प्रश्न 1. "इतिहास में कई महिलाओं और पुरुषों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में यात्राएं की है।" कथन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - लोग निम्न उद्देश्यों से यात्रा करते थे -
1. काम की खोज में,
2. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए,
3. सैनिक, व्यापारी, पुरोहित एवं तीर्थयात्री के रूप में
4. या फिर साहस की भावनाओं से प्रेरित होकर ।
प्रश्न 2. 10वीं से 17वीं शताब्दी तक तीन प्रमुख यात्री भारत आए । वे कौन थे ?
उत्तर :-
1. अल-बिरूनी - अल-बिरूनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान के एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र ख्वारिज्म शहर में 973 ईसवी में हुआ था। वह कई भाषाओं का ज्ञाता था जिनमें सीरियाई फारसी हिब्रू और संस्कृत भाषा शामिल है।
वह 11 वीं शताब्दी में भारत आया था।
2.इब्नबतूता :- अफ्रीकी देश मोरक्को के इस यात्री का जन्म तैंजियर में हुआ था। उसका परिवार इस्लामिक कानून अथवा शरिया पर अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध था। वह 14वीं शताब्दी में भारत आया।
3.फ्रांस्वा बर्नियर :- फ्रांन्स का रहने वाला फ्रांस्वा बर्नियर एक डाक्टर, राजनीतिक, दार्शनिक, व एक इतिहासकार था। वह 1656 से 1668 तक भारत में 12 साल तक रहा। उसने सम्राट शाहजहां के जेष्ठ पुत्र दारा शिकोह के डॉक्टर के रूप में, बाद में मुगल दरबार के एक आर्मीनियाई दानिश खान के साथ एक बुद्धिजीवी व वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।
बर्नियर की पुस्तक का नाम Travels In Mughal Empire है। यह पुस्तक फ्रेंच भाषा में लिखी गई है।
प्रश्न 4. अल बिरूनी द्वारा लिखित पुस्तक किताब-उल- हिंद पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर -
(i) "किताब-उल-हिंद", अल बिरूनी द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया एक विस्तृत ग्रंथ है।
(ii) इसकी भाषा स्पष्ट और सरल है।
(iii) यह पुस्तक 80 अध्यायों में विभाजित है।
(iv) इसमें धर्म एवं दर्शन, खगोल- विज्ञान, कीमिया, त्योहारों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं, सामाजिक - जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान इत्यादि विषयों का वर्णन किया गया है।
(v) अल बिरूनी ने इसमें एक विशिष्ट शैली का इस्तेमाल किया है। प्रत्येक अध्याय एक प्रश्न से शुरू होता था, फिर संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन और आखिर में अन्य संस्कृतियों के साथ तुलना।
प्रश्न 5. भारत संबंधी विवरण को समझने में अलबरूनी के समक्ष कौन सी बाधाएं थी ?
उत्तर:- अल - बिरूनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित खवारिज में 973 ईसवी में हुआ था। ख्वारिज्म शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। वह कई भाषाएं जानता था जिनमें सीरियाई, फारसी, हिब्रू और संस्कृत शामिल थी ।
अल बिरूनी अपने लिए निर्धारित उद्देश्य में निहित समस्याओं से परिचित था।उसने कई "अवरोधों" की चर्चा की है जो उसकी समझ में बाधक थे।
(1) इनमें से प्रथम अवरोध भाषा थी। उसके अनुसार संस्कृत, अरबी तथा फारसी से इतनी भिन्न थी कि विचारों अौर सिद्धांतों को एक भाषा से दूसरी में अनुवादित करना सरल नहीं था।
(2) उसके द्वारा चिन्हित दूसरा अवरोध धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता थी।
(3) उसके अनुसार तीसरा अवरोध अभिमान था। यहां रोचक बात यह है कि इन समस्याओं की जानकारी होने पर भी, अल-बिरूनी लगभग पूरी तरह से ब्राह्मणों द्वारा रचित कृतियों पर आश्रित रहा। उसने भारतीय समाज को समझने के लिए अक्सर वेदों, पुराणों, भगवदगीता, पतंजलि की कृतियों तथा मनुस्मृति आदि से अंश उद्धृत किए हैं।
प्रश्न 6. "अल- बिरूनी ने फारस की जाति व्यवस्था की तुलना भारत की वर्ण व्यवस्था से की है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- .अल- बिरूनी ने लिखा है कि प्राचीन फारस में चार सामाजिक वर्गों को मान्यता थी।
(i) घुड़सवार तथा शासक वर्ग
(ii) चिकित्सक, अनुष्ठानिक पुरोहित और भिक्षु
(iii) खगोल शास्त्री तथा अन्य वैज्ञानिक
(iv) किसान तथा शिल्पकार
अल-बिरूनी ने फारस की जाति व्यवस्था की तुलना भारत की वर्ण व्यवस्था से की है जिसमें चार वर्ण थे- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
प्रश्न 7. अल-बिरूनी ने भारतीय वर्ण व्यवस्था की व्याख्या किस प्रकार की है ?
