शासक और इतिवृत्त
कुछ स्मरणीय तथ्य
मुगल वंश का संस्थापक जहीरूद्दीन बाबर था।अकबर इस वंश का सबसे महान शासक था।
इस वंश के शासक और उनका शासन काल -
1. नसीरुद्दीन हुमायूं (1530-40, 1555-56)
2. जलालुद्दीन अकबर (1556-1605)
3.जहांगीर (सलीम) (1605-27)
4.शाहजहां (1628-58)
5.औरंगजेब (1658-1707)
बहादुरशाह ज़फ़र द्वित्तीय इस वंश का अंतिम शासक था जिसको अंग्रेजों ने 1857 की क्रान्ति के बाद गद्दी से हटा दिया।
मुगल काल की प्रमुख रचनाएं और उनके लेखक -
1. "बाबरनामा" - बाबर
2. "हुमायूंनामा" - गुलबदन बेगम (हुमायूं की बहन)
3. "अकबरनामा " - अबुल फ़ज़ल
4. "बादशाहनामा " - अब्दुल हमीद लाहौरी
3. "अकबरनामा " - अबुल फ़ज़ल
4. "बादशाहनामा " - अब्दुल हमीद लाहौरी
क्रॉनिकल्स (इतिवृत्त /इतिहास) घटनाओं का अनवरत कॉलानुक्रमिक विवरण पेश करते हैं।
> मुगल बादशाहों द्वारा तैयार करवाए गए इतिवृत्त उसके साम्राज्य एवं दरबार के अध्ययन के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
> अकबर ने फारसी को राज दरबार की मुख्य भाषा बनाया।
>मुगल दरबारी इतिहास (इतिवृत) फारसी भाषा में लिखे गए थे।
> मुगल बादशाहों ने रामायण महाभारत जैसे संस्कृत ग्रंथों को फारसी में अनुवाद करने का हुक्म दिया।
> महाभारत का अनुवाद "रज्मनामा" (युद्धों की किताब) के तौर पर हुआ।
मुगल साम्राज्य की उपाधियां -
शहंशाह -राजाओं का राजा
जहांगीर -विश्व पर कब्जा करने वाला
शाहजहां -विश्व का राजा
जहांगीर -विश्व पर कब्जा करने वाला
शाहजहां -विश्व का राजा
मुगल दरबार में अभिवादन के तरीके -
सिजदा- दंडवत लेटना
जमींबोसी -जमीन चूमना
चार तसलीम- अभिवादन का चार तस्लीम ढंग दाएं हाथ को जमीन पर रखने से आरंभ होता है। इसमें तलहथी ऊपर की तरफ होती है। इसके पश्चात हाथ को धीरे धीरे उठाते हुए व्यक्ति खड़ा होता है और तलहथी को सिर के ऊपर रखता है। ऐसी तस्लीम चार बार की जाती है। चार तस्लीम का शाब्दिक अर्थआत्मानिवेदन है।
कोर्निश - औपचारिक अभिवादन का एक ऐसा ढंग था जिसमें दरबारी दाएं हाथ की तलहथी को मुख पर रखकर आगे की तरफ सिर झुकाते थे । यह इस बात का प्रतीक था कि कोर्निश करने वाला व्यक्ति अपने इंद्रिय तथा मन के स्थल को हाथ लगाते हुए झुककर विनम्रता के साथ शाही दरबार में अपने को पेश कर रहा है।
कुछ प्रमुख इतिवृत्तों का काल क्रम
• लगभग 1587 - गुलबदन बेगम द्वारा हुमायूँ नामा के लेखन का आरंभ
• 1589 - बाबर के संस्मरणों का बाबरनामा के रूप में फारसी में अनुवाद
• 1589-602 - अबुल फजल द्वारा अकबरनामा पर काम करना
• 1605-22 - जहांगीर द्वारा जहांगीरनामा नाम से अपना संस्मरण लिखना
• 1639-47- लाहौरी द्वारा बादशाहनामा के प्रथम 2 दफ्तरों का लेखन
• 1650 -मोहम्मद वारिस द्वारा शाहजहाँ के शासन के तीसरे दशक के इतिवृत्त लेखन का प्रारंभ
• 1668 - मोहम्मद काजिम द्वारा औरंगजेब के शासन के प्रथम
प्रश्न 1. मुगल पितृ पक्ष से किसके वंशज थे ?
उत्तर - तैमूर के।
उत्तर - तैमूर के।
प्रश्न 2.मुगल मातृपक्ष से किससे संबंधित थे ?
उत्तर - चंगेज खां से।
प्रश्न 3. बाबर का उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर - हुमायूँ ।
प्रश्न 4. मुगलों का अंतिम वंशज कौन था ?
