रों के अनुसार वंश को पुत्र ही आगे बढ़ाते हैं पुत्रियां नहीं। इसलिए सभी परिवारों में उत्तम पुत्रों की प्राप्ति की कामना की जाती थी। यह बात ऋग्वेद के एक मंत्र से स्पष्ट हो जाती है। इसमें पुत्री के विवाह के समय पिता कामना करता है कि इंद्र के अनुग्रह से उसकी पुत्री को उत्तम पुत्र की प्राप्ति हो।
(2) उत्तराधिकार संबंधी झगड़ों से बचने के लिए -माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार में संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए कोई झगड़ा हो। राज परिवारों के संदर्भ में उत्तराधिकार में राजगद्दी भी शामिल थी। राजा की मृत्यु के बाद उसका बड़ा पुत्र राजगद्दी का उत्तराधिकारी बन जाता था। इस प्रकार माता पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति को उनके पुत्रों में बांट दिया जाता था। अधिकतर राजवंश लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही पितृवंशिकता प्रणाली का अनुसरण करते आ रहे थे।
प्रश्न 21. ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के अनुसार वर्ण -व्यवस्था के चार वर्णों का उदय किस प्रकार हुआ था ?
उत्तर - 'पुरुषसूक्त' के अनुसार वर्ण-व्यवस्था के चार वर्णों का उदय आदि मानव 'पुरुष' बली से हुआ था। उसका मुंह ब्राह्मण बना तथा उसकी भुजा से क्षत्रिय बना। वैश्य उसकी जंघा है और उसके पैरों से शूद्र की उत्पत्ति हुई।
प्रश्न 22. मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की झलक किस प्रकार देता है ?
उत्तर - मंदसौर (मध्य प्रदेश) से मिला अभिलेख तकरीबन पांचवी सदी ईसवी का है। इसमें रेशम के बुनकरों की एक श्रेणी को वर्णित किया गया है जो मूल रूप से लाट (गुजरात) प्रदेश के निवासी थे एवं वहां से मंदसौर चले गए थे, जिसे उस समय दसपुर के नाम से जानते थे। यह मुश्किल यात्रा उन्होंने अपने बच्चों एवं बांधवों के साथ संपन्न की। उन्होंने वहां के राजा की महानता के विषय में सुना था इसलिए वे उसके राज्य में बसना चाहते थे।
मंदसौर अभिलेख जटिल सामाजिक प्रक्रियाओं की पुष्टि करता है एवं श्रेणियों के स्वरूप के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। यद्यपि श्रेणी की सदस्यता शिल्प में विशेषज्ञता पर आश्रित थी। कुछ सदस्य दूसरी जीविका भी अपना लेते थे। इस अभिलेख से यह भी पता चलता है कि सदस्य एक व्यवसाय के अलावा और वस्तुओं में भी सहभागी होते थे। सामूहिक रूप से उन्होंने
शिल्पकर्म से प्राप्त धन को सूर्य देवता के सम्मान में मंदिर के निर्माण कार्य पर खर्च किया।
प्रश्न 23 महाभारत के बारे में प्रख्यात इतिहासकार मौरिस विंटरनिट्ज की राय क्या थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - इसमें कोई संदेह नहीं कि महाभारत संपूर्ण साहित्य का प्रतिनिधित्व करता है और तत्कालीन भारतीय समाज तथा जन जीवन के सभी पक्षों की एक सुंदर झांकी प्रस्तुत करता है। इसमें भारतीयों की आत्मा की गहराइयों तक बसी प्रत्येक बात तथा सोच का वर्णन मिलता है। यह महाकाव्य भारतीयों के जीवन पर निम्नलिखित प्रकाश डालता है :-
1. सामाजिक जीवन
1.चार वर्ण :- समाज चार वर्णों में बंटा हुआ था। वर्ण व्यवस्था अधिक कठोर नहीं थी। लोगों के लिए अपना पैतृक व्यवसाय अपनाना आवश्यक नहीं था।
2. स्त्रियों की दशा :- स्त्रियों की दशा अच्छी थी। समाज में उनका बड़ा आदर था। स्वयंवर की प्रथा के अनुसार उन्हें अपना वर स्वयं चुनने का अधिकार था।
3.वीरता का युग :- महाभारत का काल वीरता का युग था। युद्ध में वीरगति प्राप्त करना बड़ा गर्व का विषय था। निर्बल की रक्षा करना भी बड़ी वीरता का कार्य समझा जाता था।
4. सामाजिक बुराइयां:- इस काल में समाज में कुछ बुराइयां भी व्याप्त थी। इनमें से जुआ खेलना,बहु-विवाह, शत्रुओं से धोखा करना आदि बातें प्रमुख थी।
2. राजनीतिक जीवन
1. विशाल साम्राज्य :- इस काल में अनेक विशाल साम्राज्य स्थापित हो चुके थे जिनमें पांडू, कौशल, पांचाल आदि राज्य प्रमुख थे।
2. राजा की शक्तियां :- उस समय राज्य का मुखिया राजा होता था। राज्य की सभी शक्तियां उसी के हाथ में थी। इन शक्तियों पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं थी। भले ही शासन कार्य में राजा को सलाह देने के लिए अनेक मंत्री थे, फिर भी उनकी सलाह मानना राजा के लिए आवश्यक नहीं था।
3. राजा का जीवन :- वीर काल में राजा बड़े ठाट बाट से रहते थे । उनके महल बड़े शानदार होते थे । वेट अनेक उपाधियां धारण करते थे । चक्रवर्ती सम्राट बनना उनकी बहुत बड़ी इच्छा होती थी। इस उद्देश्य से वे अश्वमेघ यज्ञ करते थे ।शराब पीना ,जुआ खेलना आदि बुराइयां भी उनके चरित्र में थी।