उत्तर :- अल-बिरूनी के अनुसार भारतीय वर्ण व्यवस्था में:-
(i) सबसे ऊंची जाति ब्राह्मणों की है जिनके बारे में हिंदुओं के गृंथ हमें बताते हैं कि वे ब्रह्मा के सिर से पैदा हुए थे और क्योंकि ब्रह्म प्रकृति नामक शक्ति का ही दूसरा नाम है, तथा सिर शरीर का सबसे ऊपरी हिस्सा है। अतः ब्राह्मण पूरी प्रजाति के सबसे चुनिंदा हिस्सा हैं। इसी कारण से हिंदू उन्हें मानव जाति में सबसे अच्छा मानते हैं।
(ii) ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय आते हैं जिनका जन्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा के कंधों और हाथों से हुआ है। वह लगभग ब्राह्मणों के समकक्ष हैं।
(iii) उनके बाद वैश्य आते हैं जिनका सर्जन ब्रह्मा की जंघाओं से हुआ था।
(iv) शुद्र सर्जन ब्रह्मा के पैरों से हुआ था।
प्रश्न 8. अल-बिरूनी ने जाति प्रथा के संबंध में अपवित्रता की मान्यता को क्यों नहीं स्वीकार किया ?
उत्तर :-
(i) उसके अनुसार प्रत्येक वह वस्तु जो अपवित्र हो जाती है अपनी पवित्रता की मूल स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करती है और सफल होती है।
(ii) सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को गंदा होने से बचाता है। अलबरूनी बल देकर कहता है कि यदि ऐसा नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता।
उसके हिसाब से जाति व्यवस्था में सन्निहित अपवित्रता की अवधारणा प्रकृति के नियमों के खिलाफ थी।
प्रश्न 9. उदाहरण देकर दर्शाइए कि भारतीय सूती वस्त्रों की मांग पश्चिम और दक्षिण एशिया में बहुत अधिक क्यों थी?
उत्तर :- इब्नबतूता के अनुसार, भारतीय माल की मध्य तथा दक्षिण-पूर्व एशिया, दोनों में बहुत मांग थी जिससे शिल्पकारों तथा व्यापारियों को भारी मुनाफा होता था। भारतीय कपड़ों विशेष रूप से सूती कपड़ा, महीन मखमल, रेशम, जरी तथा साटन की अत्यधिक मांग थी। इब्नबतूता हमें बताता है कि महीना मखमल की कई किस्में इतनी अधिक महंगी थी कि उन्हें अमीर वर्ग तथा बहुत धनाढ्य लोग ही पहन सकते थे।
प्रश्न 10. इब्नबतूता का नारी दासों के बारे में कोई एक विचार लिखिए।
उत्तर:- इब्नबतूता के अनुसार - दासियों को सफाई कर्मचारी के रूप में रखा जाता था और वे बिना हिचक घरों में घुस जाती थी ।
दासियां गुप्त सूचनाओं को राज्य तक पहुंचाने का काम करती थी।
सुल्तान अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था ।
सुल्तान की सेवा में नियुक्त कुछ दासियां संगीत और गायन में निपुण थी।
प्रश्न 11. बर्नियर ने मुगल शासन के अंतर्गत शिल्पकारों के जटिल सामाजिक वास्तविकता का वर्णन किस प्रकार किया है ? कोई एक कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- बर्नियर कहता है कि शिल्पकारों को अपने उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था, क्योंकि उनके मुनाफे का अधिग्रहण राज्य द्वारा कर लिया जाता था। इसलिए उत्पादन के स्तर में निरंतर कमी आ रही थी। दूसरी ओर वह कहता है कि पूरे विश्व से बड़ी मात्रा में बहुमूल्य धातुएं भारत में आती थी, क्योंकि उत्पादों का सोने और चांदी के बदले निर्यात होता था।
प्रश्न 12. प्रसिद्ध यूरोपीय लेखक दुआर्ते बरबोस का यात्रा वृतांत किस के संदर्भ में है?
