Monday, April 13, 2020

अध्याय - 6 भक्ति सूफी परंपराएं (8 वीं से 18 वीं सदी तक)

प्रश्न 1.किस प्रकार की धार्मिक इमारतें किसी विशेष धार्मिक विश्वासों और आचरणों का प्रतीक मानी जाती है ?

उत्तर :- स्तूप, विहार और मंदिर धार्मिक विश्वासों और आचरणों का प्रतीक माने जाते हैं; जैसे स्तूप बौद्ध धर्म के प्रतीक तथा मंदिर हिंदू धर्म के प्रतीक।

प्रश्न 2. 8वीं से 18 वीं सदी तक की भक्ति और सूफी परंपराओं को जानने के लिए किन्हीं दो स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :-
(1) इमारतों, मूर्तिकला, चित्रकला से हमें धार्मिक विश्वासों और आचरणों के विषय में पता चलता है ।

(2) कई धार्मिक विश्वासों का पुनर्निर्माण साहित्यिक परंपरा जैसे पुराणों, संत कवियों की रचनाओं, उनकी जीवनियों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3.. "मणिक्वचक्कार" की 12 वीं शताब्दी की कांस्य मूर्ति से क्या जानकारी प्राप्त होती है ?

उत्तर :- इस मूर्ति से यह अनुमान लगाया जाता है कि लोग शिव के अनुयाई थे और तमिल में भक्ति गान की रचना करते थे।

प्रश्न 4. बौद्ध देवी, मारिची की मूर्ति (लगभग 10 वीं शताब्दी, बिहार) किस प्रक्रिया का उदाहरण है ?

उत्तर :- बौद्ध देवी मारिची की मूर्ति विभिन्न धार्मिक विश्वासों और क्रियाकलापों के एकीकरण की प्रक्रिया का उदाहरण है।

प्रश्न 5. जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ लिखकर उनकी बहन तथा भाई का नाम लिखिए।

उत्तर :- पुरी, उड़ीसा में मुख्य देवता को 12वीं शताब्दी तक आते-आते जगन्नाथ (शाब्दिक अर्थ - संपूर्ण विश्व का स्वामी) विष्णु के स्वरूप के रूप में प्रस्तुत किया गया। उनकी बहन का नाम सुभद्रा तथा भाई का नाम बलराम है।

प्रश्न 6. बासवन्ना कौन थे ? उन्होंने किस भक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया ?
अथवा
प्रश्न - लिंगायत कौन थे ? लिंगायतों ने किन विचारों का विरोध किया ?

उत्तर :- 12 वीं सदी में कर्नाटक में एक नए आंदोलन का उद्भव हुआ जिसका नेतृत्व बासवन्ना (1106- 68) नामक एक ब्राह्मण ने किया। बासवन्ना पहले जैन मत को मानते थे और चालूक्य राजा के दरबार में मंत्री थे।

(क) लिंगायत - बसवन्ना के अनुयाई वीरशैव (शिव के वीर) एवं लिंगायत (लिंग धारण करने वाले) कहलाए।
वे शिव की उपासना लिंग के रूप में करते थे।

(ख) लिंगायतों ने ब्राह्मणीय पद्धत्ति के निम्न दो विचारों का विरोध किया -
(i) लिंगायतों ने जाति की अवधारणा और कुछ समुदायों के दूषित होने की ब्राह्मणीय अवधारणा का विरोध किया।
(ii) उन्होंने पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया।

प्रश्न 7. लिंगायतों के किसी एक धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार का वर्णन कीजिए।

उत्तर :- लिंगायतों का यकीन है कि वे मृत्योपरांत भक्त शिव में लीन हो जाएंगे और इस जगत में पुन: नहीं लौटेंगे ।
--धर्मशास्त्र में संकलित श्राद्ध संस्कार का भी वे कभी पालन नहीं करते।
--वह अपने मृतकों को विधिपूर्वक दफनाते हैं।

प्रश्न 8. अलवार और नयनार कौन थे ? वे किन भाषाओं में गाया करते थे ? उनको चोल राजाओं द्वारा प्राप्त समर्थन का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :-
(क) अलवार विष्णु भक्त और नयनार शिव भक्त थे।

