Saturday, April 25, 2020

अध्याय - 7 एक साम्राज्य की राजधानी: विजयनगर (लगभग 14वीं से 16वीं शताब्दी तक)



कुछ स्मरणीय तथ्य-

1. विजयनगर साम्राज्य विजय का शहर कृष्णा व तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित था।

2. इसकी राजधानी विजयनगर (हंपी) के भग्नावशेष 1800 ई.में एक अभियंता तथा पुराविद् कर्नल कॉलिन मैकेंजी द्वारा प्रकाश में लाए गए थे।

3. कर्नल मैकेंजी ईस्ट इंडिया कंपनी में 1815 में भारत के प्रथम सर्वेयर जनरल बनकर भारत आए थे।

4. विजयनगर की स्थापना दो भाइयों हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 ई.में की गई थी।

5. विजयनगर साम्राज्य के शासक अपने आप को 'राय' कहते थे।

6. इसके प्रमुख शासक कृष्णदेव राय (1509 - 1529 ई.) थे।

7. विजयनगर पर संगम, सुलुव,तुलुव व अराविदु इन चार वंशों ने शासन किया।
(क) 1336-1485 ई. तक संगम वंश ने।
(ख) 1503 ई. तक सुलुव वंश ने।
(ग) 1503-1542 ई. तक तुलुव वंश ने।
(घ) 1542 ई. के बाद अराविदु वंश ने।

8. कृष्णदेव राय तुलुव वंश के थे।

9. विस्तार और सुदृढीकरण कृष्णदेव राय के शासन की मुख्य विशेषताएं थी।

10. कृष्णदेव राय ने शासनकाल के विषय में 'अमुक्तमल्यद' नामक तेलुगु भाषा में एक कृति लिखी है।

11. विजयनगर मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों के बाजारों के लिए प्रसिद्ध था।

12. नायक सेना प्रमुख थे। उनके पास ससस्त्र समर्थक सैनिक होते थे।

13. अमर नायक सैनिक कमांडर थे।

14. विजयनगर में दो प्रसिद्ध मंदिर विरुपाक्ष मंदिर एवं विट्ठल मंदिर हैं।

15. हज़ार राम का मंदिर विजय नगर के राजकीय केंद्र में स्थित है।

16. दक्षिण के मंदिरों के ऊंचे द्वारों को गोपुरम कहा जाता है।

17. मंदिर परिसर, सभागार को मंडप कहा जाता है।

18. महानवमी डिब्बा एक विशालकाय मंच है जो लगभग 11000 वर्ग फीट के आधार और 40 फीट की ऊंचाई तक जाता है।

19. राजकीय केंद्र में सबसे सुंदर भवनों में एक है लोटस महल।

20. सबसे प्रभावशाली दो मंच सभामंडप और महानवमी डिब्बा।

21. कमलपुरम् जलाशय एक महत्वपूर्ण हौज़ है जिसका निर्माण 15वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में हुआ। इसे नहर के माध्यम से राजकीय केंद्र तक भी ले जाया जाता था।

22. 1976 ई. में हंपी को राष्ट्रीय महत्व के स्थल के तौर पर मान्यता मिली।

23. 1986 ई. में हंपी को यूनेस्को द्वारा विश्व पुरातत्व स्थल घोषित किया गया था।

24. जहां इतिहासकार विजयनगर साम्राज्य शब्द का इस्तेमाल करते हैं वहीं समकालीन लोगों ने उसे कर्नाटक साम्राज्यमु की संज्ञा दी।

25. विजयनगर साम्राज्य में आने वाले यात्री -

1. अब्दुर रज्जाक :- 15वीं शताब्दी में फारस के राजा द्वारा कालीकट (कोझिकोड) भेजा गया दुत अब्दुर रज्जाक किलेबंदी से प्रभावित था। वह विजय नगर के शासक देवराज द्वितीय के शासनकाल में भारत आया था।

2. निकोलो कॉन्ती :- इटली का व्यापारी था। 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थी।

3. डोमिंगो पेस :-पुर्तगाली यात्री था। डोमिंगो पेस ने विजयनगर शहर का विवरण दिया है। उन्होंने शहर को रोम जितना बड़ा शहर बताया है। उसने खेत, बगीचे, बाजार, आवास, जल व्यवस्था, झीलों आदि का उल्लेख किया है।