उत्तर ;- प्रसिद्ध यूरोपीय लेखक दुआर्ते बरबोस का यात्रा वृतांत दक्षिण भारत में व्यापार तथा समाज का एक विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 13. इब्न बतूता द्वारा वर्णित दो प्रकार की डाक व्यवस्था के नाम बताइए।
उत्तर :- इब्नबतूता ने दो प्रकार की डाक व्यवस्था का वर्णन किया है -
( 1)अश्व डाक व्यवस्था जिसे उलुक कहा जाता था।
(2) पैदल डाक व्यवस्था जिसे दावा कहा जाता था।
प्रश्न 14. मार्को पोलो कौन था?
उतर :- मार्कोपोलो तेरहवीं शताब्दी में इटली से आया एक यात्री था।
प्रश्न 15. बर्नियर का शिविर नगर से क्या अभिप्राय था ?
उत्तर :- बर्नियर मुगलकालीन शहरों को "शिविर नगर" कहता है जिससे उसका मतलब उन नगरों से था जो अपने अस्तित्व के लिए राजकीय शिविर पर आश्रित थे। उसका मानना था कि ये राजकीय दरबार के आगमन के साथ अस्तित्व में आते थे इसके कहीं और चले जाने के बाद तीव्रता से पतनोन्मुख हो जाते थे।
प्रश्न 16. इब्नबतूता ने भारत आने से पूर्व किन-किन देशों की यात्राएं की?
उतर :- इब्नबतूता ने भारत आने से पूर्व मक्का की तीर्थ यात्रा की । वह सीरिया, इराक, यमन, ओमान, पूर्वी अफ्रीका के व्यापारिक बंदरगाहों पर भी गया।
प्रश्न 17. 17वीं शताब्दी में कौन सा यूरोपीय यात्री भारतीय उपमहाद्वीप में आया था ?
उत्तर - फ्रांस्वा बर्नियर ।
प्रश्न 18. रिहला के अनुसार उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा शहर..... दिल्ली ....... था ।
प्रश्न 19. इब्नबतूता के अनुसार यात्राएं करना अधिक असुरक्षित क्यों था ?
उत्तर :- इब्नबतूता ने अनेक बार डाकुओं के झूंड द्वारा किए गए हमले झेले थे। यहां तक कि वह अपने मित्रों के साथ कारवां में चलना पसंद करता था, किंतु इससे भी राजमार्गों के डाकुओं को रोका नहीं जा सका। मुल्तान से दिल्ली की यात्रा के दौरान उसके कारवां पर हमला हुआ और उसके कई मित्र यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस कारण वह यात्राओं को असुरक्षित समझता था।
प्रश्न 20. "रिहला" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :- "रिहला" इब्नबतूता द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया उसका यात्रा वृतांत है। यह 14वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के बारे में प्रचुर एवं दिलचस्प जानकारियां देता है।
इसमें इब्नबतूता ने भारतीय शहरों का जीवंत विवरण किया है जैसे -- भीड़-भाड़ वाली सड़कें, चमक-दमक वाले बाजार, बाजार आर्थिक गतिविधियों के केंद्र, डाक व्यवस्था, दिल्ली एवं दौलताबाद, पान और नारियल ने इब्नबतूता को आश्चर्यचकित किया। उसने दास दासियों के विषय में भी लिखा।
प्रश्न 21 इब्नबतूता ने नारियल एवं पान का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर :- इब्नबतूता ने नारियल को मानव सिर जैसा गिरीदार फल बताया है। उसके अनुसार नारियल पेड़ हु-बहू खजूर के पेड़ जैसा दिखता है। इनमें कोई फर्क नहीं है एक से काष्ठफल प्राप्त होता है तथा दूसरे से खजूर। नारियल के पेड़ का फल मानव के सिर से मेल खाता है क्योंकि इसमें भी मानो दो आंखें और एक मुंह और अंदर का भाग हरा होने पर मस्तिष्क जैसा दिखाई देता है।
इब्नबतूता के अनुसार, पान एक ऐसा पेड़ है जिसे अंगूर- लता की तरह ही उगाया जाता है। पान का कोई फल नहीं होता। उसे तो सिर्फ उसकी पत्तियों के लिए ही उगाया जाता है। इसे इस्तेमाल करने की विधि यह है इसे खाने से पूर्व सुपारी ली जाती है।
प्रश्न 22. इब्नबतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।
उत्तर :-
1. इब्नबतूता के अनुसार, बाजारों में दास किसी भी अन्य वस्तु की तरह सरेआम बेचे जाते थे ।
2. ये नियमित रूप से भेंट स्वरूप दिए जाते थे।
3.जब इब्नबतूता सिंध पहुंचा तो उसने सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक को भेंट के लिए भेंट स्वरूप घोड़े, ऊंट और दास खरीदें।
4. जब वह मुल्तान पहुंचा तो उसने गवर्नर को किशमिश, बादाम के साथ एक दास और घोड़ा भेंट के रूप में दिया।
5. इब्नबतूता बताता है कि मोहम्मद-बिन-तुगलक नसीरुद्दीन नामक धर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना आनंदित हुआ कि उसे एक लाख टके ( मुद्रा ) तथा 200 दास दे दिए।
6. इब्नबतूता के वृतांत से प्रतीत होता है कि दासों में बहुत विभेद था।
7. सुल्तान की सेवा में कुछ कार्यरत दासियां संगीत और गायन में निपुण थी।
8. सुल्तान अपने अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था।
9. दासों को सामान्यतः घरेलू श्रम के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
10. इब्नबतूता ने इनकी सेवाओं को पालकी पर डोले में पुरुषों और महिलाओं को ले जाने में खासतौर पर अपरिहार्य पाया ।
11 .दासों की कीमत खासतौर पर उन दासियों की, जिनकी आवश्यकता घरेलू श्रम के लिए थी बहुत कम थी।
प्रश्न 23. सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा ?