(ख) वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते हुए तमिल भाषा में अपने इष्ट की स्तुति में भजन गाया करते थे।
(ग) चोल (नवीं से 13वीं शताब्दी) राजाओं ने ब्राह्मणीय तथा भक्ति परंपरा को समर्थन दिया और शिव और विष्णु के मंदिरों के निर्माण के लिए भूमि अनुदान दिए।

तेंजावुर और चिदम्बरम और गंगेकोंडचोलपुरम् के भव्य शिव मंदिर चोल राजाओं की सहायता से निर्मित हुए। इस काल में कांस्य में ढ़ाली गई शिव की प्रतिमाओं का भी निर्माण किया गया। स्पष्ट है कि नयनार संतों का दर्शन शिल्पकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।

प्रश्न 9.अलवार और नयनार संत परंपरा में स्त्री भक्तों पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर :- अलवार और नयनार संत परंपरा में स्त्रियों की मौजूदगी एक बड़ी खासियत थी। इसमें अंडाल और करईइक्काल अम्मइयार प्रमुख स्त्री भक्त हुई हैं।

अलवार भक्त 'अंडाल 'के भक्ति गीत व्यापक स्तर पर गाए जाते थे। वह स्वयं को विष्णु की प्रेयशी मानकर अपनी प्रेम भावना को छन्दों में व्यक्त करती थी।

'कराइक्काल अम्मइयार' ने घोर तपस्या की। नयनार परंपरा में उसकी रचनाओं को सुरक्षित रखा गया।

यद्यपि इन स्त्रियों ने सामाजिक कर्तव्यों का परित्याग किया परंतु वह भिक्षुणी समुदाय की सदस्य नहीं बनी। फिर भी इनकी जीवन पद्धत्ती और रचनाओं ने पितृसत्तात्मक आदर्शों को चुनौती दी।

प्रश्न 10. अलवार और नयनार संतों का जाति प्रथा के प्रति दृष्टिकोण का उल्लेख करो।

उत्तर :-
(1) कुछ इतिहासकारों का विचार है कि अलवार और नयनार संतों ने जाति प्रथा और ब्राह्मणों के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए अपनी आवाज़ उठाई।

(2) क्योंकि भक्ति संत विभिन्न समुदायों से थे जैसे- ब्राह्मण, किसान, शिल्पकार और कुछ तो उन जातियों से आए थे जिन्हें "अस्पृश्य" माना जाता था।

प्रश्न 11. अलवर संतो के मुख्य काव्य संकलन का नाम लिखिए।

उत्तर :- "नलयिरादिव्यप्रबंधम्" को तमिल वेद भी बताया गया है।

प्रश्न 12. इतिहासकर भक्ति परंपरा को कितने वर्गों में बांटते हैं ?

उत्तर :- इतिहासकार भक्ति परंपरा को दो मुख्य वर्गों में बांटते हैं -

(1) सगुण :- शिव, विष्णु तथा उनके अवतार व देवियों की आराधना की जाती है।

(2) निर्गुण :- अमूर्त, निराकार ईश्वर की उपासना की जाती है।

सगुण भक्ति परंपरा के संत
(क) राम भक्ति शाखा - तुलसीदास
(ख) कृष्ण भक्ति शाखा - सूरदास, मीराबाई

निर्गुण भक्ति परंपरा के संत :-
(क) ज्ञान मार्गी शाखा - कबीर
(ख)प्रेम मार्गी शाखा - जायसी


प्रश्न 13. बाबा फरीद ने किस भाषा में काव्य रचना की और वह है किस में संकलित है ?

उत्तर :- बाबा फरीद ने क्षेत्रीय भाषा में काव्य रचना की और वह गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित है।

प्रश्न 14. पद्मावत के रचयिता कौन थे?

उत्तर :- पद्मावत के रचयिता मलिक मोहम्मद जायसी थे। "पद्मावत" एक प्रेमाख्यान है जो पद्मिनी तथा चित्तौड़ के शासक रतनसेन की प्रेम कथा का वर्णन करता है।

प्रश्न 15. कबीर को भक्ति मार्ग दिखाने वाले कौन थे ?

उत्तर :- उनके गुरु रामानंद ।

प्रश्न 16.खालसा पंथ का क्या अर्थ है ?