उत्तर - बहादुर शाह ज़फ़र।
प्रश्न 5. फारसी को मुगल दरबार की भाषा किसने बनाया ?
उत्तर - अकबर ने।
प्रश्न 6.अबुल फजल की हत्या किसने की ?
उत्तर - वीर सिंह बुंदेला ने।
प्रश्न 7. एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल के संस्थापक कौन थे ? इसकी स्थापना कब हुई ?
उत्तर - सर विलियम जोन्स, 1784 में।
प्रश्न 8. राजत्व में देवीय सिद्धांत का विचार सर्वप्रथम किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर - सूफ़ी शहाबुद्दीन सुहरावर्दी ने ।
प्रश्न 9.फतेहपुर सीकरी को किसने अपनी राजधानी बनाया ?
उत्तर - अकबर ने।
प्रश्न 10.अबुल फजल के अनुसार प्रशासन की आधारशिला क्या है ?
उत्तर - सुलह-ए-कुल नीति।
प्रश्न 11. कंधार, ईरानी सफावियों और मुगलों के बीच झगड़े की जड़ क्यों था ?
उत्तर - कंधार शहर अफगानिस्तान में है। वह व्यापारिक मार्ग पर स्थित था।
प्रश्न 12. हुमायूँनामा किसने लिखा ?
उत्तर - गुलबदन बेगम ने।
प्रश्न 13. मुगलों की मातृभाषा क्या थी ?
उत्तर - तुर्की ।
प्रश्न 14. बादशाहनामा का लेखक कौन था ?
उत्तर - अब्दुल हमीद लाहौरी।
प्रश्न 15. किसने चित्रकारी को एक जादुई कला कहा था ?
उत्तर - अबुल फजल ने।
प्रश्न 16. मुगल काल में मनाए जाने वाले प्रमुख उत्सवों का नाम बताइए ?
उत्तर - नवरोज ,होली ,शब-ए-बरात ,बादशाह का जन्मदिन ,ईद।
प्रश्न 17. मुगल साम्राज्य में न्याय के लिए किस प्रतीक को चुना गया ?
उत्तर - शेर और बकरी/गाय।
प्रश्न 18. मुगल दरबार में अभिवादन के कौन-कौन से तरीके प्रचलित थे ?
उत्तर - चार तस्लीम, सिजदा ,जमींबोसी, कोर्निश।
प्रश्न 19. मुगल काल में महाभारत का अनुवाद किस भाषा में व किस नाम से कराया गया ?
उत्तर -फारसी भाषा में "रज्मनामा " नाम से अनुवाद करवाया गया।
प्रश्न 20. जेसुइट कौन थे ?
उत्तर - ईसाई धर्म प्रचारक।
प्रश्न 21. - जजिया कर क्या था ? किस पर लगाया जाता था ?
उत्तर - जजिया एक कर था। यह गैर-मुस्लिमों,जैसे -हिंदू बौद्ध जैन, ईसाई पर लगाया जाता था।
प्रश्न 22. हुमायूं को ईरान निर्वासित होने के लिए किसने बाध्य किया ?
उत्तर - शेरशाह सूरी ने।
प्रश्न 23. आलमगीर की पदवी किसने धारण की ? उसकी मृत्यु कब हुई ?
उत्तर - मुगल बादशाह औरंगजेब ने, 1707 ई. में ।
प्रश्न 24. अकबर की पसंदीदा लेखन शैली क्या थी ?अकबर ने किस प्रथा को आरंभ किया ?
उत्तर - "नस्तलिक" लेखन शैली।
झरोखा दर्शन । इसमें बादशाह झरोखे में पूर्व की ओर मुंह करके भीड़ को दर्शन देता था।
प्रश्न 25. जात व सवार पद क्या थे ? इनमें क्या अंतर था ?
उत्तर - जात मनसबदार का पद था और वेतन का सूचक था । जबकि सवार यह सूचित करता था कि मनसबदार को सेवा के लिए कितने घुड़सवार रखने होंगे।
प्रश्न 26. जहाँआरा कौन थी ? वास्तुकला परियोजना में उसका क्या योगदान था ?
उत्तर - जहांआरा शाहजहां की पुत्री थी । शाहजहां की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) बनाने में व दो मंजिला भवन कारवां सराय ,चांदनी चौक की रूपरेखा भी उसके द्वारा तैयार की गई थी।
प्रश्न 27. अब्दुल फ़ज़ल के अनुसार मुगल बादशाह अपनी प्रजा के कौन से चार सत्वों की रक्षा करता है ?उसके बदले में वह क्या मांग करता है ?