उत्तर :-
सती प्रथा के मार्मिक दृश्य ने बर्नियर का ध्यान आकर्षित किया। लाहौर में एक बहुत सुंदर अल्प वयस्क विधवा जिसकी आयु 12 वर्ष से अधिक नहीं थी उसे बर्नियर ने सती होते हुए देखा। बर्नियर के अनुसार उस भयानक नरक की ओर जाते हुए वह छोटी सी असहाय बच्ची जीवित से अधिक मृत प्रतीत हो रही थी। उसके मस्तिष्क की व्यथा का वर्णन नहीं किया जा सकता। वह बच्ची कांपते हुए बुरी तरह रो रही थी। लेकिन तीन-चार ब्राह्मण, एक बूढ़ी औरत, जिसने उसे अपनी आस्तीन के नीचे दबाया हुआ था की सहायता से उस पीड़िता को जबरन घातक स्थल की ओर ले गए। उसे लकड़ियों पर बैठा दिया गया। तत्पश्चात उस बच्ची के हाथ और पैर बांध दिए ताकि वह भाग न जाए। इस स्थिति में उस मासूम प्राणी को जिंदा जला दिया गया। बर्नियरअपनी भावनाओं को दबाने में और उनके कोलाहलपूर्ण तथा व्यर्थ के क्रोध को बाहर आने से रोकने में असमर्थ था। हालांकि कुछ महिलाएं प्रसन्नता से मृत्यु को गले लगा लेती थी और अन्य को मरने के लिए बाध्य किया जाता था।
प्रश्न 24. क्या समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्नबतूता का वृतांत सहायक है ?
उत्तर :-
(1) इब्नबतूता ने भारतीय उपमहाद्वीप के शहरों को व्यापक अवसरों से भरपूर पाया। यह अवसर उन लोगों के लिए थे जिनके पास इच्छा शक्ति, साधन एवं कौशल था। यह शहर घनी जनसंख्या वाले तथा समृद्ध थे। कभी-कभी युद्धों तथा अभियानों से होने वाले विनाश को छोड़कर।
(2) इब्नबतूता के वृतांत से ऐसा लगता है कि अधिकतर शहरों में भीड़-भाड़ वाली सड़कें चमक-दमक वाले रंगीन बाजार थे जो विभिन्न प्रकार की वस्तुओं से सटे रहते थे।
(3) इब्नबतूता दिल्ली को एक बड़ा शहर, विशाल जनसंख्या वाला तथा भारत में सबसे बड़ा कहता है। दौलताबाद भी कमतर नहीं था और आकृति में दिल्ली को चुनौती देता था।
(4) बाजार केवल आर्थिक विनिमय के स्थल नहीं थे बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। अधिकतर बाजारों में एक मस्जिद और एक मंदिर होता था। कुछ बाजारों में नृतकों, संगीतकारों तथा गायकों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए स्थान भी विद्यमान थे।
(5) इब्नबतूता शहरों की समृद्धि का वर्णन करने में अधिक रुचि नहीं रखता था परंतु इतिहासकारों ने उसके वृतांत का प्रयोग यह तर्क देने के लिए किया है कि शहरों की समृद्धि का आधार गांव की कृषि व्यवस्था थी।
(6) इब्नबतूता के अनुसार भारतीय कृषि के इतना अधिक उत्पादन होने का कारण मिट्टी को उपजाऊपन था । अतः किसानों के लिए वर्ष में दो फसलें उगाना आसान था।
उत्तर - लोग निम्न उद्देश्यों से यात्रा करते थे -
1. काम की खोज में,
2. प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए,
3. सैनिक, व्यापारी, पुरोहित एवं तीर्थयात्री के रूप में
4. या फिर साहस की भावनाओं से प्रेरित होकर ।
प्रश्न 2. 10वीं से 17वीं शताब्दी तक तीन प्रमुख यात्री भारत आए । वे कौन थे ?