उत्तर :- खालसा पंथ( पवित्रों की सेना) की नींव गुरु गोविंद सिंह जी ने रखी । उन्होंने खालसा के लिए पांच प्रतीक निर्धारित किए - 1.बिना कटे केश 2. कृपाण 3. कच्छ 4.कंघा 5. लोहे का कड़ा ।

प्रश्न 17. आदि ग्रंथ साहिब क्या था ?

उत्तर :- पांचवें गुरु अर्जुन देव जी ने बाबा गुरु नानक और उनके चार उत्तराधिकारियों बाबा फरीद, रविदास, और कबीर की बानी को आदि ग्रंथ साहिब में संकलित किया। इन को गुरबानी कहा जाता है और यह अनेक भाषाओं में रचे गए।

प्रश्न 18. गुरु ग्रंथ साहिब क्या है ?

उत्तर :- आदि ग्रंथ साहिब, जिसको गुरबानी भी कहा जाता है, में सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने नवें गुरु तेग बहादुर की रचनाओं को भी इसमें शामिल किया और इस ग्रंथ को गुरु ग्रंथ साहिब कहा गया।

प्रश्न 19. कबीर की बानी किन पारिपाटियों में संकलित है ?

उत्तर :- कबीर की बानी निम्नलिखित परीपाटिर्यों में संकलित है :-
(1) कबीर बीजक कबीर पंथिओं द्वारा वाराणसी तथा उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों पर संरक्षित है।
(2) कबीर ग्रंथावली का संबंध राजस्थान के दादू पंथियों से है ।
(3) कबीर के कई पद आदि ग्रंथ साहिब में संकलित है ।

प्रश्न 20 कबीर की उलटबांसी रचनाएं क्या हैं ?

उत्तर :- उलटबांसी का अर्थ है उल्टी कही गईं उक्तियां। ये इस प्रकार से लिखी गई हैं कि उनके अर्थ को उलट दिया गया है। ये रचनाएं परम सत्य के स्वरूप को शब्दों में व्यक्त करने की कठिनाई को दर्शाती हैं।

प्रश्न 21. कबीर की मुख्य शिक्षाओं का उल्लेख करो। कबीर द्वारा वर्णित परम सत्य को बताइए।
उत्तर :-
(1) कबीर ने आध्यात्मिकता पर बल दिया।
(2) उन्होंने हिंदू और मुसलमान दोनों की रुढ़ियों की कटु आलोचना की।
(3) कबीर ने ईश्वर की एकता पर बल दिया।
(4) मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा, और अन्य आडंबरों की आलोचना की।
(5) सती प्रथा और पर्दा प्रथा का विरोध किया।
(6) अच्छे कर्मों का फल अवश्य मिलता है।
(7) उन्होंने परमात्मा को निराकार बताया है।
(8) उनके अनुसार भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त हो सकता है।

कबीर ने परम सत्य को वर्णित करने के लिए कई परीपाटियों का सहारा लिया। इस्लामी दर्शन की भांति वे इस सत्य को खुदा, अल्लाह, हजरत तथा पीर कहते हैं। वेदांत दर्शन से प्रभावित होकर वे सत्य को अलख (अदृश्य), ब्राह्मन्, निराकार व आत्मन कहकर भी संबोधित करते हैं।

प्रश्न 22. मातृगृहता क्या है ?
उत्तर :- मातृगृहता वह परिपाटी है जहां स्त्रियां विवाह के बाद अपने मायके में ही अपनी संतान के साथ रहती हैं और उनके पति उनके साथ आकर रह सकते हैं।

प्रश्न 23. भक्ति आंदोलन के उदय के क्या कारण थे ?

उत्तर :-
(1) वैष्णव मत का प्रभाव
(2) हिंदू धर्म की बुराइयां
(3) इस्लाम के फैलने का भय
(4) सूफी मत का प्रभाव
(5) महान् भक्त संतो का उदय

प्रश्न 24. भक्ति आंदोलन का क्या अर्थ है ?

उत्तर :- कई हिंदू संतो और सुधारकों ने धार्मिक सुधार लाने के लिए आंदोलन चलाए जो भक्ति आंदोलन के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अपनी भक्ति को दर्शाने के लिए मंदिरों में देवताओं के समक्ष उनकी स्तुति में गीतों के माध्यम से लीन हो जाते थे।


प्रश्न 25. मीराबाई के गुरु कौन थे ?