उत्तर - मुगल बादशाह प्रजा के जन,धन,सम्मान,विश्वास की रक्षा करता है । इसके बदले में वह उनके संसाधनों में से हिस्से की मांग करता है।
प्रश्न 28. मुगल साम्राज्य में हृदय स्थल उनकी राजधानी नगर थे। स्पष्ट करें ?
उत्तर - क्योंकि यहीं पर राजधानी में राजा का महल सेना, प्रशासन, व्यापारिक स्थल, बड़ी संख्या में सेवादार रहते थे ?
प्रश्न 29. "मुगल साम्राज्य में अभिजात वर्ग प्रशासन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ था ।" स्पष्ट करें ?
उत्तर - यह मुग़ल अधिकारी थे। इनकी भर्ती विभिन्न नृजातीय समूह व धार्मिक वर्गों से होती थी। जैसे ईरानी,तूफानी, राजपूत, हिंदू। पर इस बात का ध्यान रखा जाता था कि कोई भी समूह इतना बड़ा न हो जाए कि राज्य के लिए खतरा बन जाए । प्रत्येक का पद और मनसब निश्चित था । अपने सैनिकों के साथ यह सैनिक अभियानों में, व प्रशासनिक कार्य में भाग लेते थे।
प्रश्न 30. मुगल शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। मुगलों ने स्वयं को तैमूरी क्यों कहा ?
उत्तर - मुगल शब्द की उत्पत्ति मंगोलों से हुई। वह मंगोलों को बर्बर मानते थे । तुर्की के शासक तैमूर का वंशज होने के कारण स्वयं को उन्होंने तैमूरी कहा।
प्रश्न 25. जात व सवार पद क्या थे ? इनमें क्या अंतर था ?
उत्तर - जात मनसबदार का पद था और वेतन का सूचक था । जबकि सवार यह सूचित करता था कि मनसबदार को सेवा के लिए कितने घुड़सवार रखने होंगे।
प्रश्न 26. जहाँआरा कौन थी ? वास्तुकला परियोजना में उसका क्या योगदान था ?
उत्तर - जहांआरा शाहजहां की पुत्री थी । शाहजहां की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) बनाने में व दो मंजिला भवन कारवां सराय ,चांदनी चौक की रूपरेखा भी उसके द्वारा तैयार की गई थी।
प्रश्न 27. अब्दुल फ़ज़ल के अनुसार मुगल बादशाह अपनी प्रजा के कौन से चार सत्वों की रक्षा करता है ?उसके बदले में वह क्या मांग करता है ?
उत्तर - मुगल बादशाह प्रजा के जन,धन,सम्मान,विश्वास की रक्षा करता है । इसके बदले में वह उनके संसाधनों में से हिस्से की मांग करता है।
प्रश्न 28. मुगल साम्राज्य में हृदय स्थल उनकी राजधानी नगर थे। स्पष्ट करें ?
उत्तर - क्योंकि यहीं पर राजधानी में राजा का महल सेना, प्रशासन, व्यापारिक स्थल, बड़ी संख्या में सेवादार रहते थे ?
प्रश्न 29. "मुगल साम्राज्य में अभिजात वर्ग प्रशासन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ था ।" स्पष्ट करें ?
उत्तर - यह मुग़ल अधिकारी थे। इनकी भर्ती विभिन्न नृजातीय समूह व धार्मिक वर्गों से होती थी। जैसे ईरानी,तूफानी, राजपूत, हिंदू। पर इस बात का ध्यान रखा जाता था कि कोई भी समूह इतना बड़ा न हो जाए कि राज्य के लिए खतरा बन जाए । प्रत्येक का पद और मनसब निश्चित था । अपने सैनिकों के साथ यह सैनिक अभियानों में, व प्रशासनिक कार्य में भाग लेते थे।
प्रश्न 30. मुगल शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। मुगलों ने स्वयं को तैमूरी क्यों कहा ?
उत्तर - मुगल शब्द की उत्पत्ति मंगोलों से हुई। वह मंगोलों को बर्बर मानते थे । तुर्की के शासक तैमूर का वंशज होने के कारण स्वयं को उन्होंने तैमूरी कहा।
प्रश्न 1. अकबर की पसंदीदा लेखन शैली कौन-सी थी ?
उत्तर - 'नस्तलिक" अकबर की पसंदीदा लेखन शैली थी।
प्रश्न 2. अकबर ने तीर्थयात्रा कर और जजिया कर कब और क्यों समाप्त कर दिया ?