उत्तर :-
1. अल-बिरूनी - अल-बिरूनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान के एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र ख्वारिज्म शहर में 973 ईसवी में हुआ था। वह कई भाषाओं का ज्ञाता था जिनमें सीरियाई फारसी हिब्रू और संस्कृत भाषा शामिल है।
वह 11 वीं शताब्दी में भारत आया था।
2.इब्नबतूता :- अफ्रीकी देश मोरक्को के इस यात्री का जन्म तैंजियर में हुआ था। उसका परिवार इस्लामिक कानून अथवा शरिया पर अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध था। वह 14वीं शताब्दी में भारत आया।
3.फ्रांस्वा बर्नियर :- फ्रांन्स का रहने वाला फ्रांस्वा बर्नियर एक डाक्टर, राजनीतिक, दार्शनिक, व एक इतिहासकार था। वह 1656 से 1668 तक भारत में 12 साल तक रहा। उसने सम्राट शाहजहां के जेष्ठ पुत्र दारा शिकोह के डॉक्टर के रूप में, बाद में मुगल दरबार के एक आर्मीनियाई दानिश खान के साथ एक बुद्धिजीवी व वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।
बर्नियर की पुस्तक का नाम Travels In Mughal Empire है। यह पुस्तक फ्रेंच भाषा में लिखी गई है।
प्रश्न 4. अल बिरूनी द्वारा लिखित पुस्तक किताब-उल- हिंद पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर -
(i) "किताब-उल-हिंद", अल बिरूनी द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया एक विस्तृत ग्रंथ है।
(ii) इसकी भाषा स्पष्ट और सरल है।
(iii) यह पुस्तक 80 अध्यायों में विभाजित है।
(iv) इसमें धर्म एवं दर्शन, खगोल- विज्ञान, कीमिया, त्योहारों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं, सामाजिक - जीवन, भार-तौल तथा मापन विधियों, मूर्तिकला, कानून, मापतंत्र विज्ञान इत्यादि विषयों का वर्णन किया गया है।
(v) अल बिरूनी ने इसमें एक विशिष्ट शैली का इस्तेमाल किया है। प्रत्येक अध्याय एक प्रश्न से शुरू होता था, फिर संस्कृतवादी परंपराओं पर आधारित वर्णन और आखिर में अन्य संस्कृतियों के साथ तुलना।
प्रश्न 5. भारत संबंधी विवरण को समझने में अलबरूनी के समक्ष कौन सी बाधाएं थी ?
उत्तर:- अल - बिरूनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित खवारिज में 973 ईसवी में हुआ था। ख्वारिज्म शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। वह कई भाषाएं जानता था जिनमें सीरियाई, फारसी, हिब्रू और संस्कृत शामिल थी ।
अल बिरूनी अपने लिए निर्धारित उद्देश्य में निहित समस्याओं से परिचित था।उसने कई "अवरोधों" की चर्चा की है जो उसकी समझ में बाधक थे।
(1) इनमें से प्रथम अवरोध भाषा थी। उसके अनुसार संस्कृत, अरबी तथा फारसी से इतनी भिन्न थी कि विचारों अौर सिद्धांतों को एक भाषा से दूसरी में अनुवादित करना सरल नहीं था।
(2) उसके द्वारा चिन्हित दूसरा अवरोध धार्मिक अवस्था और प्रथा में भिन्नता थी।
(3) उसके अनुसार तीसरा अवरोध अभिमान था। यहां रोचक बात यह है कि इन समस्याओं की जानकारी होने पर भी, अल-बिरूनी लगभग पूरी तरह से ब्राह्मणों द्वारा रचित कृतियों पर आश्रित रहा। उसने भारतीय समाज को समझने के लिए अक्सर वेदों, पुराणों, भगवदगीता, पतंजलि की कृतियों तथा मनुस्मृति आदि से अंश उद्धृत किए हैं।
प्रश्न 6. "अल- बिरूनी ने फारस की जाति व्यवस्था की तुलना भारत की वर्ण व्यवस्था से की है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- .अल- बिरूनी ने लिखा है कि प्राचीन फारस में चार सामाजिक वर्गों को मान्यता थी।
(i) घुड़सवार तथा शासक वर्ग
(ii) चिकित्सक, अनुष्ठानिक पुरोहित और भिक्षु
(iii) खगोल शास्त्री तथा अन्य वैज्ञानिक
(iv) किसान तथा शिल्पकार
अल-बिरूनी ने फारस की जाति व्यवस्था की तुलना भारत की वर्ण व्यवस्था से की है जिसमें चार वर्ण थे- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