4. फर्नाओ नूनिज :- वह एक पुर्तगाली यात्री, इतिहासकार और घोड़ों का व्यापारी था। वह 16 वीं शताब्दी में भारत आया।

5. दुआर्ते बरबोसा :- वह एक पुर्तगाली यात्री और खोजकर्ता था। वह सोलहवीं शताब्दी में भारत आया था।

6. अफ़ानासी निकितन :- भारत की यात्रा करने वाला पहला रुसी यात्री था। वह 15 वीं शताब्दी में भारत आया।

प्रश्न 1. विजय नगर के कमलपुरम जलाशय हौज़ का एक महत्व बताइए ।

उत्तर - इस हौज़ के पानी से न सिर्फ आसपास के खेतों को सींचा जाता था बल्कि इसे एक नहर के
जरिए "राजकीय केंद्र" तक भी ले जाया जाता था।

प्रश्न 2. "गोपुरम" व "मंडप" में कोई एक अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -
[ ] दक्षिण के मंदिरों के ऊंचे द्वारों को गोपुरम कहा जाता था । यह मंदिर के प्रवेश द्वार थे ।

[ ] मंदिर परिसर को मंडप कहा जाता था । यह मंदिर में बने सभागार थे।

प्रश्न 3. विजयनगर की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई ?

उत्तर - विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दो भाइयों हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 ईस्वी में की गई थी।

प्रश्न 4. विजय नगर के शासकों ने कौन सी उपाधि धारण की ?

उत्तर - विजयनगर साम्राज्य के शासक अपने आप को राय कहते थे।

प्रश्न 5. अश्वपति,गजपति और नरपति में अंतर बताइए।

उत्तर - गजपति का शाब्दिक अर्थ हाथियों का स्वामी होता है । उड़ीसा के शासकों को गजपति कहा जाता था।

दक्कन के सुल्तानों को अश्वपति अथवा घोड़ों के स्वामी कहा जाता था ।

रायों को नरपति अथवा लोगों के स्वामी की संज्ञा दी गई।

प्रश्न 6. विजय नगर की राजधानी का नाम क्या था ? किसके नाम पर इसका नाम रखा गया ?

उत्तर :- विजय नगर या "विजय का शहर" एक शहर एवं एक साम्राज्य दोनों का ही नाम था । वर्तमान में इसके अवशेषों को हम्पी के नाम से जाना जाता है । इस नाम का आविर्भाव यहां की स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम पर हुआ था।

प्रश्न 7. राक्षसी तांगडी़ का युद्ध किनके बीच में हुआ और इनमें कौन विजयी रहा ?

उत्तर - राक्षसी तांगड़ी (तालीकोटा) का युद्ध 1565 ई. में विजय नगर की सेना प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में राक्षस तांगड़ी के युद्ध में उतरी जहां उसे बीजापुर, गोलकुंडा एवं अहमदनगर की संयुक्त सेनाओं द्वारा शिकस्त मिली।

प्रश्न 8. कृष्णदेव राय के शासन की चारित्रिक विशेषता क्या थी ?

उत्तर - कृष्णदेव राय के शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार और सुदृढ़ीकरण था ।

इन्होंने शासनकाल के विषय में 'अमुक्तमल्यद' नामक तेलुगु भाषा में एक कृति लिखी।

प्रश्न 9. कृष्णदेव राय कौन से वंश से संबंद्ध थे ?

उत्तर - विजयनगर के सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा कृष्णदेव राय तुलुव वंश से संबंधित थे।

प्रश्न 10. यवन राज्य की स्थापना करने वाला विरुद् किसने और क्यों धारण किया ? कोई एक कारण दीजिए।

उत्तर - कृष्णदेव राय ने सल्तनतों में सत्ता के अनेक दावेदारों का समर्थन किया तथा "यवन राज्य की स्थापना करने वाला" विरुद धारण करके गौरव अनुभव
किया।

प्रश्न 11. विजयनगर साम्राज्य में जिलों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर :- विजयनगर साम्राज्य में जिलों को कोट्टम कहा जाता था।

प्रश्न 12. यवन कौन थे ?