उत्तर - अकबर ने 1563 में तीर्थयात्रा कर और 1564 में जजिया कर समाप्त कर दिया था क्योंकि यह दोनों कर धार्मिक पक्षपात पर आधारित थे।
यह दोनों कर गैर मुस्लिमों पर जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन, ईसाई लगाये जाते थे।
प्रश्न 3. फारसी शब्द "हरम " से क्या तात्पर्य था ?
उत्तर - 'हरम' शब्द फारसी से निकला है जिसका मतलब है 'पवित्र स्थान' । मुगल परिवारों की घरेलू दुनियां में उनकी औरतों और बच्चों आदि के लिए हरम शब्द का इस्तेमाल होता था।
प्रश्न 4. अकबर ने अपनी नई राजधानी कौन-से शहर को बनाया ?
उत्तर - अकबर ने अपनी नई राजधानी 1570 के दशक में फतेहपुर सीकरी को बनाने का फैसला किया। इसका एक कारण यह भी था कि फतेहपुर सीकरी अजमेर की तरफ जाने वाली सीधी सड़क पर स्थित था । शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह उस वक्त एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान बन चुकी थी।
प्रश्न 5. मुगल इतिहासकार अबुल फजल ने चित्रकारी को किस कला के नाम से संबोधित किया ?
उत्तर - इतिहासकार अबुल फजल ने चित्रकारी को एक "जादुई कला" के रूप में वर्णन किया है।
प्रश्न 6. फर-ए-इजादी से क्या तात्पर्य था ?
उत्तर - फर-ए-इजादी का तात्पर्य "ईश्वर " से है।
प्रश्न 7. न्याय की जंजीर का संबंध किस बादशाह से था ?
उत्तर - न्याय की जंजीर का संबंध मुगल बादशाह जहांगीर से था । यह जंजीर शुद्ध सोने से बनवाया गया था । यह जंजीर 30 गज लंबी थी और इसमें 60 घंटियां लगी हुई थी।
इसका वर्णन हमें तुजुक-ए जहांगीरी में मिलता है।
प्रश्न 8. गुजरात विजय के उपलक्ष में अकबर ने किस स्मारक का निर्माण करवाया ?
उत्तर - गुजरात विजय के उपलक्ष में अकबर ने विस्तृत मेहराबी प्रवेश द्वार (बुलंद दरवाजा) का निर्माण करवाया।
प्रश्न 9. जहांगीर के दरबार में आने वाले यूरोपीय राजदूत का क्या नाम था ?
उत्तर - जहांगीर के दरबार में आने वाले यूरोपिय राजपूत का नाम सर टॉमस रो था।
प्रश्न 10. शाहजहांनाबाद के हृदय स्थल चांदनी चौक की रूपरेखा किसने तैयार की थी ?
उत्तर - मुगल बादशाह शाहजहां की पुत्री जहांआरा ने शाहजहां की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) के हृदय स्थल चांदनी चौक की रूपरेखा तैयार की थी।
जहांआरा की वास्तुकलात्मक परियोजनाओं का एक अन्य उदाहरण दो मंजिली भव्य कारवांसराय शामिल थी जिसमें एक आंगन और एक बाग था।
प्रश्न 11. क्रॉनिकल्स (इतिवृत्त) किसे कहते हैं ? इनका महत्व और उद्देश्य क्या था ?
उत्तर - जो वृतांत घटनाओं का अनवरत कालानुक्रम विवरण प्रस्तुत करें उसे क्रॉनिकल्स (इतिवृत्त/इतिहास) कहते हैं।
इनसे हमें शाही विचारधाराओं के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
उद्देश्य - > साम्राज्य के लोगों के सामने एक प्रबुद्ध राज्य के दर्शन की प्रायोजना / चित्रण करना।
>इतिवृत्तों का उद्देश्य उन लोगों को, जिन्होंने मुगल शासन का विरोध किया था यह दिखाना भी था कि उनका विरोध नाकामयाब होना तय है।
> भावी पीढ़ियों के लिए शासन का विवरण उपलब्ध कराना।
प्रश्न 12 . प्रमुख मुगल इतिवृत्तों के नाम बताइए।
उत्तर - अकबरनामा, शाहजहांनामा, आलमगीरनामा।
प्रश्न 13. जेसुइट कौन थे ?