उत्तर :- अल-बिरूनी के अनुसार भारतीय वर्ण व्यवस्था में:-
(i) सबसे ऊंची जाति ब्राह्मणों की है जिनके बारे में हिंदुओं के गृंथ हमें बताते हैं कि वे ब्रह्मा के सिर से पैदा हुए थे और क्योंकि ब्रह्म प्रकृति नामक शक्ति का ही दूसरा नाम है, तथा सिर शरीर का सबसे ऊपरी हिस्सा है। अतः ब्राह्मण पूरी प्रजाति के सबसे चुनिंदा हिस्सा हैं। इसी कारण से हिंदू उन्हें मानव जाति में सबसे अच्छा मानते हैं।
(ii) ब्राह्मण के बाद क्षत्रिय आते हैं जिनका जन्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा के कंधों और हाथों से हुआ है। वह लगभग ब्राह्मणों के समकक्ष हैं।
(iii) उनके बाद वैश्य आते हैं जिनका सर्जन ब्रह्मा की जंघाओं से हुआ था।
(iv) शुद्र सर्जन ब्रह्मा के पैरों से हुआ था।
प्रश्न 8. अल-बिरूनी ने जाति प्रथा के संबंध में अपवित्रता की मान्यता को क्यों नहीं स्वीकार किया ?
उत्तर :-
(i) उसके अनुसार प्रत्येक वह वस्तु जो अपवित्र हो जाती है अपनी पवित्रता की मूल स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास करती है और सफल होती है।
(ii) सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को गंदा होने से बचाता है। अलबरूनी बल देकर कहता है कि यदि ऐसा नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं होता।
उसके हिसाब से जाति व्यवस्था में सन्निहित अपवित्रता की अवधारणा प्रकृति के नियमों के खिलाफ थी।
प्रश्न 9. उदाहरण देकर दर्शाइए कि भारतीय सूती वस्त्रों की मांग पश्चिम और दक्षिण एशिया में बहुत अधिक क्यों थी?
उत्तर :- इब्नबतूता के अनुसार, भारतीय माल की मध्य तथा दक्षिण-पूर्व एशिया, दोनों में बहुत मांग थी जिससे शिल्पकारों तथा व्यापारियों को भारी मुनाफा होता था। भारतीय कपड़ों विशेष रूप से सूती कपड़ा, महीन मखमल, रेशम, जरी तथा साटन की अत्यधिक मांग थी। इब्नबतूता हमें बताता है कि महीना मखमल की कई किस्में इतनी अधिक महंगी थी कि उन्हें अमीर वर्ग तथा बहुत धनाढ्य लोग ही पहन सकते थे।
प्रश्न 10. इब्नबतूता का नारी दासों के बारे में कोई एक विचार लिखिए।
उत्तर:- इब्नबतूता के अनुसार - दासियों को सफाई कर्मचारी के रूप में रखा जाता था और वे बिना हिचक घरों में घुस जाती थी ।
दासियां गुप्त सूचनाओं को राज्य तक पहुंचाने का काम करती थी।
सुल्तान अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था ।
सुल्तान की सेवा में नियुक्त कुछ दासियां संगीत और गायन में निपुण थी।
प्रश्न 11. बर्नियर ने मुगल शासन के अंतर्गत शिल्पकारों के जटिल सामाजिक वास्तविकता का वर्णन किस प्रकार किया है ? कोई एक कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- बर्नियर कहता है कि शिल्पकारों को अपने उत्पादों को बेहतर बनाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता था, क्योंकि उनके मुनाफे का अधिग्रहण राज्य द्वारा कर लिया जाता था। इसलिए उत्पादन के स्तर में निरंतर कमी आ रही थी। दूसरी ओर वह कहता है कि पूरे विश्व से बड़ी मात्रा में बहुमूल्य धातुएं भारत में आती थी, क्योंकि उत्पादों का सोने और चांदी के बदले निर्यात होता था।
प्रश्न 12. प्रसिद्ध यूरोपीय लेखक दुआर्ते बरबोस का यात्रा वृतांत किस के संदर्भ में है?
उत्तर ;- प्रसिद्ध यूरोपीय लेखक दुआर्ते बरबोस का यात्रा वृतांत दक्षिण भारत में व्यापार तथा समाज का एक विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करता है।
प्रश्न 13. इब्न बतूता द्वारा वर्णित दो प्रकार की डाक व्यवस्था के नाम बताइए।
उत्तर :- इब्नबतूता ने दो प्रकार की डाक व्यवस्था का वर्णन किया है -
( 1)अश्व डाक व्यवस्था जिसे उलुक कहा जाता था।
(2) पैदल डाक व्यवस्था जिसे दावा कहा जाता था।
प्रश्न 14. मार्को पोलो कौन था?