उत्तर :- यवन संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका प्रयोग यूनानियों तथा उत्तर पश्चिम से उपमहाद्वीप में आने वाले अन्य लोगों के लिए किया जाता था।

प्रश्न 13. 'अमर 'शब्द से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर :- 'अमर' शब्द का आविर्भाव मान्यता अनुसार संस्कृत शब्द समर से हुआ है जिसका अर्थ है लड़ाई या युद्ध । यह फारसी शब्द अमीर से भी मिलता जुलता है जिसका अर्थ है - ऊंचे पद का कुलीन व्यक्ति।

प्रश्न 14. विजयनगर साम्राज्य में नायक किन्हें कहते थे ? वे कौन होते थे ?

उत्तर :- विजयनगर साम्राज्य में सेना प्रमुखों को नायक कहा जाता था। वे किलों पर नियंत्रण रखते थे। उनके पास सशस्त्र समर्थक होते थे । यह सेना प्रमुख एक जगह से दूसरी जगह तक भ्रमणशील रहते थे। यह तेलगु ,कन्नड़ भाषा बोलते थे।

प्रश्न 15. अमर नायक कौन थे ? उनके किन्हीं दो कार्यों का उल्लेख करो।

उत्तर :- अमर नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक खोज थी । इस प्रणाली के कई तत्व दिल्ली सल्तनत की ईक्ता प्रणाली से लिए गए थे।

अमर नायक विजयनगर राज्य के सैनिक कमांडर थे जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र दिए जाते थे ।
कार्य :-
(1) वे किसानों, शिल्पियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व वसूलते थे ।

(2) वे राजस्व का कुछ हिस्सा निजी उपयोग और घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल की देखरेख के लिए अपने पास रख लेते थे।

(3) उनके सैनिक दल आवश्यकता के समय में राजा को सैनिक सहायता देते थे।

(4) अमर नायक राजा को साल में एक बार उपहार भेजा करते थे और अपने स्वामी भक्ति व्यक्त करने के लिए राजकीय दरबार में भेंट़ों के साथ उपस्थित हुआ करते थे।

प्रश्न 16. विजयनगर साम्राज्य के पतन के किन्हीं दो कारणों को लिखिए।

उत्तर :-
(1) विजयनगर राज्य में शासन प्राप्ति के लिए गृह युद्ध चलते रहते थे। इन युद्धों ने राज्य की शक्ति को कमजोर कर दिया।

(2) कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात विद्रोही नायकों तथा सेनापतियों द्वारा उसके उत्तराधिकारियों को चुनौती दी जाने लगी।

(3) 1565 में तालीकोटा के युद्ध में विजय नगर की सेनाएं बुरी तरह से पराजित हुई थी। विजयी सेनाओं ने विजयनगर शहर को खूब लूटा और कुछ ही वर्षों में शहर उजड़ गया।

प्रश्न 17. कॉलिन मैकेंजी कौन था ?

उत्तर :- कॉलिन मैकेंजी ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत एक अधिकारी थे। वे एक अभियंता, पुरातत्व सर्वेक्षक एवं मानचित्रकार थे। हंपी के खंडहरों की खोज 1800 ई. में इन्होंने ही की थी। उन्होंने इस जगह का प्रथम सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया । 1815 में उन्हें भारत का पहला सर्वेयर जनरल बनाया गया और 1821 में अपनी मृत्यु तक वे इस पद पर बने रहे।


प्रश्न 18. पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भग्नावशेषों के अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है?

उत्तर :- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर एवं बुक्का राय नाम के दो भाइयों ने 1836 ईसवी में की थी। विजय नगर या "विजय का शहर" एक शहर एवं एक साम्राज्य दोनों का ही नाम था । 1565 ईस्वी में इस पर हमला कर इसे लूटा गया और बाद में यह उजड़ गया । यद्यपि सत्रहवीं अठारहवीं शताब्दियों तक यह पूर्णतया नष्ट हो गया था । लेकिन फिर भी कृष्णा तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृतियों में यह जिंदा रहा । उन्होंने इसे हम्पी नाम से स्मरण रखा।
हंपी के भग्नावशेषों के अध्ययन में पिछली दो शताब्दियों में अनेक पद्धतियों का प्रयोग किया गया है-