उत्तर - जैसुइट सोसायटी आफ जीसस (जेसुइट) के धर्म प्रचारक थे जो ईसाई धर्म का प्रचार करते थे।
अकबर ईसाई धर्म के विषय में जानने को बहुत उत्सुक था । उसने जेसुइट पादरियों को आमंत्रित किया ।
अतः पहला जेसुइट शिष्टमंडल फतेहपुर सीकरी के मुगल दरबार में 1580 में पहुंचा और वहां 2 वर्ष तक रहा।
प्रश्न 14. झरोखा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - झरोखा दर्शन की प्रथा अकबर ने आरंभ की थी। इसके अनुसार बादशाह अपने दिन का प्रारंभ सूर्योदय के समय धार्मिक प्रार्थनाओं से करने के पश्चात लोगों को दर्शन देने के लिए छज्जे अथवा झरोखे में पूर्व की ओर मुंह करके लोगों की भीड़ को दर्शन देता था । इसका उद्देश्य शाही सत्ता के प्रति जन विश्वास को बढ़ावा देना था।
प्रश्न15.एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल के संस्थापक कौन थे ? इसकी स्थापना कब हुई ?
उत्तर - एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना विलियम जोंस द्वारा 1784 में कोलकाता में की गई। जिसका उद्देश्य भारतीय पांडुलिपियों का संपादन प्रकाशन और अनुवाद करना था।
प्रश्न 16. अकबर द्वारा 1585 में लाहौर को राजधानी बनाने का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर -पश्चिम को और अधिक नियंत्रण में लाने के लिए राजधानी को लाहौर स्थानांतरित किया गया।
प्रश्न 17. बादशाहनामा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -बादशाहनामा का लेखक अबुल फ़ज़ल का शिष्य अब्दुल हमीद लाहौरी था । इसको शाहजहां के आदेश पर अकबरनामा की तर्ज पर लिखा गया। यह सरकारी इतिहास 3 जिल्दों में है। प्रत्येक जिल्द में 10 चंद्र वर्षों का विवरण है। लाहौरी ने बादशाह के शासन (1627- 47) के प्रथम दो दशकों पर पहला तथा दूसरा दफ्तर लिखा। इन जिल्दों में बाद में शाहजहां के वजीर सादुल्लाह खां ने सुधार किया। वृद्धावस्था के कारण लाहौरी तीसरी जिल्द के बारे में नहीं लिख सका। उसे बाद में इतिहासकार वारिस ने लिखा।
प्रश्न 18.अबुल फजल कौन था ? मुगल दरबार में उसका क्या योगदान था ?
उत्तर - अबुल फजल अकबरनामा का लेखक था। उसका पालन-पोषण मुग़ल राजधानी आगरा में हुआ। वह अरबी, फारसी, यूनानी, दर्शन और सूफीवाद में पर्याप्त निपुण था । वह एक प्रभावशाली वक्ता तथा स्वतंत्र चिंतक था । उसके इन्हीं गुणों से प्रभावित होकर अकबर ने उसको अपना सलाहकार और अपनी नीतियों का प्रवक्ता बनाया।
बादशाह अकबर का एक उद्देश्य राज्य को धार्मिक रूढ़ीवादियों के नियंत्रण से मुक्त करना था।
अबुल फजल दरबारी इतिहासकार के रूप में अकबर के शासन से जुड़े विचारों को न केवल आकार दिया बल्कि स्पष्ट रूप से व्यक्त भी किया।
प्रश्न 19. अकबरनामा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर - अकबरनामा अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल द्वारा लिखा गया। अबुल फजल ने 1589 में आरंभ कर अकबरनामा पर 13 सालों तक कार्य किया और इस दौरान अनेक बार उसने प्रारूप में सुधार किए। यह इतिहास घटनाओं के यथार्थ विवरणों, शासकीय दस्तावेजों और जानकार व्यक्तियों के मौखिक सबूतों जैसे विभिन्न तरह के साक्ष्यों पर आधारित है।
अकबरनामा को 3 जिल्दों में वर्गीकृत किया गया है जिनमें से पहले दो इतिहास हैं। तीसरी जिल्द आईन-ए- अकबरी है।
प्रथम जिल्द में आदम से लेकर अकबर के जीवन के एक खगोलीय कालचक्र तक (30 वर्ष) का मानव जाति का इतिहास है।
द्वितीय जिल्द अकबर के 46 वें शासन वर्ष 1601 पर समाप्त होती है। अगले ही साल अबुल फजल राजकुमार सलीम के धोखे का शिकार हुआ तथा सलीम के सह-अपराधी बीर सिंह बुंदेला द्वारा कत्ल कर दिया गया।
प्रश्न 20.. मुगल दरबार में अभिवादन के कौन-कौन से तरीके प्रचलित थे ?