उतर :- मार्कोपोलो तेरहवीं शताब्दी में इटली से आया एक यात्री था।
प्रश्न 15. बर्नियर का शिविर नगर से क्या अभिप्राय था ?
उत्तर :- बर्नियर मुगलकालीन शहरों को "शिविर नगर" कहता है जिससे उसका मतलब उन नगरों से था जो अपने अस्तित्व के लिए राजकीय शिविर पर आश्रित थे। उसका मानना था कि ये राजकीय दरबार के आगमन के साथ अस्तित्व में आते थे इसके कहीं और चले जाने के बाद तीव्रता से पतनोन्मुख हो जाते थे।
प्रश्न 16. इब्नबतूता ने भारत आने से पूर्व किन-किन देशों की यात्राएं की?
उतर :- इब्नबतूता ने भारत आने से पूर्व मक्का की तीर्थ यात्रा की । वह सीरिया, इराक, यमन, ओमान, पूर्वी अफ्रीका के व्यापारिक बंदरगाहों पर भी गया।
प्रश्न 17. 17वीं शताब्दी में कौन सा यूरोपीय यात्री भारतीय उपमहाद्वीप में आया था ?
उत्तर - फ्रांस्वा बर्नियर ।
प्रश्न 18. रिहला के अनुसार उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा शहर..... दिल्ली ....... था ।
प्रश्न 19. इब्नबतूता के अनुसार यात्राएं करना अधिक असुरक्षित क्यों था ?
उत्तर :- इब्नबतूता ने अनेक बार डाकुओं के झूंड द्वारा किए गए हमले झेले थे। यहां तक कि वह अपने मित्रों के साथ कारवां में चलना पसंद करता था, किंतु इससे भी राजमार्गों के डाकुओं को रोका नहीं जा सका। मुल्तान से दिल्ली की यात्रा के दौरान उसके कारवां पर हमला हुआ और उसके कई मित्र यात्रियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस कारण वह यात्राओं को असुरक्षित समझता था।
प्रश्न 20. "रिहला" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :- "रिहला" इब्नबतूता द्वारा अरबी भाषा में लिखा गया उसका यात्रा वृतांत है। यह 14वीं सदी में भारतीय उपमहाद्वीप के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन के बारे में प्रचुर एवं दिलचस्प जानकारियां देता है।
इसमें इब्नबतूता ने भारतीय शहरों का जीवंत विवरण किया है जैसे -- भीड़-भाड़ वाली सड़कें, चमक-दमक वाले बाजार, बाजार आर्थिक गतिविधियों के केंद्र, डाक व्यवस्था, दिल्ली एवं दौलताबाद, पान और नारियल ने इब्नबतूता को आश्चर्यचकित किया। उसने दास दासियों के विषय में भी लिखा।
प्रश्न 21 इब्नबतूता ने नारियल एवं पान का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर :- इब्नबतूता ने नारियल को मानव सिर जैसा गिरीदार फल बताया है। उसके अनुसार नारियल पेड़ हु-बहू खजूर के पेड़ जैसा दिखता है। इनमें कोई फर्क नहीं है एक से काष्ठफल प्राप्त होता है तथा दूसरे से खजूर। नारियल के पेड़ का फल मानव के सिर से मेल खाता है क्योंकि इसमें भी मानो दो आंखें और एक मुंह और अंदर का भाग हरा होने पर मस्तिष्क जैसा दिखाई देता है।
इब्नबतूता के अनुसार, पान एक ऐसा पेड़ है जिसे अंगूर- लता की तरह ही उगाया जाता है। पान का कोई फल नहीं होता। उसे तो सिर्फ उसकी पत्तियों के लिए ही उगाया जाता है। इसे इस्तेमाल करने की विधि यह है इसे खाने से पूर्व सुपारी ली जाती है।
प्रश्न 22. इब्नबतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।
उत्तर :-
1. इब्नबतूता के अनुसार, बाजारों में दास किसी भी अन्य वस्तु की तरह सरेआम बेचे जाते थे ।
2. ये नियमित रूप से भेंट स्वरूप दिए जाते थे।
3.जब इब्नबतूता सिंध पहुंचा तो उसने सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक को भेंट के लिए भेंट स्वरूप घोड़े, ऊंट और दास खरीदें।
4. जब वह मुल्तान पहुंचा तो उसने गवर्नर को किशमिश, बादाम के साथ एक दास और घोड़ा भेंट के रूप में दिया।
5. इब्नबतूता बताता है कि मोहम्मद-बिन-तुगलक नसीरुद्दीन नामक धर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना आनंदित हुआ कि उसे एक लाख टके ( मुद्रा ) तथा 200 दास दे दिए।
6. इब्नबतूता के वृतांत से प्रतीत होता है कि दासों में बहुत विभेद था।
7. सुल्तान की सेवा में कुछ कार्यरत दासियां संगीत और गायन में निपुण थी।
8. सुल्तान अपने अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था।
9. दासों को सामान्यतः घरेलू श्रम के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।
10. इब्नबतूता ने इनकी सेवाओं को पालकी पर डोले में पुरुषों और महिलाओं को ले जाने में खासतौर पर अपरिहार्य पाया ।
11 .दासों की कीमत खासतौर पर उन दासियों की, जिनकी आवश्यकता घरेलू श्रम के लिए थी बहुत कम थी।
प्रश्न 23. सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा ?