(1) 1800 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में एक अभियंता एवं पुराविद् कर्नल कॉलिन मैकेंजी ने हंपी के खंडहरों की तरफ ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस स्थान का प्रथम सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया।

(2) मैकेंजी द्वारा प्राप्त आरंभिक जानकारियां विरुपाक्ष मंदिर तथा पम्पादेवी की पूजास्थानों के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी।

(3) कालांतर में 1856 ई. से छाया चित्रकारों ने यहां की इमारतों के चित्र संकलित करने शुरू किए जिससे शोधकर्ता उनका अध्ययन कर सकें।

(4) 1836 ई. से ही अभिलेख कर्ताओं ने यहां तथा हंपी के दूसरे मंदिरों से अनेक दर्जन अभिलेखों को एकत्रित करना शुरू कर दिया ।

(5) हम्पी के भग्नावशेषों के इतिहास के निर्माण में विदेशी यात्रियों के वृत्तान्तों का भी अध्ययन किया गया।
इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृतान्तों और तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और संस्कृत में लिखे गए साहित्य से मिलान किया।

(6) 1876 ई. में जे.एफ.फ्लीट ने पुरास्थल के मंदिर की दीवारों के अभिलेखों का अध्ययन किया। विरुपाक्ष मंदिर के पुरोहितों द्वारा प्रदत्त सूचनाओं की पुष्टि की।


प्रश्न 19. विजयनगर की जल आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था ?

उत्तर :- विजयनगर का क्षेत्र प्रायद्वीप के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से था। अतः पानी के संचयन और इसे शहर तक ले जाने का व्यापक प्रबंध किया जाता था जो कि निम्न प्रकार से था :-

(1) विजयनगर की जल आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तुंगभद्रा नदी द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक कुंड से पूरा किया जाता था । यह नदी उत्तर पूर्व दिशा में बहती है।

(2) इस कुंड के आसपास ग्रेनाइट की पहाड़ियां हैं। यह पहाड़ियां शहर के चारों ओर करघनी का निर्माण करती सी प्रतीत होती हैं । इन पहाड़ियों से अनेक जल-धाराएं निकलकर नदी में जा मिलती हैं।

(3) लगभग सभी धाराओं के साथ-साथ बांध बनाकर भिन्न-भिन्न आकारों के हौज़ बनाए गए थे।

(4) ऐसे सबसे महत्वपूर्ण हौज़ों में एक का निर्माण 15वीं शताब्दी के शुरुआती सालों में हुआ जिसे आज कमलपुरम् जलाशय कहा जाता है। इस हौज़ के पानी से न सिर्फ आसपास के खेतों को सींचा जाता था अपितु इसे एक नहर के जरिए राजकीय केंद्र तक भी ले जाया गया था।

(5) सबसे महत्वपूर्ण जल संबंधी संरचनाओं में से एक हिरिया नहर को आज भी भग्नावशेषों के मध्य देखा जा सकता है ।

(6) इस नहर में तुंगभद्रा पर निर्मित बांध से पानी लाया जाता था तथा इसे "धार्मिक केंद्र" से "शहरी केन्द्र" को प्रथक करने वाली घाटी को सिंचित करने में इस्तेमाल किया जाता था। शायद इसका निर्माण संगम वंश के शासकों द्वारा करवाया गया था।

प्रश्न 20. "अब्दुर रज्जाक विजयनगर की किलेबंदी से बहुत प्रभावित था।" कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- विजयनगर शहर के विभिन्न भागों को विशाल किलेबंदी की दीवारों से घेरा गया था। अब्दुर रज्जाक विजयनगर शहर की किलेबंदी से काफी प्रभावित हुआ।

(1) उसके अनुसार, किलेबंदी की सात पंक्तियां थीं।

(2) इनसे न सिर्फ शहर को अपितु खेतों में प्रयुक्त आसपास के क्षेत्र और जंगलों को भी घेरा गया था।

(3) सबसे बाहरी दीवार शहर के चारों तरफ बनी पहाड़ियों को आपस में जोड़ते थी।

(4) यह विशाल संरचना थोड़ी शुंडाकार थी। गारे अथवा जोड़ने के लिए किसी भी वस्तु के निर्माण में कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया था।