उत्तर - चार तस्लीम, सिजदा , जमींबोसी, कोर्निश।
प्रश्न 21. "अकबर ने सोच समझकर फारसी को दरबार की मुख्य भाषा बनाया।'' इस कथन की परख उसके द्वारा किए गए प्रयासों के साथ कीजिए।
उत्तर -
1. मुगलों का ईरान के साथ सांस्कृतिक और बौद्धिक संपर्क था।
2. ईरान के दरबार में फारसी का प्रयोग किया जाता था ।
3. इरानी और मध्य एशियाई प्रवासियों की मुगल दरबार में उपस्थिति ।
4. फारसी को मुगल दरबार की भाषा का ऊंचा स्थान दिया गया था।
5. फारसी भाषा पर पकड़ शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई।
6. यह अभिजात वर्ग की भाषा थी।
7. यह राजा और शाही घराने द्वारा बोली जाती थी।
8. यह प्रशासन के सभी स्तरों की भाषा थी।
9. मुगल इतिहास फारसी में लिखे गए थे उदाहरण के लिए अकबरनामा आदि।..
10. स्थानीय भाषाओं के सम्मिश्रण से फारसी का भारतीयकरण हो गया ।
11. फारसी से उर्दू निकली।
12. कई ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया जैसे बाबरनामा, महाभारत आदि।
प्रश्न 22. "मुगल शक्ति का सुस्पष्ट केन्द्र बादशाह का दरबार था ।" उपयुक्त तर्कों के साथ इस कथन को न्याय संगत ठहराइए।
उत्तर - मुगल शक्ति का केंद्र के राजा का दरबार था :
1. दरबार की भौतिक व्यवस्था शासक पर केंद्रित था।
2. राज सिंहासन इसका केंद्र बिंदु था।
3. राजगद्दी के ऊपर छत्री राजसत्ता का प्रतीक था।
4. स्थिति और पदानुक्रम को अच्छी तरह से परिभाषित किया गया था।
5. दरबारियों को मुगल दरबार में बैठने का विशिष्ट स्थान शासक की निगाहों में उनके महत्व के अनुसार सौंपा गया था।
6. किसी को भी बिना अनुमति के अपने आवंटित स्थान से जाने की अनुमति नहीं थी।
7. संबोधन, शिष्टाचार और बोलने के ध्यानपूर्वक निर्धारित रूप निर्दिष्ट किए गए थे । इसके उल्लंघन पर दंड दिया जाता था।
8. अभिवादन के तरीके से पदानुक्रम में एक व्यक्ति की हैसियत का संकेत दिया जाता था।
9. राजनयिक दूतों संबंधी नवाचारों का कड़ाई से पालन किया जाता था।
10. झरोखा दर्शन।
11. दीवान-ऐ खास में राज्य मंत्रियों के साथ बैठकें।
12 . राज दरबार में विशेष अवसरों और त्योहारों को मनाया जाता था।
13. योग्य व्यक्तियों को पदवियां दी जाती थी।
14. राजा द्वारा अभिजात वर्ग और अन्य लोगों को दरबार में पुरस्कार और उपहार दिए जाते थे।
15. दरबारी बादशाह के पास कभी खाली हाथ नहीं जाता था।
16. राजा दरबार में विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ मिलता था।
17. मनसबदार मुगल दरबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
18. मुगल दरबार में राजनीतिक गठबंधन और संबंध बनाए जाते थे।
19. स्थिति और पदानुक्रम को अच्छी तरह से परिभाषित किया गया था ।
20. राजनीतिक प्रणाली मुगल दरबार द्वारा तैयार की गई थी ।
21. सैन्य शक्ति की शाही संरचना को मुगलों द्वारा तैयार की गई थी।
प्रश्न 23. मुगल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर - शाही परिवार
• 'हरम' शब्द फारसी से निकला है जिसका मतलब है 'पवित्र स्थान' । मुगुल परिवारों की घरेलू दुनिया में उनकी औरतों और बच्चों आदि के लिए 'हरम' शब्द का इस्तेमाल होता था। इसमें बादशाह की पत्नियां तथा उपपत्नियाँ, उसके करीबी तथा दूर के रिश्तेदार (माता, सौतेली तथा उपमाताएं, बहन, बहू, पुत्री, चाची-मौसी, बच्चे आदि) तथा महिला परिचारिकाएं औ दास होते थे ।