उत्तर :- मीराबाई भक्ति परंपरा की सबसे सुप्रसिद्ध कवियत्री हैं। मीराबाई के गुरु रैदास (रविदास) नीची जाति के थे। मीराबाई कृष्ण के बांसुरी बजाते हुए रुप को पूजती थी। उन्होंने विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को अपना एकमात्र पति स्वीकार किया।

प्रश्न 26. इस्लाम धर्म की उन विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए जिनकी मदद से यह धर्म समूचे उपमहाद्वीप में फैल गया।

उत्तर :- इस्लाम के आगमन के पश्चात हुए बदलाव का प्रभाव उपमहाद्वीप के शासकों सहित दूरदराज के सामाजिक समुदायों जैसे किसान, शिल्पी, योद्धा एवं व्यापारी तक फैल गया।
इस्लाम धर्म कबूल करने वालोें को ये पांच मुख्य बातें माननी पड़ती थी :-
(1)अल्लाह एकमात्र ईश्वर है और पैगंबर मोहम्मद उनके दूत हैं ।
(2) दिन में 5 बार नमाज पढ़ी जानी चाहिए।
(3) खैरात (जकात) बांटनी चाहिए ।
(4) रमजान के महीने में रोजा रखना चाहिए।
(5) हज़ के लिए मक्का जाना चाहिए।


प्रश्न 27. "चिश्ती" उपासना पद्धति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

उत्तर - (1) सूफी संतों की दरगाह पर जियारत (प्रार्थना) करना पूरे इस्लाम में प्रचलित है।

इस अवसर पर संत के आध्यात्मिक आशीर्वाद अर्थात बरकत की कामना की जाती है ।

(2) नाच, कव्वाली जियारत के महत्वपूर्ण अंग हैं। इनके द्वारा अलौकिक आनंद की भावना को जगाया जाता है।

प्रश्न 28. मुस्लिम संतों की दरगाह पर भक्त लोग क्यों आते हैं ? कोई एक कारण दीजिए ।

उत्तर - मुस्लिम संतों की दरगाह पर लोग जियारत करने जाते थे।
लोग आध्यात्मिक और ऐहिक कामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद लेने जाते थे।

प्रश्न 29. उलमा कौन थे?

उत्तर- उलमा इस्लाम धर्म के ज्ञाता थे। इस परिपाटी के संरक्षक होने के कारण वे धार्मिक, कानूनी और अध्य्यन संबंधित उतरदायित्व निभाते थे।
सैद्धांतिक रुप से मुसलमान शासकों को उलमा के मार्गदर्शन पर चलना होता था। उलमा से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे शासन में शरिया का अमल सुनिश्चित करवाएंगे।


प्रश्न 30. सूफीवाद से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर :- इस्लाम के उद्भव के पश्चात खलीफा की बहती शक्तियों के विरुद्ध कुछ आध्यात्मिक लोग रहस्यवाद एवं वैराग्य की ओर झुक गए जिन्हें सूफी कहा जाता था। इनकी विचारधारा सूफीवाद कहलाई।

प्रश्न 31. अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी में किस सूफी संत की दरगाह है ?

उत्तर :- अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी में बाबा फरीद के वंशज शेख सलीम चिश्ती की दरगाह हैयह दरगाह चिश्तियों और मुगल राज्य के घनिष्ट संबंधों का प्रतीक थी

प्रश्न 32,. वली किसे कहते हैं ?

उत्तर :- शेख को वली के रूप में आदर करने की प्रथा प्रचलित हुई। वली से अभिप्राय है ईश्वर का मित्र वह सूफी जो अल्लाह के निकट होता था और उनसे मिली बरकत से करामात करने की शक्ति रखता था।

प्रश्न 33. सूफी परंपरा के इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए विभिन्न स्रोतों का वर्णन करो।

उत्तर सूफी खानकाहों के इर्द-गिर्द कई ग्रंथों की रचना हुई जिनमें सम्मिलित है --
1. सूफी आचारों और विचारों पर निबंध पुस्तिका कश्फ-उल- महजूब इस विद्या का एक उदाहरण है। यह किताब अली बिन उस्मान हुजविरी द्वारा लिखी गई।

2. मुलफुजात ( सूफी संतों की बातचीत ) मुलफुजात पर एक आरंभिक ग्रंथ फवाइद-अल-फुआद है। यह शेख निजामुद्दीन औलिया के वार्तालाप पर आधारित एक संग्रह है जिसका संकलन विख्यात फारसी कवि अमीर हसन शिजज़ी देहलवी द्वारा किया गया।