(5) पत्थर के टुकड़े फनाकार थे जिसके कारण वे अपनी जगह पर टिके रहते थे। दीवारों के भीतर का हिस्सा मिट्टी और मलबे के मिश्रण से बना हुआ था।

(6) वर्गाकार और आयताकार बुर्ज बाहर की तरफ निकले हुए थे।

(7) इस किलेबंदी की सबसे खास बात यह थी कि इसमें खेतों को भी घेरा गया था।

(8) पहली, दूसरी तथा तीसरी दीवारों के मध्य जूते हुए खेत, बगीचे और घर थे।

(9) धार्मिक केंद्र और नगरीय केंद्र के मध्य एक कृषि क्षेत्र के साक्ष्य मिले हैं जिसमें तुंगभद्रा से नहर प्रणाली के जरिए पानी लाया जाता था।

(10) विजयनगर के राजाओं ने पूरे कृषि भू-भाग को बचाने के लिए एक ज्यादा महंगी और विस्तृत नीति को अपनाया।

(11) दूसरी किलेबंदी नगरीय केंद्र के आंतरिक हिस्से के चारों तरफ बनी हुई थी, व तीसरी से शासकीय केंद्र को घेरा गया था जिसमें महत्वपूर्ण इमारतों के हर एक समूह को अपनी ऊंची दीवारों से घिरा हुआ था।

(12) दुर्ग में प्रवेश करने के लिए बहुत सुरक्षित प्रवेश द्वार थे जो शहर को प्रमुख सड़कों से जोड़ते थे।


प्रश्न 21. महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्व था ?

उत्तर :- विजयनगर की कुछ अति विशिष्ट संरचनाओं का नामकरण भवनों के आकार और साथ ही उनके कार्यों के आधार पर किया गया है। "राजा का भवन" अंत: क्षेत्र में सबसे विशाल संरचना है । इसके दो प्रभावशाली मंच सभामंडप व महानवमी डिब्बा हैं। महानवमी डिब्बा एक विशालकाय मंच है जो लगभग 11000 वर्ग फीट के आधार से 40 फीट की ऊंचाई तक जाता है इससे जुड़े अनुष्ठानों का महत्व निम्नलिखित था-

(1) इस संरचना से जुड़े अनुष्ठान, संभवत सितंबर तथा अक्टूबर की शरद मासों में मनाए जाने वाले 10 दिन के हिंदू त्यौहार जिसे दशहरा (उत्तर भारत), दुर्गा पूजा (बंगाल में), नवरात्रि एवं महानवमी (प्रायद्वीपीय भारत में) नामों से जाना जाता है, के महानवमी के अवसर पर निष्पादित किए जाते थे।

(2) इस अवसर पर विजयनगर शासक अपने रुतबे शक्ति तथा आधिराज्य का प्रदर्शन करते थे।

(3) इस मौके पर होने वाले धर्मानुष्ठानों में मूर्ति की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा और भैंसों तथा दूसरे जानवरों की बलि शामिल थी।

(4) नृत्य और कुश्ती प्रतिस्पर्धा से लोगों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त होता था।

(5) सैनिकों की शोभायात्रा और प्रमुख नायकों और अधीनस्थ राजाओं द्वारा राजा तथा उसके अतिथियों को दी जाने वाली औपचारिक भेंट राजा की शक्ति और वैभव के संकेत थे।

(6) आखिरी दिन राजा अपनी तथा अपने नायकों की सेना का खुले मैदान में निरीक्षण करता था। इस अवसर पर नायक राजा के लिए बड़ी मात्रा में भेंट तथा नियत कर भी लाते थे।