• मुगल परिवार में शाही परिवारों से आने वाली औरतों (बेगमों ) तथा दूसरी स्त्रियों (अगहा ) जिनका जन्म कुलीन परिवार में नहीं हुआ था, में फर्क रखा जाता था। दहेज (मेहर) के तौर पर अच्छा-ख़ासा नकद और बहुमूल्य वस्तुएं लेने के पश्चात विवाह करके आई बेगमों को अपने पतियों से स्वाभाविक तौर पर अगहाओं की तुलना में ज्यादा ऊँचा दर्जा और आदर मिलता था। राजतंत्र से जुड़े स्त्रियों के पदानुक्रम में उपपत्नियों (अगाचा) की स्थिति सर्वाधिक निम्न थी। इन सभी को नकद मासिक भत्ता और अपने दर्जे के अनुसार उपहार मिलते थे। वंश आधारित परिवारिक ढांचा पूर्णतः स्थाई नहीं था। अगर पति की मर्जी हो और उसके पास पहले से ही 4 पत्नियां न हो तो अगहा व अगाचा भी बेगम की स्थिति पा सकती थी।
• पत्नियों के अलावा मुगल परिवार में कई महिला और पुरुष दास होते थे। वे साधारण से साधारण कार्य से लेकर निपुणता, कौशल, बुद्धिमत्ता के विभिन्न कार्यों का संपादन करते थे । दास हिजड़े (ख्वाजासार ) परीवार के अंदर और बाहर के जीवन में रक्षक, दास और व्यापार में दिलचस्पी लेने वाली स्त्रियों के एजेंट होते थे।
शाही परिवार में महिलाओं की भूमिका
• मुगल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों, जैसे नूरजहां, रोशनआराऔर गुलबदन बेगम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
• नूरजहां ने जहांगीर के शासनकाल में शासन प्रबंध में भाग लिया।
• उसके पश्चात मुगल रानियों और राजकुमारियों ने महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण शुरू कर दिया।
• शाहजहां की पुत्रियों, जहांआरा और रोशनआरा को ऊँचे शाही मनसबदारों के समान वार्षिक आय प्राप्त होती थी।
• जहाँआरा को सूरत के बंदरगाह नगर से राजस्व प्राप्त होता था। यह नगर विदेशी व्यापार का एक लाभप्रद केन्द्र था।
• मुगल बादशाह शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने शाहजहाँ की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) के हृदय स्थल चांदनी चौक की रूपरेखा तैयार की थी।
• जहांआरा की वास्तुकलात्मक परियोजनाओं का एक अन्य उदाहरण दो मंजिली भव्य कारवांसराय शामिल थी जिसमें एक आंगन और एक बाग था।
• बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम द्वारा हुमायूँनामा लिखा गया जिससे मुगलों के घरेलू जीवन की जानकारी प्राप्त होती है। अबुल फजल ने मुगलों का इतिहास लिखते समय इस कृति का लाभ उठाया।
प्रश्न 24. मुगल दरबार में पांडुलिपि तैयार करने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
• पांडुलिपि अर्थात हाथ से लिखी पुस्तकें तैयार करने का मुख्य केंद्र शाही किताबखाना (पुस्तकालय) था जोकि एक लिपि घर या ऐसा स्थान था जहां पांडुलिपियों का संग्रह रखा जाता था तथा नई पांडुलिपियाँ लिखी जाती थी।
• पांडुलिपि तैयार करने की प्रक्रिया निम्नलिखित थी-
• कागज बनाने वाले की पांडुलिपि के पन्ने तैयार करने;
• सुलेखक की पाठ की नकल तैयार करने;
• कोफ्तगर को पृष्ठों को चमकाने;
• इनके अलावा चित्रकारों की पाठ से दृश्यों को चित्रित करने के लिए और ज़िल्दसाजों की प्रत्येक पन्ने को इकट्ठा करने उसे अलंकृत आवरण में बैठाने के लिए आवश्यकता होती थी।
प्रश्न 25. राजत्व के मुगल आदर्श का निर्माण करने वाले तत्वों की पहचान कीजिए।
उत्तर - राजत्व के मुगल आदर्श का निर्माण करने वाले मुख्य तत्व तीन थे -
1. बादशाह एक दैवीय प्रकाश
2. सुलह-ए-कुल -एकीकरण का एक स्रोत
3. सामाजिक अनुबंध के रूप में न्यायपूर्ण प्रभुसत्ता
बादशाह एक दैवीय प्रकाश
1. दरबारी इतिहासकारों के अनुसार मुगल शासकों को सीधे ईश्वर से शक्ति मिली थी। उनके द्वारा वर्णित दंत कथाओं के अनुसार मंगोल रानी अलानकुआ अपने शिविर में आराम करते हुए सूर्य की एक किरण द्वारा गर्भवती हुई थी। उसके द्वारा जन्म लेने वाली संतान पर दिव्य प्रकाश का प्रभाव था। इस प्रकार पीढी दर पीढ़ी यह प्रकाश हस्तांतरित होता गया।