3. मक्तुबात (लिखे हुए पत्रों का संकलन) ये वे खत थे जो सूफी संतों द्वारा अपने अनुयायियों और सहयोगियों को लिखे गए।

4. तज़किरा ( सूफी संतों की जीवनियों का स्मरण ):

प्रश्न 34. शंकरदेव पर एक टिप्पणी लिखो।

उत्तर :- 15 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में असम में शंकरदेव वैष्णव धर्म के प्रमुख प्रचारक के रूप में उभरे। उनके उपदेशों को भगवती धर्म कहकर संबोधित किया जाता है । क्योंकि यह भगवत गीता और भागवत पुराण पर आधारित था।
यह उपदेश सर्वोच्च देवता विष्णु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव पर केंद्रित थे। शंकर देव ने भक्ति के लिए नाम कीर्तन और श्रद्धावान भक्तों के सत्संग में ईश्वर के नाम के उच्चारण पर बल दिया।

प्रश्न 35. शरिया का अर्थ बताइए।

उत्तर शरिया मुसलमान समुदाय को निर्देशित करने वाला कानून है। यह कुरान शरीफ और हदीस पर आधारित है। हदीस का अर्थ है पैगंबर साहब से जुड़ी परंपराएंं जिनके अंतर्गत उनके स्मृत शब्द और क्रियाकलाप भी आते हैं।

प्रश्न 36. बा--शरिया और बे-शरिया में अंतर स्पष्ट करो।

उत्तर :-
(i) बे-शरिया शरिया की अवहेलना करते थे और
बा-शरिया शरिया का पालन करते थे।
(ii) बे-शरिया खानकाह का तिरस्कार करके रहस्यवादी फकीरी का जीवन व्यतीत करते थे जबकि बा-शरिया एक संगठित समुदाय खानकाह के इर्द-गिर्द खुद को स्थापित करते थे।

प्रश्न 37. सूफी " सिलसिला " का क्या अर्थ है ?

उत्तर :- सिलसिला का शाब्दिक अर्थ है जंजीर जो शेख तथा मुरीद के मध्य एक निरंतर रिश्ते की द्योतक है। इसकी पहली अटूट पड़ी पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी है। इस कड़ी के द्वारा आध्यात्मिक ताकत तथा आशीर्वाद मुरीद तक पहुंचता था। दीक्षा के खास अनुष्ठान विकसित किए गए जिसमें दीक्षित को वफादारी का वचन देना होता था तथा सिर मुंडां कर थेगड़ी लगे कपड़े धारण करने पड़ते थे। सबसे प्रसिद्ध सूफी सिलसिला चिश्ती सिलसिला था।

प्रश्न 38. जहांआरा कौन थी ? उनकी रचना का नाम लिखो।


उत्तर :- शहजादी जहांआरा मुगल सम्राट शाहजहां की सबसे बड़ी बेटी थी। जहांआरा ने ही चांदनी चौक की रूपरेखा बनाई थी।
जहांआरा द्वारा रचित पुस्तक का नाम शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की जीवनी मुनिस-अल-अखाह (अर्थात, आत्मा का विश्वास) है।

प्रश्न 39. पांच प्रसिद्ध चिश्ती संतों के नाम बताओ जिनकी दरगाह पर लोग अपनी आस्था प्रकट करते हैं। इनमें से सबसे अधिक पूजनीय कौन है ?

उत्तर :- पांच प्रसिद्ध चिश्ती संत -
(1) शेख मुइनुद्दीन चिश्ती
(2) ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
(3) शेख फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर
(4) शेख निजामुद्दीन औलिया
(5) शेख नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली।

इनमें से सबसे अधिक पूजनीय दरगाह शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की है जिन्हें गरीब नवाज कहा जाता है।


8 comments:

  1. Superb material for students of History....

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  2. Very Nice Material Sir Ji

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  3. Thanka You Sir Ji , Sir Please App Long Qusion Ve Veja dea ! Ok Sir Jai Hind Jai Bharat

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  4. Thank you so much for this material
    This is really helpful for students

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  5. Sir कक्षा 11 व 12 इतिहास के MCQ भी बनाकर भेंजे।

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  6. Thank you sir for giving good knowledge 💗

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