(7) धार्मिक अनुष्ठानों से राजा व प्रजा की धार्मिक प्रवृत्ति की जानकारी मिलती है।


प्रश्न 22. विरुपाक्ष मंदिर मंदिर पर टिप्पणी लिखो।


उत्तर :- विरुपाक्ष मन्दिर
(1) विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण अनेक शताब्दियों में हुआ था । यद्यपि अभिलेखों से ज्ञात होता है कि सबसे प्राचीन मंदिर नवीं- दसवीं शताब्दियों का था,विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के पश्चात इसे कहीं ज्यादा बड़ा किया गया था ।
(2) प्रमुख मंदिर के समक्ष बना मंडप कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में बनाया था । इसे बारीकी से उत्कीर्णीत स्तंभों से सजाया गया था । पूर्वी गोपुरम के निर्माण का संपूर्ण श्रेय भी उसी को दिया जाता है। इन परिवर्धनों का आशय था कि केंद्रीय देवालय पूरे परिसर के एक छोटे हिस्से तक सीमित रह गया था।

(3) मंदिर के सभागारों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए होता था। इनमें से अनेक ऐसे थे जिनमें देवताओं की मूर्तियां, संगीत, नृत्य तथा नाटकों के खास कार्यक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थी।

(4) अन्य सभागारों का इस्तेमाल देवी देवताओं के विवाह के मौके पर आनंद मनाने और कुछ अन्य का इस्तेमाल देवी देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था । इन मौकों पर खास मूर्तियों का इस्तेमाल होता था जो छोटे केंद्रीय देवालयों में स्थापित मूर्तियों से अलग होती थी।

(5) कुछ मान्यताओं के अनुसार स्थानीय मातृ देवी पम्पादेवी ने यहां की पहाड़ियों में विरुपाक्ष जो राज्य के संरक्षक देवता तथा शिव का एक रूप माने जाते हैं, से विवाह के लिए तप किया था । आज भी यह विवाह विरुपाक्ष मंदिर में हर वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है।

प्रश्न 23.विट्ठल मंदिर की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

विट्ठल मंदिर :-
यहां के मुख्य देवता विट्ठल थे जो प्राय: महाराष्ट्र में पूजे जाने वाले विष्णु के एक रूप हैं। इस देवता की पूजा अर्चना को कर्नाटक में शुरू करना उन ज़रियों का द्योतक है जिनसे एक साम्राज्यिक संस्कृति के निर्माण के लिए विजयनगर के राजाओं ने भिन्न-भिन्न परंपराओं को आत्मसात किया । अन्य मंदिरों की भांति ही इस मंदिर में भी अनेक सभागार और रथ के आकार का एक अद्वितीय मंदिर भी है।


प्रश्न 24. राजकीय केंद्र में स्थित कमल महल का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर;- राजकीय केंद्र के सबसे अधिक सुंदर भवनों एक लोटस (कमल) महल है, इसे यह नाम उन्नीसवीं सदी के अंग्रेजी यात्रियों ने दिया था। यद्यपि यह नाम निश्चित रूप से दिलचस्प है परंतु इतिहासकार इस विषय में निश्चित नहीं है कि यह भवन किस काम के लिए बना था। एक मत के अनुसार यह परिषदीय सदन था जहां शासक अपने परामर्शदाताओं से मिलता था।

प्रश्न 25. राजकीय केंद्र में स्थित हज़ार राम मंदिर की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर :- यद्यपि अधिकतर मंदिर धार्मिक केंद्र में स्थित थे परंतु राजकीय केंद्र में भी अनेक मंदिर थे । इनमें से एक अत्यधिक दर्शनीय को हज़ार राम मंदिर कहते हैं।

(1) शायद इसका इस्तेमाल सिर्फ राजा और उनके परिवार द्वारा किया जाता था।

(2) मध्य के देवस्थल की प्रतिमा अब नहीं है परंतु दीवारों पर निर्मित पटल मूर्तियां सुरक्षित हैं।

(3)इनमें मंदिर की अंदर की दीवारों पर उत्कीर्णित रामायण से लिए गए कुछ दृश्यांश शामिल हैं।


प्रश्न 26. विजयनगर के शासकों के देवताओं से गहन संबंधों के संकेतक के उदाहरण दीजिए।

उत्तर :-
(1) राजकीय आदेशों पर कन्नड लिपि में "श्री विरुपाक्ष" शब्द अंकित होता था।
(2) शासक देवताओं से अपने गहन संबंधों के संकेतक के रूप में विरुद् 'हिंदू सुरतराणा' का प्रयोग करते थे। इसका शाब्दिक अर्थ था हिंदू सुल्तान।


14 comments:

CBSE PAPER & ANSWER KEY 19-20