2. अबुल फजल ईश्वर से निःसृत प्रकाश को ग्रहण करने वाली वस्तुओं में मुगल राजत्व को सबसे प्रथम स्थान पर रखता है। इसके अंतर्गत दैवीय प्रकाश राजा में संप्रेषित होता है जिसके बाद राजा अपनी प्रजा के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत बन जाता था।
3. इसके साथ कलाकारों ने मुगल बादशाहों को प्रभामंडल के साथ चित्रित करना शुरू कर दिया। ईश्वर के प्रकाश के प्रतीक रूप में इन प्रभामण्डलों को उन्होंने ईसा और वर्जिन मेरी यूरोपीय चित्रों में देखा था।
2. अबुल फजल ईश्वर से निःसृत प्रकाश को ग्रहण करने वाली वस्तुओं में मुगल राजत्व को सबसे प्रथम स्थान पर रखता है। इसके अंतर्गत दैवीय प्रकाश राजा में संप्रेषित होता है जिसके बाद राजा अपनी प्रजा के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत बन जाता था।
3. इसके साथ कलाकारों ने मुगल बादशाहों को प्रभामंडल के साथ चित्रित करना शुरू कर दिया। ईश्वर के प्रकाश के प्रतीक रूप में इन प्रभामण्डलों को उन्होंने ईसा और वर्जिन मेरी यूरोपीय चित्रों में देखा था।
सुलह-ए-कुल : एकीकरण का स्रोत
- मुगल इतिवृत्त साम्राज्य को हिंदुओं, जैनों, जरतुश्तियोंऔर मुसलमानों जैसे अनेक भिन्न-भिन्न नृजातीय और धार्मिक समुदायों को समाविष्ट किए हुए साम्राज्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं ।
- सभी तरह की शांति और स्थायित्व के स्रोत के रूप में बादशाह सभी धार्मिक और नृजातीय समूहों के ऊपर होता था। वह इन सबके बीच मध्यस्थता करता था, तथा यह सुनिश्चित करता था कि न्याय और शांति बनी रहे।
- अबुल फजल सुलह-ए-कुल (पूर्णशांति ) के आदर्श को प्रबुद्ध शासन की आधारशिला बताता है।
- सुलह-ए-कुल में सभी धर्मों और मतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता थी किंतु उसकी एक शर्त थी कि वे सब राज्यसत्ता को क्षति नहीं पहुंचाएंगे अथवा आपस में नहीं लड़ेंगे।
- सुलह ए कुल का आदर्श राज्य नीतियों के द्वारा लागू किया गया -
- मुगलों के अधीन अभिजात-वर्ग मिश्रित था। उसमें ईरानी, तुरानी, अफगानी, राजपूत, दक्खनी सभी सम्मिलित थे।
- इन सब को दिए गए पद और पुरस्कार पूरी तरह राजा के प्रति उनकी सेवा और निष्ठा पर आधारित थे।
- 1563 में तीर्थयात्रा कर तथा 1564 में जजिया कर हटा दिया गया क्योंकि यह धार्मिक पक्षपात पर आधारित थे।
- साम्राज्य के अधिकारियों को प्रशासन में सुलह-ए-कुल के नियमों का अनुपालन करने के लिए निर्देश दिए गए।
- सभी मुगल बादशाहों ने उपासना-स्थलों के निर्माण व रख-रखाव के लिए अनुदान दिया गया।यहां तक कि युद्ध के दौरान जब मंदिरों को नष्ट कर दिया जाता था तो बाद में उनकी मरम्मत के लिए अनुदान जारी किए जाते थे।
- सामाजिक अनुबंध के रूप में न्यायपूर्ण प्रभुसत्ता
- अबुल फजल के अनुसार प्रभुसत्ता एक सामाजिक अनुबंध का रूप है व बादशाह प्रजा के चार तत्वों जीवन, धन, सम्मान और विश्वास की रक्षा करता है और बदले में आज्ञा पालन व संसाधनों में भाग की मांग करता है।
- मुगल काल में न्याय के विचार को कई प्रतीकों द्वारा जैसे शेर और बकरी को एक दूसरे के साथ चिपककर शांतिपूर्वक बैठे हुए दर्शाया गया है।
Very helpful sirji
ReplyDeleteThank you ❤️
Sir please give us notes of chapter 11
ReplyDeleteSir chapter 11 kab upload karoge?
ReplyDeleteSatyam prajapati
ReplyDeleteVery nice sir ji
ReplyDeletethank you sir it help too much for me
ReplyDeleteIt is very helpfull Thnku sir
ReplyDeleteThanks 🙏🙏👍 sir it is very helpful 🙂
ReplyDeleteThanks sis for sharing.
ReplyDeleteChapter 8 ke notes
ReplyDeleteJladi chapter8,10,12,13ke notes
ReplyDeletePlease send notes of lesson 8
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