उत्तर :-
सती प्रथा के मार्मिक दृश्य ने बर्नियर का ध्यान आकर्षित किया। लाहौर में एक बहुत सुंदर अल्प वयस्क विधवा जिसकी आयु 12 वर्ष से अधिक नहीं थी उसे बर्नियर ने सती होते हुए देखा। बर्नियर के अनुसार उस भयानक नरक की ओर जाते हुए वह छोटी सी असहाय बच्ची जीवित से अधिक मृत प्रतीत हो रही थी। उसके मस्तिष्क की व्यथा का वर्णन नहीं किया जा सकता। वह बच्ची कांपते हुए बुरी तरह रो रही थी। लेकिन तीन-चार ब्राह्मण, एक बूढ़ी औरत, जिसने उसे अपनी आस्तीन के नीचे दबाया हुआ था की सहायता से उस पीड़िता को जबरन घातक स्थल की ओर ले गए। उसे लकड़ियों पर बैठा दिया गया। तत्पश्चात उस बच्ची के हाथ और पैर बांध दिए ताकि वह भाग न जाए। इस स्थिति में उस मासूम प्राणी को जिंदा जला दिया गया। बर्नियरअपनी भावनाओं को दबाने में और उनके कोलाहलपूर्ण तथा व्यर्थ के क्रोध को बाहर आने से रोकने में असमर्थ था। हालांकि कुछ महिलाएं प्रसन्नता से मृत्यु को गले लगा लेती थी और अन्य को मरने के लिए बाध्य किया जाता था।
प्रश्न 24. क्या समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्नबतूता का वृतांत सहायक है ?
उत्तर :-
(1) इब्नबतूता ने भारतीय उपमहाद्वीप के शहरों को व्यापक अवसरों से भरपूर पाया। यह अवसर उन लोगों के लिए थे जिनके पास इच्छा शक्ति, साधन एवं कौशल था। यह शहर घनी जनसंख्या वाले तथा समृद्ध थे। कभी-कभी युद्धों तथा अभियानों से होने वाले विनाश को छोड़कर।
(2) इब्नबतूता के वृतांत से ऐसा लगता है कि अधिकतर शहरों में भीड़-भाड़ वाली सड़कें चमक-दमक वाले रंगीन बाजार थे जो विभिन्न प्रकार की वस्तुओं से सटे रहते थे।
(3) इब्नबतूता दिल्ली को एक बड़ा शहर, विशाल जनसंख्या वाला तथा भारत में सबसे बड़ा कहता है। दौलताबाद भी कमतर नहीं था और आकृति में दिल्ली को चुनौती देता था।
(4) बाजार केवल आर्थिक विनिमय के स्थल नहीं थे बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों के केंद्र भी थे। अधिकतर बाजारों में एक मस्जिद और एक मंदिर होता था। कुछ बाजारों में नृतकों, संगीतकारों तथा गायकों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए स्थान भी विद्यमान थे।
(5) इब्नबतूता शहरों की समृद्धि का वर्णन करने में अधिक रुचि नहीं रखता था परंतु इतिहासकारों ने उसके वृतांत का प्रयोग यह तर्क देने के लिए किया है कि शहरों की समृद्धि का आधार गांव की कृषि व्यवस्था थी।
(6) इब्नबतूता के अनुसार भारतीय कृषि के इतना अधिक उत्पादन होने का कारण मिट्टी को उपजाऊपन था । अतः किसानों के लिए वर्ष में दो फसलें उगाना आसान था।
Very Nice Notes sir ji. Thank You Show much
ReplyDeleteThankyou so muchhhh Sir really very helpful notes ❤
ReplyDeleteThanks dear sir 😊
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