3.आर्थिक जीवन
1. कृषि :- इस काल में लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि करना था। यहां तक कि स्वयं राजा लोग भी हल चलाया करते थे। उस समय भूमि बड़ी उपजाऊ थी।
2. पशुपालन :- पशुपालन लोगों का दूसरा मुख्य व्यवसाय था। उस समय के पालतू पशुओं में गाय, बैल, घोड़े तथा हाथी मुख्य थे।
3. व्यापार :- व्यापारियों ने अपने संघ बनाए हुए थे। उन्हें राज्य की ओर से अनेक सुविधाएं प्राप्त थी।
4.अन्य व्यवसाय :- उपरोक्त व्यवसायों के अतिरिक्त कुछ लोग बढ़ाई, लोहार, सुनार तथा रंगसाजीआदि का कार्य भी करते थे।
4.धार्मिक जीवन
1.नए देवी देवताओं की पूजा :- महाभारत काल में वैदिक आर्यों के देवी-देवताओं के साथ-साथ कुछ नए देवी -देवताओं की पूजा भी की जाने लगी। इनमें से पार्वती, दुर्गा , विष्णु, ब्रह्मा आदि प्रमुख थे।
2. अवतारवाद में विश्वास :- इस काल में लोग अवतारवाद में विश्वास रखने लगे थे। राम ,कृष्ण आदि को विष्णु का अवतार मानकर उसकी पूजा की जाने लगी।
3. कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म :- इस काल में लोग कर्म सिद्धांत और पुनर्जन्म में बड़ा विश्वास रखते थे । उनका विश्वास था कि प्रत्येक मनुष्य को अपने अच्छे या बुरे कर्मों का फल अगले जन्म में अवश्य भोगना पड़ता है।
4. यज्ञों पर बल :- महाकाव्य काल में लोग यज्ञों पर बल देते थे । यज्ञों की अनेक विधियां आरंभ हो गई थी। राजा लोग युद्धों के अवसर पर दिल खोलकर दान देते थे।
प्रश्न 24. "महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है।"उक्त कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर - यह कथन उचित है कि महाभारत प्राचीन काल के सामाजिक मानदंडों का अध्ययन करने का एक अच्छा स्रोत है। महाभारत दो परिवारों के बीच युद्ध का चित्रण है। इसके मुख्य पात्र सामाजिक मानदंडों का अनुसरण करते हैं और कभी-कभी उनकी अवहेलना की जाती है जो कि निम्नलिखित वर्णन से स्पष्ट होता है:-
1. बंधुता के रिश्तो में परिवर्तन: एक स्तर पर महाभारत इसी की कहानी है। यह बांधवों के दो दलों कौरव और पांडव के बीच भूमि और सत्ता को लेकर संघर्ष का चित्रण करती है। दोनों ही दल कुरु वंश से संबंधित थे। यह संघर्ष एक युद्ध में परिणित हुआ जिसमें पांडव विजयी हुए। यह संबंधियों में आपसी संघर्ष का उदाहरण है।
2. पितृवंशिक उत्तराधिकार का सुदृढ़ होना :- यद्यपि मित्र वंशिक उत्तराधिकार पहले से लागू था परंतु पांडवों की विजय के पश्चात यह आदर्श अधिक सुधार हो गया।
3. विवाह के नियम :- ऊंची प्रतिष्ठा वाले परिवारों की कम उम्र की कन्याओं और स्त्रियों का जीवन बहुत सावधानी से नियमित किया जाता था जिसमें 'उचित' समय और 'उचित' व्यक्ति से उनका विवाह किया जा सके।
4. कन्यादान अर्थात विवाह में कन्या की भेंट को पिता का महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य माना गया।
5. उस समय अंतर्विवाह, बहिर्विवाह, बहुपत्नी प्रथा और बहुपति प्रथा प्रचलित थी।
6. स्त्री का स्थान :- स्त्री का स्थान महत्वपूर्ण था। द्रोपदी का अपमान महाभारत युद्ध का कारण बना। कुंती का चरित्र और सम्मानजनक स्थिति स्त्रियों की अच्छी स्थिति का उदाहरण है। गांधारी ने दुर्योधन को युद्ध न करने का परामर्श दिया जिसे दुर्योधन ने नहीं माना और युद्ध में हारा।
7. द्यूत क्रीड़ा :- राजाओं में धुत क्रीडा का प्रचलन यह प्रदर्शित करता है कि उनमें बुराइयां आ गई थी। कौरवों द्वारा छल कपट का प्रयोग नैतिक पतन को प्रदर्शित करता है।
8. ब्राह्मणों ने समाज के लिए विस्तृत आचार संहिताएं तैयार की थी।
प्रश्न 25. साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर - साहित्यिक स्रोतों का अध्ययन करते समय इतिहासकारों को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-
(i) ग्रंथ की भाषा क्या है ? यह आम लोगों की भाषा थी; जैसे- पाली, प्राकृत, तमिल आदि अथवा पुरोहितों या किसी विशेष वर्ग की भाषा थी, जैसे संस्कृत।
(ii) ग्रंथ किस प्रकार का है- मंत्रों के रूप में अथवा कथा के रूप में ?
(iii) ग्रंथ के लेखक की जानकारी प्राप्त करना जिसके दृष्टिकोण तथा विचारों से वह ग्रंथ लिखा गया था।
(iv) ग्रंथ किनके लिए रचा गया था, क्योंकि लेखक ने उनकी अभिरुचि का ध्यान रखा होगा।
(v) ग्रंथ के संभावित संकलन/रचनाकाल की जानकारी प्राप्त करना और उसकी रचना भूमि का विश्लेषण करना ।
(vi) ग्रंथ की रचना का स्थान।